ट्रिपल इंजन की सरकार का दिखाई नहीं दिया तीसरा इंजन!

एम हसीन

रुड़की। भाजपा का यह दावा है कि रुड़की की जनता ने पार्टी का मेयर बनाकर डबल इंजन की सरकार में एक और इंजन जोड़ दिया है और उसे ट्रिपल इंजन की सरकार बना दिया है। इसका रुड़की नगर को बहुत लाभ होगा और यहां विकास की गति ज्यादा होगी।

अगर तकनीकी रूप से देखा जाए तो यह दावा ठीक है। लेकिन अगर व्यवहारिक रूप से देखा जाए तो इसमें रत्ती भर सच्चाई नजर नहीं आती। व्यवहार यह है कि निकाय को राज्य से जोड़ने वाला दूसरा इंजन, विधायक प्रदीप बत्रा, तो चलो मेयर अनीता अग्रवाल के साथ जुड़ा हुआ दिखाई दे रहा है लेकिन स्थानीय सरकार को केंद्र से जोड़ने वाला तीसरा राजनीतिक इंजन, सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत, तो कहीं जुड़ा हुआ दिखाई नहीं दे रहा है। राज्य की भी सच्चाई यूं है कि विधायक तो मेयर के साथ, जैसा कि उनकी आदत या जरूरत है, एक्सपोज नहीं बल्कि सुपर एक्सपोज हो रहे हैं लेकिन जिले की व्यवहारिक राजनीतिक शक्ति, मिनी चीफ मिनिस्टर यतीश्वरानंद, कहीं जुड़ी हुई दिखाई नहीं दे रही है। कम से कम शपथ ग्रहण तक की सच्चाई तो यही है।

रुड़की मेयर चुनाव में स्थिति बड़ी दिलचस्प दिखाई दी थी। यहां पूर्व सांसद डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ऐसी कोयल के रूप में दिखाई दिए थे जो अपने बच्चे दूसरे पक्षी के घोंसले में रखकर पलवा लेती है। सब जानते हैं मेयर अनीता अग्रवाल के कारोबारी पति ललित मोहन अग्रवाल लंबे समय से डॉ निशंक के संपर्क में थे। जब मेयर पद महिला के लिए आरक्षित हो गया तो इन्हीं संपर्कों के नतीजे के तौर पर ललित मोहन अग्रवाल की पत्नी अनीता देवी अग्रवाल को मेयर टिकट मिला। यूं डॉ निशंक ने नगर को मेयर टिकट दिया और अनीता देवी अग्रवाल को मेयर बनाने की जिम्मेदारी यतीश्वरानंद और प्रदीप बत्रा के ऊपर छोड़कर वे खुद किनारे हो गए। चूंकि मेयर पद जीतना मुख्यमंत्री के लिए जरूरी था तो इस मामले में जो कुछ किया यतीश्वरानंद ने किया। उन्होंने दिनरात मेहनत कर अनीता देवी अग्रवाल की जीत की बुनियाद रखी। यह भी साफ दिखा कि चुनाव अभियान में ही सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत की तो कोई खास मदद ली ही नहीं गई थी और इस मामले में प्रदीप बत्रा ने जो भूमिका अदा की थी उससे भी सबसे बेहतर तरीके से ललित मोहन अग्रवाल ही वाकिफ हैं। ऐसे में इस बात की अहमियत अधिक हो जाती है कि शपथ ग्रहण समारोह में या तो डॉ निशंक दिखाई दिए या फिर प्रदीप बत्रा। थे तो वहां जिला अध्यक्ष शोभाराम प्रजापति भी लेकिन उनके बारे में तो सब जानते हैं कि वे डॉ निशंक की पौध हैं। इसी प्रकार शपथ ग्रहण समारोह में मौजूद रहे जिला पंचायत अध्यक्ष किरण चौधरी की तो यूं है कि वे पौध तो डॉ निशंक की ही हैं लेकिन वे जितना सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ दिखाई देते हैं उतना ही यतीश्वरानंद के साथ भी दिखते हैं और उतना ही डॉ निशंक के साथ भी। चूंकि उनका अपना कोई राजनीतिक प्रभाव नहीं है इसलिए वे किसी को नाराज़ ही नहीं कर पाते। बहरहाल, उनकी और जिलाध्यक्ष दोनों की ही स्थानीय सरकार के मामले में इंजन के तौर पर कोई भूमिका नहीं है। इसलिए उनकी उपस्थिति या अनुपस्थिति गंभीर मामला नहीं बनता। सवाल सांसद की अनुपस्थिति का है। उनकी गैर-मौजूदगी ही इस सवाल को जन्म देने के लिए काफी है कि ट्रिपल इंजन की सरकार का तीसरा इंजन कहां है?