नगर पंचायत के गठन में रही है अहम भूमिका, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के हैं करीबी

एम हसीन

रुड़की। इस नगर पंचायत को लेकर उदय पुंडीर के दावे की अहमियत इसलिए ज्यादा है क्योंकि उन्हीं के प्रयासों से इसका गठन हुआ था। यह 2016 की बात है जब सूबे में कांग्रेस की सरकार हुआ करती थी। 2014 तक हरीश रावत हरिद्वार के सांसद थे और इसी साल वे राज्य के मुख्यमंत्री बने थे। मुख्यमंत्री बनने के बाद हरीश रावत की सरकार ने ही इस नगर पंचायत का शासनादेश जारी किया था, जो हालांकि 2017 में बनी भाजपा सरकार में निरस्त कर दिया गया था। उसके बाद भाजपा सरकार ने दोबारा ढंढेरा को नगर पंचायत का दर्जा दिया था और अब इस पर पहला चुनाव होने जा रहा है।

इस नगर पंचायत क्षेत्र में हिंदू-मुस्लिम राजपूतों की संख्या खासी है और उनमें अनेक लोग समृद्ध भी हैं। इन्हीं में एक उदय पुंडीर भी हैं। जाहिर है कि उदय पुंडीर ने अपने आप को केंद्रित रखकर ही इस नगर पंचायत के गठन के प्रयास किए थे। लेकिन जब स्थितियां बदली थी तो वे विधानसभा की राजनीति में प्रवेश कर गए थे। उन्होंने 2022 के विधानसभा चुनाव में खानपुर सीट पर भी पार्टी टिकट के लिए दावेदारी की थी। तब उन्होंने लगभग एक साल तक लगातार जनसंपर्क अभियान भी चलाया था। लेकिन उनकी गतिविधियां केवल 2022 के मद्देनजर ही शुरू नहीं हुई थी। इससे पहले वे कोविड काल में व्यापक रूप से दुखीजनों के काम भी आए थे। तब उन्होंने परेशान लोगों के हर प्रकार से काम आकर दिखाया था। ये ही उदय पुंडीर यहां ढंढेरा नगर पंचायत अध्यक्ष पद के उम्मीदवार और कांग्रेस टिकट के दावेदार हैं। टिकट के दावेदार यहां और, मसलन राव मुन्ना, लोग भी हैं और वे राजपूत भी हैं। स्वाभाविक रूप से वे भी हरीश रावत के सीधे संपर्क में हैं। इसके बावजूद कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि उदय पुंडीर टिकट के मामले में बेहद कंफर्ट जोन में हैं।