सोशल मीडिया पर भी हाजी शहजाद के नाम रहा बीता एक सप्ताह
एम हसीन
रुड़की। विधानसभा का सत्र विधायकों के लिए मुराद पाने का अवसर होता है। उनके लिए भी जो सरकार से अपने क्षेत्र के लिए या अपने लिए कुछ चाह रहे होते हैं लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही होती और उनके लिए भी जो अपने जन-प्रतिनिधि होने के दायित्व को निभाना चाहते हैं, जनहित या जनता की आवाज को शब्द देना चाहते हैं। उत्तराखंड स्थापना की रजत जयंती के अवसर पर आयोजित विधानसभा के विशेष सत्र के बाद कई विधायकों की ऐसी मांगें पूरी हुई दिखाई दे रही हैं जो बरसों से लटकी हुई थी तो कई विधायकों के मुंह भी लटके हुए दिखाई दे रहे हैं।
इस सबके बीच लक्सर विधायक हाजी शहजाद की स्थिति खासी अलग है। दरअसल, हाजी शहजाद के नाम संपन्न विशेष सत्र ही नहीं बल्कि पिछला गैरसैण सत्र भी इन अर्थों में अलग लिखा गया है कि उन्होंने मुख्य विपक्षी दल न होते हुए भी मुख्य रूप से विपक्ष की भूमिका निभाने की कोशिश की है। भले ही उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों को एक अलग नजरिए से भी देखा जा रहा है लेकिन उनकी वाणी को एक नई धार दी है, उनकी मुखरता ने कुछ खास क्षेत्रों में उन्हें नई स्वीकार्यता दी है, नई पहचान दी है। कोई बड़ी बात नहीं कि 4 नवंबर के बाद का एक सप्ताह सोशल मीडिया पर हाजी शहजाद के ही नाम रहा। इस दौरान सोशल मीडिया पर उनकी लोकप्रियता को नए आयाम मिले। दूसरी ओर, समाज में कई ऐसे लोग हाजी शहजाद की प्रशंसा करते दिखाई दिए जो सामान्यतः न उन्हें पसंद करते हैं और न उनकी पार्टी को। इस सबके बीच उनके प्रभाव क्षेत्र की जनता ने उन्हें हाथों-हाथ लिया, उनके स्वागत समारोह हुए, उनके बयानों पर राजनेताओं ने टीका-टिप्पणियां की सो अलग।
उत्तराखंड स्थापना की रजत जयंती के मौके पर विधानसभा के विशेष सत्र में कई ऐसे मौजूदा विधायक भी थे जो मौजूद नहीं थे। फिर भी कम से कम 68 विधायक तो मौजूद थे ही। इन्हीं के बीच लक्सर विधायक हाजी शहजाद ने ऐसा कुछ कर दिया कि वे पूरे प्रदेश के राजनीतिक फलक पर छा गए। हाजी शहजाद ने विधानसभा में हरिद्वार-उधमसिंह नगर के लोगों के लिए मूल निवास प्रमाण-पत्र की मांग जोर-शोर से उठाई, हरिद्वार के बिगड़ते डेमोग्राफ को चर्चा के केंद्र में लाया, मैदान का विरोध करने वाले पहाड़ के विधायकों को सच का आईना दिखाया और विभिन्न मुद्दों पर व्यवस्था को कठघरे में खड़ा किया। इस प्रक्रिया के दौरान बेशक उनकी दूसरे विधायकों के साथ नोंक-झोंक भी हुई, बहस भी हुई। लेकिन उनके अपने लिए इसके परिणाम बेहद फलदायक रहे।
गैरसैण सत्र के दौरान मुद्दों को प्रखरता और गंभीरता से उठाने की उन्हें नई पहचान मिली थी। इस पहचान में संपन्न विशेष सत्र ने उनके कद में नई ऊंचाइयां जोड़ी। उन्हें जनता की आवाज उठाने वाले राजनेता के तौर पर देखा गया और उनसे लोगों की नई उम्मीदें जुड़ीं। कई लोगों ने उनके लिए “वंचित वर्गों की आवाज, भाई शहजाद, भाई शहजाद” और “हक की नई आवाज है, ये भाई शहजाद है” आदि नारों से अलंकृत किया। कोई बड़ी बात नहीं कि सोशल मीडिया पर तमाम लोगों ने हाजी शहजाद द्वारा उठाए गए मुद्दों से सहमति जताई और उनकी आवाज में अपनी आवाज मिलाई।

