यूं तो बेकार हो जाएगी चौधरी इस्लाम को मिल रही हमदर्दी
एम हसीन
मंगलौर। मंगलौर में निकाय चुनाव की राजनीति दिशाहीनता का शिकार है, ठहराव का शिकार है। कांग्रेस प्रत्याशी चौधरी इस्लाम का पर्चा खारिज हो जाने के बाद से ही उनके पक्ष में हमदर्दी का ज्वार आया हुआ है। भाजपा और उबैदुर्रहमान अंसारी समर्थित प्रत्याशी जुल्फिकार ठेकेदार और चौधरी इस्लाम के इस मामले में दोषी प्रत्याशियों के अलावा ऐसा कोई प्रत्याशी नहीं जिसके मन में चौधरी इस्लाम के समर्थन की ललक नहीं। सारे प्रत्याशी दिन-रात उनके दरवाजे के चक्कर काट रहे हैं और चौधरी इस्लाम किसी का समर्थन करने के मामले में क़ाज़ी निज़ामुद्दीन की ओर देख रहे हैं। खुद क़ाज़ी निज़ामुद्दीन की स्थिति यह है कि वे सुदूर लक्सर में बैठे बसपा विधायक और जिले के सबसे बड़े तेली नेता हाजी मुहम्मद शहजाद का तथा ज्वालापुर अपने आश्रम में बैठे भाजपा नेता यतीश्वरानंद का मुंह तक रहे हैं। इन दोनों की स्थिति हालात का मजा लेने की है। क़ाज़ी निज़ामुद्दीन अपना पत्ता खोलें तो ये अपनी चाल चलें। चूंकि पासा क़ाज़ी निज़ामुद्दीन और यतीश्वरानंद दोनों के ही खिलाफ पड़ा है इसलिए स्वामी भी उलझन में फंसे हुए हैं। अलबत्ता हाजी मुहम्मद शहजाद की बाजी उल्लेखनीय हो गई है। वैसे यह भी अहम है कि चुनाव निकाय का है और बाजी विधानसभा चुनाव की बिछी हुई है। फिर भी निचले स्तर पर उनकी घोषणा का इंतजार है। दूसरी ओर सवाल यह उठ रहा है कि क्या लेट-लतीफी क़ाज़ी निज़ामुद्दीन की कोई रणनीति है? आशंका यह है कि इसके चलते वह हमदर्दी की वह भावना कहीं खत्म न हो जाए जो चौधरी इस्लाम के पक्ष में बनी हुई है।
मंगलौर की राजनीति की हकीकत यह है कि यह चुनाव चौधरी इस्लाम के लिए था। पिछले छः महीने से वे जनता के प्रत्याशी के रूप में काम कर रहे थे। जब प्रत्याशी के रूप में कांग्रेस द्वारा उनका चयन किया भी नहीं गया था तब वे अनिर्वाचित नगर पालिका अध्यक्ष बन भी गए थे। लेकिन इस पर व्यवस्था की मुहर नहीं लग सकी। वे कांग्रेस प्रत्याशी के लिए आगे आए और पर्चा निरस्त हो जाने के बाद बैरंग वापस हो गए। सब कुछ एक शिकायत और शिकायत की पैरवी के कारण हुआ। यही शिकायत अगर अन्य प्रत्याशियों के खिलाफ हो जाती और उसकी पैरवी हो जाती तो मंगलौर-रुड़की के दर्जनों प्रत्याशी घर बैठ जाते लेकिन ऐसा नहीं हुआ। चपेट में केवल चौधरी इस्लाम आए। नतीजा यह हुआ कि उनके पक्ष में हमदर्दी की जो लहर थी वह ज्वार में परिवर्तित हो गई। अब ऐसे में नगर की राजनीति के नियंता यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि वे क्या करें। खासतौर पर क़ाज़ी निज़ामुद्दीन फंसे हुए दिखाई दे रहे हैं। फंसे हुए यतीश्वरानंद भी हैं लेकिन उनके मामले में जरा बात यूं अलग है कि मुस्लिम बहुल मंगलौर में भाजपा की इज्जत दांव पर नहीं है। इस सबके बीच अपने समर्थक मतदाताओं के बीच जुल्फिकार ठेकेदार चुनाव लड़ रहे हैं और बाकी पूरा नगर चौधरी इस्लाम के फैसले का इंतजार कर रहा है। खुद चौधरी इस्लाम को क़ाज़ी निज़ामुद्दीन के फैसले का इंतजार है।