भाजपा की मजबूती से संघर्ष हुआ और अधिक तीखा
एम हसीन
मंगलौर। इस सीट पर उप चुनाव संपन्न हो गया है और अब नतीजे का इंतजार है। चुनाव आयोग द्वारा जारी किए गए शुरुआती आंकड़े के मुताबिक कुल 69.76 प्रतिशत रहा। जाहिर है कि इसमें संशोधन की अभी गुंजाइश है।
बहरहाल, मतगणना, जो कि 13 जुलाई को होगी और स्वाभाविक रूप से सुबह की बेला में कुछ ही घंटों में परिणाम आ जायेगा, से पूर्व अब नतीजों पर बहस शुरू हो गई है। मेरे लिए यह तय करना अभी भी बहुत मुश्किल है कि सीट किसके कब्जे में जा रही है क्योंकि मेरा जोर अभी भी चुनाव के मॉडल पर और कांग्रेस की अति आक्रामकता पर है। मैं ने पहले ही कहा था कि किसी की जीत का दावा करना आसान नहीं है क्योंकि मतदान 2024 के लोकसभा चुनाव के मॉडल पर नहीं बल्कि 2022 के चुनावी मॉडल पर हुआ। अर्थात मुकाबला सीधा नहीं बल्कि त्रिकोणीय हुआ। मतदान प्रारंभ होते ही यह स्पष्ट हो गया था कि मतदाता पुरानी परिपाटी पर ही मतदान कर रहा था; अर्थात थोड़े बहुत विभाजन के साथ ही बसपा अंसारी और दलितों के बीच मजबूती से खड़ी थी। इसी प्रकार जाट बेल्ट में कांग्रेस की उपस्थिति बेहद मजबूती से बनी हुई थी और मुस्लिम मतों के बीच भी वह अपने समर्थक वर्ग के बीच मजबूत स्थिति में थी। ठीक इसी प्रकार अन्य पिछड़ा वर्ग की सैनी, कश्यप, पाल और प्रजापति, शिल्पकार, धोबी आदि के अलावा दलित समुदाय की बाल्मीकि जातियों में भाजपा का मजबूत आधार दिख रहा था। लेकिन जाट समुदाय के बीच उसका आधार उतना अधिक मजबूत नहीं हो पाया था जितना दावा किया जा रहा था। और तो प्रत्याशी की अपनी जाति गुर्जर में भी विभाजन साफ दिखाई दे रहा था। इसी प्रकार मुस्लिम तेली बिरादरी में जैसी मजबूती शुरुआती दौर में कांग्रेस के प्रति दिख रही थी वैसी मतदान के समय दिखाई नहीं दी। इसके एक बड़े भाग पर बसपा का जादू चलता दिखाई दिया। इसी प्रकार मुस्लिम झोझा बिरादरी पर भी कांग्रेस का एकमुश्त प्रभाव दिखाई नहीं दिया।
मतदान में भाजपा की हिस्सेदारी बढ़ी यह केवल इसी बात से जाहिर नहीं है कि प्रत्याशी ने ऐसा करने के लिए सारे तरीके अपनाए बल्कि कांग्रेसियों के उन आरोपों से भी जाहिर हुई जो वे “सत्ता का दुरुपयोग हो रहा है” कहकर दिनभर लगाते रहे। प्रत्याशी की दिन भर की पुलिस के साथ हुई झड़पों ने भी बताया कि भाजपा खुद को त्रिकोण में लाने के लिए नहीं बल्कि मुख्य मुकाबले में लाने के लिए बजिद्द थी। उसके प्रयास कम से कम इतना असर तो अवश्य दिखाएंगे कि वह चुनाव में पहले से कहीं अधिक मजबूत दिखेगी। लेकिन वह जीत पाएगी यह कहना आसान नहीं है। असल बात यह कि उसकी मजबूती ने चुनाव के त्रिकोण को और अधिक क्रुशल बना दिया है। देखना दिलचस्प होगा कि यहां जीत की माला किसके गले में डलती है!