चुनावी संघर्ष में अकेले पड़ गए हैं कांग्रेस प्रत्याशी अकरम प्रधान
एम हसीन
पीरान कलियर। कलियर नगर पंचायत अध्यक्ष पद का संघर्ष अगर हाजरा बानो पत्नी अकरम प्रधान बनाम समीना खातून पत्नी सलीम प्रधान होता तो शायद स्थितियां सामान्य होती या फिर हाजी फुरकान बनाम हाजी शहजाद होती तो भी बात अधिक गंभीर न होती। लेकिन स्थितियां बदल गई हैं। एक ओर रामपुर नगर पंचायत अध्यक्ष पद के लिए अपनी पत्नी शाहजहां का नामांकन करा कर हाजी फुरकान अपने गृह ग्राम में उलझ गए हुए हैं और दूसरी ओर उत्साह के अतिरेक में कांग्रेस ने कलियर के चुनाव को अकरम प्रधान बनाम हाजी शहजाद बना दिया है जो बराबर की जोड़ी नहीं है।
हाजी शहजाद विधायक हैं। वे अभी तक कलियर में मात तो खाते आए हैं लेकिन विधायक हाजी फुरकान के सामने। लेकिन हालात अब सामान्य नहीं रहे। स्थितियां कितनी बदल गई हैं इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि अकरम प्रधान अपनी पत्नी के चुनाव प्रचार के लिए कांग्रेस की पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ी तोप सहारनपुर सांसद क़ाज़ी इमरान मसूद तक को लॉन्च कर चुके हैं। लेकिन वे निश्चिंत नहीं हैं। चुनाव का सारा दारोमदार झोझा बिरादरी की एकता और महमूदपुर पर आकर टिक गया है। हालत यह है कि झोझा बिरादरी में हुआ मामूली सा विभाजन या महमूदपुर में मतदाता की कांग्रेस के प्रति ज़रा सी भी बेरुखी बाजी को हाजी शहजाद के पक्ष में पलट सकती है। अकरम प्रधान की समस्या यह है कि निवर्तमान नगर पंचायत अध्यक्ष शफ़क़्क़त की पूरी कोशिश है कि उन्हें महमूदपुर में इतना समर्थन जरूर मिल जाए कि वे अपने गृह क्षेत्र मुकर्रबपुर में अपना पलड़ा भारी दिखा सकें और अकरम प्रधान को मुकाबले से बाहर करके खुद मुकाबले में आ सकें।
कलियर नगर पंचायत में औसतन तीन-तीन हजार मतदाताओं वाले तीन क्षेत्र मुकर्रबपुर, बेडपुर और महमूदपुर हैं जबकि चौथा क्षेत्र करीब 8 हजार मतदाताओं वाला कलियर है। कलियर क्षेत्र से चार प्रत्याशी, सलीम प्रधान, निवर्तमान सभासद नाजिम त्यागी, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष नाजिम कुरैशी के भाई राशिद कुरैशी और अकरम (होटल) हैं। शेष तीन क्षेत्रों से दो प्रत्याशी अकरम प्रधान और शफ़क़्क़त हैं। अकरम प्रधान और शफ़क़्क़त दोनों ही मुकर्रबपुर से आते हैं और दोनों दोनों ही बिरादरी से झोझा हैं। झोझा बिरादरी पूरे क्षेत्र में निवास करती है। तेली भी पूरे क्षेत्र में निवास करते हैं। तेली बिरादरी के दो प्रत्याशी सलीम प्रधान और अकरम (होटल) हैं। लेकिन चूंकि अकरम (होटल) को मुख्यधारा का प्रतिनिधित्व हासिल नहीं है, उन्हें किसी पार्टी का सहारा नहीं है, उनके पीछे किसी विधायक का हाथ नहीं है, इसलिए तेली बिरादरी में अब विभाजन की संभावना न के बराबर है। इस कारण विधायक हाजी शहजाद के बहनोई सलीम प्रधान चुनाव के एक कोण पर काबिज हो चुके हैं।
विधायक हाजी फुरकान के सानिध्य में मैदान में आए अकरम प्रधान शुरू से ही चुनाव का दूसरा कोण माने जा रहे हैं। लेकिन उनके माथे पर चिंता की रेखाएं शफ़क़्क़त पैदा कर रहे हैं। शफ़क़्क़त को किसी विधायक की शह हासिल नहीं है लेकिन राजनीति के वे भी मंजे हुए खिलाड़ी हैं। इसलिए बार-बार उभार लेते रहते हैं, जो अकरम के लिए दिक्कत का कारण बनते हैं। अकरम प्रधान की दूसरी दिक्कत हाजी फुरकान की व्यक्तिगत चुनाव में व्यस्तता बन गई है। वैसे कलियर में नाजिम त्यागी और राशिद कुरैशी की सक्रियता सलीम प्रधान पर भारी पड़ रही है। फिर भी तेली बिरादरी की एकता उनकी मजबूत बुनियाद बन गई है। अब बात झोझा बिरादरी की एकता पर है और इस पर है कि यह एकमुश्त अकरम प्रधान के हक में हो। अगर ऐसा न हुआ तो इस बार बाजी सलीम प्रधान मार सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो इसलिए होगा क्योंकि कांग्रेस ने चुनाव को अकरम प्रधान बनाम सलीम प्रधान नहीं रहने दिया। उसे अकरम प्रधान बनाम हाजी शहजाद बना दिया।