अंतिम स्क्रुटनी में पहुंची मेयर पद के दावेदारों की सूची

एम हसीन

रुड़की। रुड़की मेयर पद के लिए करीब 40 लोगों की सूची भाजपा कार्यालय में काट-छांटकर दो मुख्य और दो वैकल्पिक नामों में सीमित की जा चुकी है, ऐसा पार्टी सूत्रों का कहना है। सूत्रों के अनुसार स्थापित राजनीतिक पैमानों, यथा सबसे पहले प्रदेश और जिले के राजनीतिक-जातीय समीकरणों, फिर दावेदार की आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक हैसियत, उसका धर्म, जाति व वर्ग आदि पर मंथन कर बनाए गए पैनल के आधार पर अनुमान लगाया जा है कि भाजपा का टिकट रुड़की में वैश्य या राजपूत को जा सकता है। साथ ही वैकल्पिक स्थिति के लिए ब्राह्मण दावेदार का नाम भी सूची में शामिल किया गया है। अहम बात यह है कि अपनी जरूरत के लिए पार्टी किसी स्थिति में जैन दावेदार को वैश्य समुदाय की श्रेणी में भी रख कर टिकट दे सकती है लेकिन ऐसा तभी होगा जब किसी निगम में पंजाबी प्रत्याशी लाना उसकी मजबूरी बन जाएगी। यही स्थिति ब्राह्मण दावेदार की है। यह रुड़की के लिहाज से वैकल्पिक नाम है। अगर पार्टी की मजबूरी ब्राह्मण समुदाय में ही प्रत्याशी तलाशने की बनी तो यह इस बात का प्रमाण होगा कि भाजपा जिला हरिद्वार की 2027 की राजनीति अभी तय करने जा रही है। यह इस बात का सबूत भी होगा कि अब भाजपा 2027 का राजनीतिक रूप वह नहीं देखना चाहती जो अभी तक चलता आया है। ऐसा होगा या नहीं यह इसी बात से तय होगा कि पार्टी रुड़की में ब्राह्मण को अपना प्रत्याशी बनाती है या नहीं।

प्रदेश में 11 निगम हैं और इनमें से तीन निगम अनुसूचित जाति और पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित हैं। अब आठ निगम बचे हैं और भाजपा की बाध्यता मुख्य रूपी ब्राह्मण, राजपूत और वैश्य तथा वैकल्पिक रूप से जैन तथा पंजाबी वर्गों को थोड़ी-बहुत कमीबेशी के साथ प्रतिनिधित्व देने की है। जाहिर है कि मुख्य रूप से अगड़ा जातियां ये ही हैं। अल्पसंख्यकों में मुस्लिम को टिकट देने की पार्टी की बाध्यता नहीं है। चूंकि भाजपा धार्मिक-जातिवाद की राजनीति करती है इसलिए वह धार्मिक समूह में जातियों के आधार पर समीकरण बनाने की कोशिश कर सकती है। अब स्थिति यह है कि कुमाऊं के पहाड़ के निगमों में उसके लिए राजपूत को और गढ़वाल के मैदान के निगम में पंजाबी को तरजीह देना सुविधाजनक रहेगा। इसी प्रकार गढ़वाल के निगमों में उससे पहाड़ में ब्राह्मण और मैदान में वैश्य को प्रतिनिधित्व देना अपेक्षित रहा है। चूंकि पार्टी पहाड़ में वैश्य प्रत्याशी नहीं दे सकती इसलिए इस वर्ग को प्रतिनिधित्व देने के लिए उसके पास गढ़वाल में केवल रुड़की, चूंकि हरिद्वार आरक्षित है, निगम बचता है। चूंकि वैश्य को कुमाऊं के मैदानी निगम में भी प्रतिनिधित्व दिए जाने का विकल्प है, ऐसी स्थिति में रुड़की में जैन को ही वैश्य मानकर टिकट दिया जा सकता है। लेकिन विशेष परिस्थितियों में पार्टी रुड़की में राजपूत को भी टिकट दे सकती है, लेकिन यह होगा तभी जब कुमाऊं के किसी पहाड़ी निगम में उसका समीकरण किसी और जातीय समुदाय के साथ बन रहा होगा। यही स्थिति रुड़की में ब्राह्मण को भी भाजपा का टिकट दिला सकती है। लेकिन ऐसा हुआ तो यह हरिद्वार जनपद ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में राजनीतिक बदलाव के पार्टी के इरादे के तहत ही हो पाएगा।