नई रणनीति के तहत लड़ रही पार्टी रुड़की में मेयर चुनाव

एम हसीन

रुड़की। हाल तक शहर से लेकर देहात तक भाजपा चुनाव अभियान की कमान संभालते आ रहे जिला चुनाव अभियान के सह-संयोजक पूर्व कैबिनेट मंत्री यतीश्वरानंद परिदृश्य से गायब हो गए हैं और कमान सीधे जिला चुनाव अभियान संयोजक डॉ रमेश पोखरियाल निशंक के हाथ में चली गई है। इसके नतीजे के तौर पर पार्टी चुनाव अभियान में व्यापक बदलाव दिखाई देने लगा है। यतीश्वरानंद का खामोश हो जाना तो बड़ा बदलाव है ही, यह भी बदलाव ही है कि पार्टी ने मीडिया में केवल अखबारों से सरोकार कायम रखकर बाकी मीडिया से पूरी दूरी बना ली है। इसके अलावा पार्टी ने जो नई रणनीति चॉक आउट की लगती है वह यह कि आउटर रुड़की में चुनाव भाजपा लड़ेगी और इनर रुड़की में चुनाव नगर विधायक प्रदीप बत्रा का परफॉर्मेंस और उनका व्यक्तित्व लड़ेगा। पार्टी के हर नेता या कार्यकर्ता को अपनी इच्छा के अनुसार काम करने की छूट होगी लेकिन भविष्य में उसका कॉन्सीडरेशन उसके चुनाव में दिए गए योगदान के आधार पर ही किया जाएगा।

गौरतलब है कि डॉ निशंक की पहली एंट्री निकाय चुनाव में तब हुई थी जब उन्होंने पार्टी प्रत्याशी का नामांकन कराया था। यह 30 दिसंबर की बात है। उसके बाद वे 19 जनवरी को रुड़की आए थे। इस बीच या तो पार्टी के चुनाव अभियान की अगुवाई यतीश्वरानंद कर रहे थे या फिर नगर विधायक प्रदीप बत्रा। सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत के खास माने जाने वाले पूर्व मेयर प्रत्याशी मयंक गुप्ता को प्रचार अभियान से दूर रखा जा रहा था। अलबत्ता जिला अध्यक्ष शोभाराम प्रजापति प्रत्याशी अनीता देवी अग्रवाल के साथ हर मुहिम में शामिल थे। इस बीच डॉ निशंक की पुत्री आरुषि निशंक ने रुड़की आकर प्रचार में अपना योगदान दिया था। कोई बड़ी बात नहीं कि आरुषि निशंक की किसी रिपोर्ट के आधार पर ही डॉ निशंक ने चुनाव अभियान की कमान संभाली हो और आरुषि निशंक के रुड़की आगमन के पीछे भी भविष्य की राजनीति का कोई सूत्र छुपा हुआ हो।

बहरहाल, जो रणनीति भाजपा की दिखाई दे रही है वह यह है कि उसने इनर रुड़की और आउटर रुड़की को अलग-अलग कर दिया है। आउटर रुड़की के 5 वार्ड खानपुर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं। इनमें भाजपा पार्टी के रूप में चुनाव लड़ रही है। कमोबेश इतने ही वार्ड आउटर रुड़की के झबरेडा क्षेत्र अंतर्गत आते हैं। यहां भी भाजपा पार्टी के रूप में ही चुनाव लड़ रही है। इतने ही वार्ड आउटर रुड़की के कलियर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं। लेकिन ये वार्ड मुस्लिम बहुल हैं इसलिए यहां भाजपा कांग्रेस प्रत्याशी पूजा गुप्ता और निर्दलीय प्रत्याशी श्रेष्ठा राणा को आपस में संघर्ष करते हुए देख रही है।

इसके विपरीत रुड़की नगर, जिसे रुड़की विधानसभा क्षेत्र कहा जा सकता है, में पार्टी ने चुनाव को जिम्मेदारी नगर विधायक प्रदीप बत्रा के ऊपर छोड़ दी है। यहां पार्टी के दो चेहरे प्रभावी हैं। एक विधायक का और दूसरा पूर्व मेयर प्रत्याशी रहे मयंक गुप्ता का। मयंक गुप्ता को शुरू से ही प्रचार से दूर रखा गया है। हाल तक प्रदीप बत्रा के अलावा यतीश्वरानंद यहां सक्रिय दिखाई दे रहे थे। लेकिन अब उन्हें भी विदड्रॉ कर लिया गया है। अर्थात अब यहां चुनाव परिणाम का मुकम्मल दारोमदार प्रदीप बत्रा पर आ गया है। चूंकि पार्टी प्रत्याशी अनीता देवी अग्रवाल या उनके पति ललित मोहन अग्रवाल की अपनी कोई राजनीतिक पहचान नहीं है, इसलिए अगर पार्टी यहां नगर क्षेत्र में जीतती है तो उसका श्रेय प्रदीप बत्रा के नाम जाएगा और अगर हारती है तो उसका खामियाजा भी प्रदीप बत्रा को ही भुगतना पड़ेगा। लगता है कि डॉ निशंक के मन में कुछ है और वे रुड़की में मेयर चुनाव के बहाने 2027 के विधानसभा चुनाव की राजनीति कर रहे हैं।