कहीं नगर विधायक को यह तो नहीं लग रहा कि उनके मामले में पॉलिटिकल ट्रेन प्लेटफॉर्म छोड़ चुकी है?
एम हसीन
रुड़की। संभवत: ऐसा पहली बार हो रहा है जब प्रदीप बत्रा अपने किसी विरोधी को मानहानि का नोटिस देने की तैयारी कर रहे हैं। उनके घोषित विरोधी पार्षद विनीत त्यागी बताए गए हैं और मामला बताया गया है कि होटल सत्यम पैलेस वाला है। जैसा कि खबरों में बताया गया है कि प्रदीप बत्रा विनीत त्यागी को मानहानि नोटिस देने की तैयारी कर रहे हैं। साथ ही ऐसे अन्य तमाम लोगों को भी चिन्हित कर रहे हैं जिन्होंने सत्यम पैलेस की मिल्कियत को उनसे जोड़कर उनके खिलाफ अभियान चलाया और उन्हें होटल में चल रहे कथित प्रॉस्टीट्यूशन रैकेट का संरक्षक बताया। सवाल यह है कि ऐसा क्यों हो रहा है? क्या भाजपा के भीतर प्रदीप बत्रा के विरोधी बदल गए हैं या उनके अपने ही उनके लिए कुंवे खोदने पर आ गए हैं?
समाज में प्रदीप बत्रा का नाम बहुत प्रतिष्ठित नहीं है और कभी ऐसा लगा भी नहीं कि उन्हें इसकी परवाह रही हो। जब सामाजिक प्रतिष्ठा और पैसा कमाने के दो विकल्प उनके सामने खुले तो उन्होंने दूसरा विकल्प चुना। उन्होंने अभी तक का अपना राजनीतिक सफर एक मस्त हाथी की चाल चलते हुए तय किया है। इस दौरान उन्होंने तमाम ऐसे काम खुलेआम किए जिनसे उन्हें अपार धन-संपदा की प्राप्ति हुई, लेकिन जिन्हें लेकर समाज में सवाल भी उठे। पर उन्होंने किसी बात की परवाह नहीं की। उल्टे समाज, राजनीति और पत्रकारिता में उनके कितने ही ऐसे विरोधियों को इस दौरान उनके दर पर सजदा करना पड़ा जिनकी इच्छा धन-संपदा अर्जित करने की थी। प्रदीप बत्रा ने ऐसे तमाम लोगों को सहारा भी दिया, आसरा भी दिया, पनाह भी दी। उन्हें अपने पास बैठने का मौका भी दिया। लेकिन इस बार प्रदीप बत्रा अगर विनीत त्यागी को नोटिस देने की तैयारी कर रहे हैं तो इसका साफ अर्थ है कि वे इस बार फिक्रमंद हैं। बावजूद इस सच के, कि इस बार मीडिया की कलम उनके खिलाफ व्यापक रूप से नहीं चल रही है। अतीत में उनके कट्टर विरोधी और मुखर आलोचक रह चुके पत्रकार या तो उनके पक्ष को उजागर कर रहे हैं या फिर खामोश हैं। इसके बावजूद बत्रा फिक्रमंद हैं। जाहिर है कि ऐसा बेवजह तो है नहीं।
दरअसल, बत्रा इस बात को समझ रहे हैं कि इस बार उनके विरोधी उनके खिलाफ बदली रणनीति से काम कर रहे हैं। जैसा कि सब जानते हैं कि 2022 के विधानसभा चुनाव में प्रदीप बत्रा के विरोधी उनके टिकट पर संकट खड़ा नहीं कर पाए थे। तब बत्रा का खुला विरोध तो बहुत हुआ था, नितिन शर्मा ने उनके खिलाफ पार्टी में टिकट भी मांगा था। लेकिन किसी भी सूरत में उनके टिकट को खरोंच नहीं आई थी। बाकी काम आसान था। भले ही रुड़की की सारी भाजपा उन्हें हरा रही थी लेकिन ऊपरी भाजपा की, पार्टी नेतृत्व की, मजबूरी बन गई थी, उन्हें जीत दिलवाना। वे चुनाव जीत गए थे।
इससे उनके विरोधियों ने भी यह सबक लिया था कि अगर प्रदीप बत्रा के पास भाजपा का टिकट हो तो उन्हें जनता के बीच जाकर चुनाव नहीं हराया जा सकता। यही कारण है कि इस बार निशाना उनके टिकट पर है। दूसरी बात यह है कि इस बार ऊपरी भाजपा के भीतर न केवल उनका समर्थन घट गया है बल्कि उनके विरोधी भी बदल गए हैं। बताया तो यहां तक जा रहा है कि इस बार रुड़की सीट पर भाजपा टिकट की प्रतिस्पर्धा बहुत ऊपर के नेताओं के बीच, वहां जाकर, सिमट गई है जहां प्रदीप बत्रा कहीं हैं ही नहीं। बेशक बत्रा इन हालात से बेखबर नहीं हैं। लेकिन चूंकि वे सीटिंग एम एल ए हैं, इसलिए उनके विरोधी बड़े खलीफाओं को भी कुछ तो ऐसा करना ही पड़ेगा जिससे उनका टिकट कटवाया जा सके। होटल सत्यम पैलेस ऐसा ही काम है। बत्रा की विडंबना यह है कि इस मामले को लेकर वे कानूनी तौर पर भले ही मजबूत हों लेकिन सामाजिक रूप से मजबूत नहीं हैं। सामाजिक स्थिति मतलब, बत्रा इस सच को तो नकार सकते हैं कि होटल उनका है लेकिन वे इस सच को नहीं नकार सकते कि होटल उनके साढू प्रमोद मिगलानी का है। वे इस सच को तो नकार सकते हैं कि ठेके के आधार पर होटल का संचालन प्रशांत राणा नहीं कर रहा था लेकिन इस सच को नहीं नकार सकते कि प्रशांत राणा उनका खास है। होटल से जो सेक्स रैकेट पकड़ा गया उसमें अगर प्रदीप बत्रा के निकट लोग शामिल हैं यह सोच जनता के बीच परवान चढ़ी तो टिकट के मामले में प्रदीप बत्रा का मजबूत कानूनी पक्ष उनके किस काम आयेगा? इसी चीज को ध्वस्त करने के लिए बत्रा विनीत त्यागी को मानहानि का नोटिस देने जा रहे हैं और यही उनके फिक्रमंद होने का प्रमाण है।