क्या भाजपा के टिकट पर चुनाव में जाएंगे बुक बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष?

एम हसीन

पीरान कलियर। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का लक्ष्य हरिद्वार जिले के दोनों नगर निगमों, तीनों नगर पालिका परिषदों और नगर पंचायतों में से अधिकांश में कमल खिलाना है। इस लक्ष्य को लेकर मुख्यमंत्री इतना गंभीर हैं कि वे कतिपय नगर पंचायतों में मुस्लिम प्रत्याशी भी मैदान में उतारने से शायद ही गुरेज करें। किसी न किसी न स्तर पर यह भाजपा की मजबूरी भी है। कई नगर पंचायतें ऐसी हैं जहां का डेमोग्राफ ही ऐसा है कि पार्टी मुस्लिम चेहरे को नजर अंदाज करे तो फिर वहां उसे मैदान खुला ही छोड़ना पड़ता है और इसका सीधा लाभ भाजपा के खाते में जाता है। लेकिन यह भी सच है कि इस बार ऐसी नगर पंचायतों पर भाजपा ऐरे-गैरे मुस्लिम को टिकट देकर चुनाव लड़ने की औपचारिकता मात्र पूरी नहीं करना चाहती। पार्टी चाहती है कि उसका प्रत्याशी मजबूत और दमदार हो। पीरान कलियर नगर पंचायत ऐसा ही निर्वाचन क्षेत्र है। यहां भाजपा की चाहत यह बताई जा रही है कि उसका सबसे मजबूत स्थानीय चेहरा, वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष, राव काले खां चुनाव मैदान में आएं। इस परिप्रेक्ष्य में सवाल यह उठता है कि क्या राव काले खां व्यक्तिगत रूप से या अपने किसी परिजन के माध्यम से यह जोखिम लेने की कोशिश करेंगे?

पीरान कलियर की राजनीति परंपरागत रूप से स्थानीय कांग्रेस विधायक हाजी फुरकान अहमद और लक्सर के बसपा विधायक हाजी मुहम्मद शहजाद पर निर्भर करती है। मुस्लिम बेल्ट में इस समीकरण में अगर कोई तीसरा चेहरा उल्लेखनीय भूमिका अदा करता है तो वे राव काले खां ही हैं। भाजपा की राजनीति को अंगीकार करने से पहले, अतीत में वे अपनी भूमिका हाजी फुरकान के पक्ष में भी अदा कर चुके हैं और हाजी शहजाद के पक्ष में भी। इसी प्रकार, लोकसभा चुनाव में वे डॉ रमेश पोखरियाल निशंक के लिए भी प्रभावी साबित हो चुके हैं और त्रिवेंद्र सिंह रावत के लिए भी।

राव काले खां क्षेत्र का सक्रिय राजनीतिक चेहरा हैं और कलियर नगर पंचायत का गठन होने से पहले वे एक बार यहां जिला पंचायत सदस्य पद का चुनाव लड़ चुके हैं। उस समय इस जिला पंचायत सदस्य निर्वाचन क्षेत्र में केवल कलियर और महमूदपुर गांव शामिल थे और तब वे यहां से एक हजार से अधिक वोट लेकर निकले थे।

यह संख्या कई कारणों से महत्वपूर्ण है। एक, उस समय कलियर गांव छोटा था और यहां कुल मतों की सख्या 5 हजार से कम थी जबकि अब यह 7 हजार से ऊपर जा रही है। दो, यह राव काले खां का अपना गृह ग्राम नहीं है। तीन, यहां उनकी अपनी बिरादरी नाममात्र को है। फिर वे यह चुनाव क्षेत्र के दोनों स्थानीय दिग्गजों के विरोध में लड़ रहे थे। उस समय के लिहाज से राव काले खां को मिले मतों की संख्या इसलिए भी महत्वपूर्ण आंकी जा रही है क्योंकि कलियर-महमूदपुर गांव में बेडपुर और मुकर्रबपुर को मिलाकर बनी इस नगर पंचायत में पिछली बार विजेता प्रत्याशी सखावत को महज 2160 वोट मिले थे और पराजित प्रत्याशी सलीम अहमद को महज को महज 2000 वोट। ऐसे में भाजपा के स्थानीय नेताओं को लगता है कि अगर यहां राव काले खां भाजपा के टिकट पर खुद चुनाव लड़ें या अपने किसी परिजन को अपनी जिम्मेदारी पर चुनाव लड़ाएं तो यहां भाजपा का प्रदर्शन उल्लेखनीय रह सकता है। लेकिन सवाल यह है कि क्या राव काले खां इसके लिए तैयार होंगे? होंगे तो क्या वे खुद प्रत्याशी होंगे या उनका कोई परिजन? इसे लेकर क्षेत्र में खासी उत्सुकता देखने में आ रही है।