हर हाल में नगर पंचायत अध्यक्ष पद जीतने का इरादा
एम हसीन
ढंडेरा। नगर पंचायत अध्यक्ष पद के लिए कांग्रेस प्रत्याशी ने प्रचार के अंतिम चरण में पहुंचने पर अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। हर हाल में चुनाव जीतने का इरादा लेकर वे लोगों से लगातार जन-संपर्क कर रहे हैं। उनके समर्थक जी-जान से उन्हें विजयी बनाने का प्रयास कर रहे हैं।
ढंडेरा उन नगर पंचायत सीटों में से एक है जिसपर राजपूत मत उल्लेखनीय हैं। उदय पुंडीर इस सीट पर राजपूतों से ही टकरा रहे हैं। उनके मुकाबले के लिए भाजपा ने यहां रवि राणा को अपना प्रत्याशी बनाया है जिन्हें पूर्व सांसद डॉ रमेश पोखरियाल निशंक का खास आदमी माना जाता है और बसपा ने मुस्लिम राजपूत राव फुरकान को मैदान में उतारा है। खुद उदय पुंडीर राजपूत हैं ही। अहम बात यह है कि राजपूत प्रत्याशी यहां और भी हैं। मसलन, भाजपा के बागी देवेंद्र उर्फ बबलू राणा, जितेंद्र राणा उर्फ टीटा राणा, राव तजम्मुल और राव आरिफ भी राजपूत ही हैं। मजेदार बात यह है कि एक अन्य बागी सतीश नेगी भी राजपूत भी हैं, हालांकि उनका चुनाव में दावा राजपूत के तौर पर कम बल्कि पर्वतीय मूल का प्रत्याशी होने पर ज्यादा है। इसी प्रकार बबलू राणा का मुख्य दावा राजपूत होने पर नहीं बल्कि पूर्व सैनिक होने पर है जिनकी यहां उल्लेखनीय संख्या है। इनमें पर्वतीय मूल के पूर्व सैनिक भी शामिल हैं और मैदानी मूल के पूर्व सैनिक भी। इस मामले में अहमियत इस बात की है कि उदय पुंडीर भी पूर्व सैनिक परिवार से ही हैं हालांकि वे खुद पूर्व सैनिक नहीं हैं अपितु पूर्व सैनिक परिवार से हैं।
अब यहां जो तस्वीर बन रही है वह यह है कि स्थानीय निवासी होने और लोगों के साथ नजदीकी होने के कारण उदय पुंडीर स्वाभाविक रूप से एक प्रभावशाली व्यक्तित्व लेकर चुनाव में आए हैं। फिर उनका सेवाभाव और उनके द्वारा कराए गए कार्य उनकी अलग पहचान बन गई है। पूर्व सैनिक परिवार से होने के नाते उनकी घुसपैठ पूर्व सैनिकों में भी है जिसका उन्हें लाभ मिल रहा है। अशोक नगर और मिलाप नगर आदि पूर्व सैनिकों और पर्वतीय मूल के मतदाताओं में उन्हें अच्छा रिस्पॉन्स मिलते हुए देखा गया है। दूसरी ओर स्थिति मुस्लिमों की है। जैसा कि यहां का डेमोग्राफ है, मुस्लिमों में मुख्य रूप से यहां पिछड़े वर्ग की जातियां निवास करती हैं जिनमें कई लोग रोजगार और कारोबार के मामले में राजपूतों पर निर्भर करते हैं। अब चूंकि कोई गैर-राजपूत मुस्लिम प्रत्याशी नहीं है इसलिए इनका मुख्य हिस्सा इन्हीं तीनों मुस्लिम प्रत्याशियों में विभाजित होना लाजमी है, अलबत्ता अन्य प्रत्याशी भी इनमें कुछ न कुछ हिस्सा बांटेंगे ही। यूं मुस्लिम समुदाय में मुस्लिम राजपूत प्रत्याशियों के बाद सबसे बड़ा हिस्सा बांटने वाले प्रत्याशी उदय पुंडीर होंगे। कारण केवल उनका कांग्रेसी होना नहीं बल्कि उनका व्यावहारिक होना भी है। यही स्थिति अनुसूचित जाति और पिछड़े वर्ग के मतदाताओं पर लागू होती है। वहां तीन प्रत्याशी अनुसूचित जाति वर्ग से ही आने वाले हैं। लेकिन स्वाभाविक रूप से अन्य प्रत्याशी भी कुछ न कुछ हिस्सा बताएंगे ही। लेकिन यहां भी अन्य प्रत्याशियों में से अकेले उदय पुंडीर होंगे जो सबसे बड़ा हिस्सा बनायेंगे।
यूं चौतरफा वोट लेकर आ रहे उदय पुंडीर अपेक्षाकृत सुरक्षित स्थिति में हैं। लेकिन अपने सुरक्षा कवच को और अधिक मजबूत करने की वे कोशिश में हैं। इसी लिए प्रचार के अंतिम दिन उन्होंने अपने-आपको मतदाता तक पहुंचाने के मामले में अपनी पूरी ताकत लगाई हुई है।