सामाजिकता कायम रखने को पहला दायित्व मान रही नव-निर्वाचित नगर पंचायत अध्यक्ष

एम हसीन

झबरेड़ा। भले ही खानपुर विधायक उमेश कुमार के बहाने क्षेत्र या जिले का ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश और देश का गुर्जर अपने प्रभुत्व को कायम रखने का नाकाम संघर्ष करता हुआ दिखाई दे रहा हो, लेकिन एक गंभीर संघर्ष झबरेड़ा में भी जारी है जो है तो गुर्जर बिरादरी, बल्कि एक परिवार, का भीतरी संघर्ष लेकिन जिसकी आंच से क्षेत्र का पूरा समाज तपता हुआ महसूस हो रहा है। इस बात को झबरेडा की नव-निर्वाचित नगर पंचायत अध्यक्ष किरण गौरव चौधरी भी महसूस कर रही हैं, यह उनके प्रथम वक्तव्य से जाहिर है।

शपथ ग्रहण करने के तत्काल बाद उन्होंने उपस्थितजनों से आग्रह किया कि लोग सोशल मीडिया पर बेवजह की टिप्पणियां करने से बचें, उन्हें नजर अंदाज करें और मिलजुल कर क्षेत्र की समस्याओं के निवारण में अपना योगदान दें। उन्होंने जारी परिस्थितियों के प्रति लोगों की सक्रियता को दिशा देने के लिए शपथ ग्रहण के फौरन बाद कामकाज शुरू करते हुए सफाई व्यवस्था पर फोकस किया और राष्ट्रीय आस्था के प्रतीक झंडा चौक आदि के प्रति पूर्ण सम्मान की भावना को कायम रखने का आह्वान किया।

जैसा कि सब जानते हैं कि झबरेड़ा भी उसी प्रकार गुर्जर समुदाय के एक अंग की आस्था का केंद्र बिंदु है जैसे लढ़ौरा है। लंढौरा गुर्जर राजाओं की कर्म स्थली रहा है तो झबरेडा गुर्जर चौधरियों की कर्मस्थली है। संवैधानिक प्रावधानों के तहत भले ही इन सारी चीजों का अब महत्व समाप्त हो गया है, लेकिन समाज के एक हिस्से में अब भी इन व्यवस्थाओं के प्रति सम्मान की भावना बाकी है। यही कारण है कि 2022 के एक अपवाद के अलावा प्रणव सिंह कैंपियन लक्सर-खानपुर सीट पर कभी चुनाव हारे नहीं, उन्हें कभी कोई गुर्जर भी चुनाव नहीं हरा पाया। यही स्थिति झबरेड़ा की है। यहां कभी कोई चौधरी परिवार को हराना तो दूर उनके सामने कभी ढंग से चुनाव लड़ भी नहीं पाया। यह अलग बात है कि पिछले दशक से चौधरी परिवार में ही बिखराव है और इसी कारण दोनों के भीतर टकराव है। हाल के चुनाव में यही टकराव सामने आया जब भाभी, किरण गौरव चौधरी, ने देवर, मानवेंद्र सिंह, को हराया। चूंकि नगर पंचायत अध्यक्ष पद के बहाने लड़ाई चौधराहट की भी लड़ी गई इसलिए कोई बड़ी बात नहीं कि यहां चुनाव सामान्य नहीं हुआ और चुनाव अभियान के दौरान जो कुछ हुआ उसका प्रभाव यहां के समाज पर साफ नजर आ रहा है। बहरहाल, अब किरण गौरव चौधरी ने एक नए अध्याय की शुरुआत की है। उन्हें विपक्ष का सहयोग शायद नहीं मिल पाएगा। और इन्हीं हालात में उन्हें अपनी यात्रा पूरी करनी है। उन्हें शुभकामनाएं।