एम हसीन

मंगलौर। मत परिणाम आने में 24 घंटे शेष रहते मंगलौर में बदलाव की हवा बहती महसूस हो रहा है। यह कमाल की बात है कि बसपा के समर्थक मतदाता अपने आपको दूसरे नंबर पर मान रहे हैं और कांग्रेस समर्थक मतदाता अपना दूसरा नंबर बता रहे हैं। पहले नंबर पर दोनों ही दलों के समर्थक भाजपा को बता रहे हैं। बताया जाता है कि क्षेत्र के सट्टा बाजार में भी सट्टा इसी बिंदु पर लग रहा है कि दूसरे नंबर पर कौन है। पहले नंबर पर कौन है, इस सवाल पर कोई बहस होती दिखाई नहीं दे रही है।

मंगलौर विधान सभा क्षेत्र में उप चुनाव के लिए वोट गत 10 जुलाई को डाले गए थे और मतगणना 13 जुलाई को अर्थात कल होनी है। इससे पहले तमाम कयासआरायियों के बीच राजनीतिक गतिविधियां भी जारी है। जिला प्रशासन जहां मतगणना की तैयारियां कर रहा है वहीं प्रत्याशी भी अपने मतगणना अभिकर्ता बनाने में जुटे हुए हैं। साथ ही कांग्रेसी अभी भी सरकार की गतिविधियों के प्रति आशंकाएं जाहिर कर रहे हैं। प्रत्याशी क़ाज़ी निज़ामुद्दीन और उनके हनुमान झबरेड़ा विधायक वीरेंद्र जाती ने मतदान दिवस पर लिब्बेरहेडी में हुई हिंसा और कस्बे के मतदान केंद्र पर पुलिसकर्मी द्वारा मतदाता को धकियाए और गरियाए जाने की घटना के आधार पर सरकार पर लोकतंत्र की हत्या का आरोप लगाया है मतगणना के संदर्भ में सरकार और प्रशासन की नीयत पर सवालिया निशान लगाया है। इस क्रम में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करण माहरा ने देहरादून में और उनके सुर में सुर मिलाते हुए महानगर कांग्रेस अध्यक्ष एडवोकेट राजेंद्र चौधरी ने मतदान केंद्र संख्या 53 और 54 पर पुनर्मतदान की मांग की है।

इस बीच मतदाता के बीच परिणाम की लेकर बहसें जारी हैं। निचले स्तर पर विचारने के बाद यह अहसास होता है कि सट्टा बाजार में दूसरे नंबर पर रहने वाले प्रत्याशी के नाम पर दांव लग रहे हैं। कमाल की बात यह है कि सट्टा भी हिंसा और पुलिसकर्मी द्वारा अंजाम दी गई घटना के आधार पर ही लग रहा है। कांग्रेस बसपा दोनों ही मानते हैं कि इन दोनों घटनाओं के बाद ध्रुवीकरण हुआ लेकिन दोनों ही मानते हैं कि ध्रुवीकरण उनके पक्ष में हुआ। यह अलग बात है कि इस सब पर भाजपा में खामोशी है। पार्टी प्रत्याशी से लेकर पदाधिकारियों तक सब अपनी जीत पक्की मान रहे हैं लेकिन पूरी शांति के साथ, खामोश रहकर।