अक्षय प्रताप सिंह की अपनी राह और चेरब जैन की अपनी दिशा

एम हसीन

रुड़की। बीते एक वर्ष में भाजपा ने स्थानीय राजनीति में व्यापक उपलब्धियां प्राप्त की हैं। पार्टी को जिला कार्यालय के लिए नया भवन मिला है तो जिला संगठन भी नया मिला है। पहली बार अपना मेयर मिला है तो कई राज्यमंत्री भी मिले हैं। इन्हीं सब स्थितियों के बीच जिन दो चेहरों ने अपने लिए पार्टी या जनता के बीच व्यापक पहचान बनाई है वे हैं अक्षय प्रताप सिंह और चेरब जैन। भाजपा की राजनीति में दोनों को युवा तुर्क के रूप में देखा गया है और चुनावी दृष्टिकोण से जब राजनीति निर्णायक वर्ष में प्रवेश करने जा रही है तो दोनों की गतिविधियों पर पर्यवेक्षकों की बारीक नजर लगी हुई है।

भाजपा के इन दोनों युवा तुर्कों का खास उल्लेख इसलिए जरूरी है कि इन दोनों ने ही अपना राजनीति करियर महज डेढ़ वर्ष पूर्व सामान्य कार्यकर्ता के रूप में अपने स्तर पर शुरू किया था।उस समय लोकसभा चुनाव चल रहा था और निकाय चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने को थी। जाहिर है कि मेयर टिकट के दावेदार सामने आने लगे थे। भाजपा में जो दावेदार सामने आए थे उनमें अक्षय प्रताप सिंह और चेरब जैन भी थे। जैसा कि बाद में जाहिर हुआ था कि मेयर टिकट दोनों को ही नहीं मिला था। दरअसल, दोनों खुद राजनीति कर करने का इरादा लेकर सामने आए थे इसलिए दोनों के ही सामने पहली समस्या तो यही आ गई थी कि मेयर पद महिला के लिए आरक्षित हो गया था। बहरहाल, दोनों ने ही इससे हिम्मत नहीं हारी थी और अपने राजनीतिक अभियान को जारी रखा था जो कि 2025 का अंत आते-आते अपने चरम पर पहुंचा।

अगर अक्षय प्रताप सिंह की बात करें तो साफ लगता है कि वे राजनीतिक सफलता तो चाहते हैं लेकिन पार्टी के भीतर रहकर। यही कारण है कि बेशक वे जनता के बीच लगातार बने रहे लेकिन मुख्यत: पार्टी मंचों के माध्यम से ही। बाकी जहां तक नगर की समस्याओं का सवाल है, उन्हें लेकर वे मीडिया में मुखर रहे और सामाजिक संगठनों के मंचों से भी। इसका उन्हें ईनाम भी मिला। वे जिला संगठन में महामंत्री बनाए गए। यह उबलब्धि केवल उन्हीं के नाम लिखी गई कि वे वार्ड या मंडल संगठन में किसी पद पर रहे बगैर सीधे जिला महामंत्री पद पर पहुंचे। अब मसला 2027 का है। वे चुनावी राजनीति करना चाहते हैं और विधानसभा चुनाव उनके लक्ष्य पर है और 2026 विधानसभा चुनाव के लिए महत्वपूर्ण होगा। अक्षय प्रताप अपनी उपलब्धियों को आगे कैसे बढ़ाते हैं यह देखने वाली बात होगी।

जहां तक सवाल चेरब जैन का है, उनकी दिशा बताती है कि भाजपा टिकट के दावेदार हैं लेकिन यह भी लगता है कि, पार्टी उन्हें टिकट दे या न दे, उन्हें चुनाव लड़ना ही है। यही कारण है कि पार्टी की आवश्यकताओं को तो वे पूरा करते ही हैं लेकिन उनकी अपनी राजनीति व्यक्तिगत स्तर पर भी जारी है। फिलहाल तक नगर में आयोजित होने वाले किसी भी कार्यक्रम में शिरकत करने का अवसर वे नहीं गंवा रहे हैं। कथाओं-पूजाओं, जयंतियों, पुण्य-तिथियों, मेलों आदि में तो उनकी हाजरी है ही, वे स्वास्थ्य जांच शिविर आयोजित करने का अपना अभियान भी छेड़े हुए हैं। वे करीब एक दर्जन शिविर आयोजित कर चुके हैं और निश्चित लगता है कि 2026 में भी उनका अपना अभियान जारी रहेगा।