दो तिहाई सितंबर गुजर जाने के बावजूद कम नहीं हो रही गर्मी
एम हसीन, रुड़की। अगर प्राचीन अवधारणाओं पर ऐतबार किया जाए तो एक कहावत है “सितंबर यानि सितमगर।” ऐसा इसलिए कहा जाता था, क्योंकि सितंबर में बारिश की झड़ियां बहुत लगती थी और क्योंकि तब मकान व रास्ते कच्चे होते थे तो बहुतेरे मकान गिर जाते थे। इसके अलावा रास्तों पर स्थाई रूप से कीचड़ पानी-भरा रहता था। ऐसी ही एक कहावत सितंबर के हिंदी नामकरण के साथ भी जुड़ी हुई थी। शास्त्रों की भाषा में इस महीने को आश्विन कहा जाता है और आम लोगों की भाषा में इसे असौज कहा जाता है। कहावत यह है कि “असौज निराला, दिन में धूप, रात को पाला।” ऐसा इसलिए कहा जाता था क्योंकि तब भले ही दिन में धूप निकल कर गर्मी हो जाती रही हो लेकिन रात हर हाल में ठंडी हो जाती थी। वैसे मध्य सितंबर तक तापमान में आमतौर पर गिरावट आ ही जाती थी। दिन में भी क्योंकि आसमान पर बदलियां मंडराती रहती थी, पूर्वाईयां चलती रहती थीं, इसलिए गर्मी बहुत ज्यादा नहीं होती थी। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो रहा है।
अगर हाल में कुछ दिन चली रिम झिम को न गिना जाए तो झड़ियां तो लगी ही नहीं। अभी तक ऐसा भी नहीं हुआ कि किसी एक ही दिन भारी बारिश हो गई हो। वैसे पिछले तीन दशकों में अगर 2023 को छोड़ दिया जाए तो रुड़की में भारी बारिश होने का रिकॉर्ड सितंबर के महीने में ही, वह भी तीसरी तिहाई में, होने का बनता रहा है। यह लेकिन अलग बात है। अहम यह है कि इस बार न तो सितंबर में झड़ियां लगी और न ही अभी तक भारी बारिश हुई। यही कारण है कि तापमान में वैसे गिरावट दर्ज नहीं हो पा रही है जैसे आमतौर पर, प्राचीन काल में खासतौर पर, दर्ज होती रही है। वैज्ञानिक इसे स्वाभाविक रूप से ग्लोबल वार्मिंग से जोड़कर ही देखेंगे और सच है भी यही। इसी परिप्रेक्ष्य में यह भी सच है कि इस बार मौसम बदलाव का कोई इशारा नहीं दे रहा है। अभी तक स्थिति यह है कि भवनों के अंदर जो तापमान दिन के दोपहर में होता है, मामूली कमी के साथ वही मध्य रात्रि में भी होता है। जिस मौसम में लोग पंखे की रफ्तार को भी कम करने की अपेक्षा कर रहे हैं, ए सी कूलर पर कवर चढ़ा कर रख देने की अपेक्षा कर रहे हैं उस मौसम मध्य रात्रि के बाद भी ए सी चलाए रखने के हालात हैं। हालांकि अगले 10 दिनों में लौटता हुआ मानसून अगर ढंग से बरस गया तो बदलाव मौसम में आएगा भी एकदम, लेकिन जब तक ऐसा नहीं होता तब तो लग नहीं रहा कि इस बार गर्मी जायेगी, खुशनुमा मौसम आएगा।