पत्नी नगर पंचायत अध्यक्ष पद जीती तो जाएंगे बड़े चुनाव में

एम हसीन।

झबरेडा। झबरेडा नगर पंचायत अध्यक्ष पद के लिए यहां कस्बे में दिलचस्प और स्तब्ध बनाए रखने वाला संघर्ष जारी है। भाजपा के टिकट पर निवर्तमान अध्यक्ष मानवेंद्र सिंह मैदान में हैं जबकि कांग्रेस के टिकट पर पूर्व में नगर पंचायत अध्यक्ष रह चुके डॉ गौरव की पत्नी किरण गौरव चौधरी चुनाव लड़ रही हैं। किसी तीसरे प्रत्याशी की यहां उपस्थिति नहीं है। लेकिन यह केवल इसी सीट पर नजर आ रहा है कि जिन हितेश शर्मा ने भाजपा का टिकट मांगा था वे प्रत्याशी घोषित हो जाने के बाद मानवेंद्र सिंह के दांए खड़े हैं। इसी प्रकार जिन राव कुर्बान अली ने कांग्रेस का टिकट मांगा था वे भी प्रत्याशी के साथ खड़े हैं। यहां दलीय आधार पर प्रत्याशी का विरोध या भीतरघात न भाजपा में दिखाई दे रहा है और न ही कांग्रेस में। इस स्थिति ने भी मुकाबले को दिलचस्प बनाया है।

बहरहाल, दोनों ही प्रत्याशियों का अपना-अपना कैंडिडेचर है और अपना-अपना इतिहास है। मसलन, लंबे समय तक झबरेडा नगर पंचायत अध्यक्ष पद इकबालपुर के पूर्व विधायक चौधरी यशवीर सिंह के पारिवारिक नियंत्रण में रहा है। जब तक वे बड़ी राजनीति में नहीं गए थे तब तक वे खुद नगर पंचायत अध्यक्ष होते थे। जब वे विधायक बन गए थे तो नगर पंचायत उन्होंने अपनी पत्नी श्रीमती सुभाष चौधरी को सौंप दी थी। 10 साल अध्यक्ष रहने के बाद उन्होंने नगर पंचायत अपने पुत्र डॉ गौरव को सौंप दी थी, जिन्हें जनता ने दूसरा टर्म नहीं दिया था। वे अपने चचाजात भाई मानवेंद्र सिंह के सामने हार गए थे। मानवेंद्र सिंह ने पहला चुनाव 2018 में लड़ा था और वे जीत गए थे। वे एक प्रकार से अपने पिता चौधरी कुलवीर सिंह के वारिस के रूप में सामने आए थे जो 1989 में यहां के एक बार अध्यक्ष चुने गए थे और फिर विधानसभा की राजनीति में जाने के बाद उन्होंने 1995 का चुनाव नहीं लड़ा था। 20 साल बाद मानवेंद्र सिंह ने उनकी विरासत सम्भाली थी। इस प्रकार अब दोनों के ही सामने नगर पंचायत में वापसी का सवाल है।

जहां तक सवाल डॉ गौरव का है तो वे भी बड़ी राजनीति में जाने के इच्छुक रहे हैं। उन्होंने 2012 का विधानसभा चुनाव लड़ा भी था। लेकिन 2017 में वे खुद नहीं बल्कि उनके पिता ही लड़े थे। हालांकि फिलहाल डॉ गौरव की सर्वोच्च प्राथमिकता अपनी पत्नी को नगर पंचायत अध्यक्ष पद का चुनाव जितवाना है। लेकिन यह बहुत मुमकिन है कि निकाय में वापसी के बाद वे एक बार फिर विधानसभा की राजनीति की ओर जाएं।