कलियर क्षेत्र में क़ाज़ी इमरान मसूद, क़ाज़ी निज़ामुद्दीन, अनुपमा रावत और वीरेंद्र जाती तक ने मांगे कांग्रेस के लिए वोट

एम हसीन

पीरान कलियर। महिला सीट होने के कारण अपनी पत्नी पूर्व प्रधान हाजरा बानो को बतौर कांग्रेस प्रत्याशी बनाकर मैदान में आए अकरम प्रधान अपने जीवन का सबसे महत्वपूर्ण चुनाव लड़ते हुए नजर आ रहे हैं। वे जानते हैं कि उनके पास जीतने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है, इसलिए उन्होंने प्रचार में अपनी पूरी ताकत लगाई हुई है। विभिन्न जातियों की बहुलता वाली इस सीट पर हालांकि अकरम प्रधान के सजातीय मतों की संख्या सबसे ज्यादा, करीब साढ़े 4 हजार है, लेकिन वे केवल इसी आधार पर चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। वे उन जातियों पर भी बराबर फोकस कर रहे हैं जिनके यहां प्रत्याशी नहीं हैं या जिनके उनके सीधे प्रतिद्वंदी के पास जाने की संभावना है।

मसलन, यहां अनुसूचित वर्ग के मतों की कुछ संख्या है। यह बसपा का मतदाता माना जाता है और बसपा प्रत्याशी न केवल यहां है बल्कि अकरम प्रधान के सीधे मुकाबले में है। फिर बसपा प्रत्याशी को लक्सर के बसपा विधायक हाजी शहजाद का पूरा सहयोग हासिल है इसलिए अकरम प्रधान ने कांग्रेस के झबरेड़ा विधायक वीरेंद्र जाती को लाकर अनुसूचित जाति मतों को आकर्षित करने का प्रयास किया।

इसी क्रम में महमूदपुर और कलियर में शेखजादा (क़ाज़ी) मत प्रभावी संख्या में हैं। इन मतों को आकर्षित करने के लिए अकरम प्रधान ने न केवल सहारनपुर के कांग्रेस सांसद क़ाज़ी इमरान मसूद की यहां सभा कराई बल्कि उन्होंने मंगलौर के कांग्रेस विधायक क़ाज़ी निज़ामुद्दीन को भी प्रचार करने के लिए बुलाया। इस क्रम में उन्होंने राव बिरादरी के मतों को आकर्षित करने के लिए पार्टी की राजपूत विधायक अनुपमा रावत को बुलाया। साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के खास माने जाने वाले कांग्रेसी राव आफाक अली को भी बुलाया। उनके सजातीय स्थानीय कांग्रेस विधायक हाजी फुरकान तो उनके साथ हैं ही। अहमियत इस बात की है कि किसी नगर पंचायत में किसी पार्टी प्रत्याशी ने इतने बड़े पैमाने पर बाहरी अतिथियों को नहीं बुलाया। यही इस बात का प्रमाण है कि वे इस चुनाव को अपने लिए कितना महत्वपूर्ण मान रहे हैं। ऐसा माना जाना स्वाभाविक भी है। वे मुकर्रबपुर के पूर्व प्रधान हैं जो कि अब कलियर नगर पंचायत का हिस्सा है। इसी बदलाव के कारण अकरम प्रधान के सामने प्रधानी का रास्ता बंद हुआ और चेयरमैन बनने का रास्ता खुला। वे पिछला चुनाव भी लड़े थे लेकिन तब जीत शफ़क़्क़त प्रधान को मिली थी। तब उन्हें विधायक हाजी फुरकान का खामोश समर्थन मिला था। लेकिन इस बार विधायक का खुला समर्थन टिकट के रूप में अकरम प्रधान को मिला है। अकरम प्रधान ने अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए जो भी कुछ उनके लिए संभव था वह किया। अब इंतजार 23 को मतदान का है ताकि 25 को मतगणना हो सके और अकरम प्रधान के भाग्य का खुलासा हो सके।