मेयर चुनाव में कायम रखना चाहती हैं निर्दलीय की परंपरा
एम हसीन
रुड़की। महानगर कांग्रेस अध्यक्ष राजेंद्र चौधरी ने भले ही इसे मिथ बताया हो लेकिन यह फैक्ट है, अभी तक का शाश्वत सत्य है कि रुड़की में कोई दलीय प्रत्याशी चुनाव नहीं जीता। हर बार कोई निर्दलीय ही जीतता आया है। ऐसे में निर्दलीय श्रेष्ठा राणा का चुनावी जलवा कायम करने के लिए तो यह जन विश्वास ही काफी है कि रुड़की में हमेशा निर्दलीय ही जीतता है। फिर यह कि श्रेष्ठा राणा का पूर्व मेयर यशपाल राणा की छवि एक जननेता की है, जमीन से जुड़े नेता की है, संघर्षों में रहने वाले जन-प्रतिनिधि की है। ऐसे में कोई ताज्जुब की बात तो नहीं कि भाजपा प्रत्याशी अनीता देवी अग्रवाल और कांग्रेस प्रत्याशी पूजा गुप्ता के बीच निर्दलीय श्रेष्ठा राणा का जलवा कायम है।
बात की यूं समझा जा सकता है कि जिस जलवे को हासिल करने के लिए दलीय प्रत्याशियों के समर्थकों को जनवरी में भी पसीना बहाना पड़ रहा है वह जलवा श्रेष्ठा राणा को शुरुआत में तभी हासिल हो गया था जब उन्होंने निर्दलीय लड़ने का ऐलान किया था। उनके ऐलान के साथ ही खानपुर के निर्दलीय विधायक उमेश कुमार ने उनके समर्थन की घोषणा की थी और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुसलमीन ने उनके समर्थन का ऐलान किया था। अब आज की स्थिति यह है कि मुस्लिम समुदाय के बीच 70 प्रतिशत लोगों की पसंद श्रेष्ठा राणा मानी जा रही हैं। बहुसंख्यक समुदाय में भी भाजपा और कांग्रेस दोनों के वैश्य प्रत्याशी होने के बावजूद वैश्य समुदाय सहित हर समुदाय में श्रेष्ठा राणा का प्रभावी समर्थन देखने में आ रहा है। रामनगर का पंजाबी बहुल क्षेत्र हो या सुनहरा अथवा प्रीत बिहार का दलित बहुल या आदर्श नगर का ब्राह्मण बहुल क्षेत्र, हर क्षेत्र में उनका जलवा दिख रहा है। दिल्ली रोड पर मोहनपुरा मोहम्मदपुर की मिली जुली आबादियों में श्रेष्ठा राणा का नाम की गूंज सुनाई दे रही है। बेशक चुनाव से बाहर न भाजपा की अनीता देवी अग्रवाल हैं और न ही कांग्रेस की पूजा गुप्ता; लेकिन निर्दलीय श्रेष्ठा राणा भी उनके साथ दौड़ में पूरी मजबूती के साथ कायम हैं।