पार्टी की समीक्षा बैठक तक से गायब रहे कई वार्ड प्रत्याशी, बूथ अध्यक्ष

एम हसीन

रुड़की। डॉ रमेश पोखरियाल निशंक मंजे हुए सियासतदां हैं। बीच चुनाव अभियान उनसे ऐसी किसी बात की उम्मीद नहीं की जा सकती जो पार्टी के चुनाव अभियान को नुकसान पहुंचाए। लेकिन पार्टी चुनाव अभियान की ही समीक्षा बैठक करने के लिए गत दिवस रुड़की आए डॉ निशंक यहां से कोई अच्छा संदेश लेकर नहीं गए होंगे। यह इस बात से जाहिर है कि बैठक के दौरान उनका पारा कई बार चढ़ा। उन्होंने कई बार पार्टी कार्यकर्ताओं को हड़काया और इस बात पर तो वे बिल्कुल आपे से बाहर हो गए कि कई वार्ड प्रत्याशी या वार्ड की बूथ समिति के अध्यक्ष तक बैठक में नहीं आए थे। बताया जाता है कि उन्होंने कई लोगों को तो बैठक से बाहर ही निकाल दिया था।

गौरतलब है कि डॉ निशंक गत दिवस पार्टी के चुनाव अभियान की समीक्षा करने के लिए रुड़की आए थे। एक होटल में प्रेस-कॉन्फ्रेंस रखी गई थी और यहीं पहले बैठक होनी थी। बैठक हुई। रुड़की नगर भाजपा का गढ़ है और यहां सनातन काल से ही भाजपा के पार्षद बड़ी संख्या में जीतते आए हैं। इस बार भी अगर ऐसा हो तो कोई ताज्जुब की बात नहीं। इसका सबसे बड़ा कारण तो यही है कि केवल भाजपा ही ऐसी पार्टी है जो सभी 40 वार्डों में मौजूद है और उसके तीन प्रत्याशी तो निर्विरोध निर्वाचित हो चुके हैं। इसके बावजूद यह सच है कि जहां भाजपा पार्षदों का बहुमत लेकर आती रही है वहीं मेयर चुनाव बुरी तरह हारती रही है। जाहिर है कि पार्षद प्रत्याशियों में अधिकांश की निष्ठा दलीय नहीं बल्कि व्यक्तिगत होती है। वे पार्टी के लिए नहीं बल्कि अपने लिए वोट सिक्योर करके निश्चिंत हो जाते हैं। इन सारी स्थितियों को डॉ निशंक ने न केवल जाना और समझा बल्कि ऐसी कोशिशों के खिलाफ कार्यकर्ताओं को चेताया भी। बताया जाता है कि उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि पार्टी का “मेयर चाहिए मतलब चाहिए।” इस पर कोई समझौता नहीं होगा।

सूत्रों का कहना है कि डॉ निशंक अपनी बात कहकर चले गए लेकिन वे किसी अच्छे परिणाम का संदेश लेकर नहीं गए हैं। माना जा रहा है कि डॉ निशंक पूरे मसले को ऊपर उठाने का इरादा रखते हैं। इसके परिणाम स्वरूप कार्यकर्ताओं के पेंच और कसे जा सकते हैं। देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा क्या और किस प्रकार का परिणाम लेकर आ रही है और उसके नतीजे के तौर पर पार्टी के भीतर क्या बदलाव अपेक्षित हैं।