नगर पंचायत अध्यक्ष पद के लिए पिछले दो साल से कर रहे हैं दावेदारी

एम हसीन

रुड़की। कांग्रेस की राजनीति की यह विशेषता है कि इसमें विधायक में ही सारी पार्टी समाहित होती है। जैसे कलियर विधानसभा क्षेत्र में पार्टी विधायक हाजी फुरकान अहमद हैं तो वही क्षेत्र में समूची पार्टी हैं। पार्टी का हर फैसला वहां हाजी फुरकान अहमद को ही करना होता है। मसलन, वे चाहेंगे तो पार्टी निकाय चुनाव में टिकट पर लड़ेगी और वे चाहेंगे तो पार्टी का कोई प्रत्याशी नहीं होगा। ऐसे में कोई बड़ी बात नहीं कि अगर किसी को इस क्षेत्र की किसी नगर पंचायत पर कांग्रेसी के रूप में चुनाव लड़ना है तो उसे पार्टी को नहीं मनाना बल्कि विधायक को मनाना है। “विधायक मान गए तो पार्टी मान गई” वाली बात है। रामपुर नगर पंचायत अध्यक्ष पद के लिए जन-संपर्क अभियान चला रहे जुल्फ़ान अहमद के लिए यह अच्छी बात है कि उन्हें विधायक से अलग करके नहीं देखा जाता। विधायक अगर हाथ हैं तो जुल्फ़ान अहमद दस्ताना हैं। ऐसे में कैसा रहेगा रामपुर नगर पंचायत का कांग्रेसी चुनाव अभियान?

चुनाव की तैयारी शुरू करके जुल्फ़ान अहमद ने यह तो साफ कर दिया है कि उन्होंने अपनी राजनीति पर पड़ा पर्दा हटाने का इरादा कायम कर लिया है। अब वे केवल जन-प्रतिनिधि यानी विधायक के दांए हाथ के रूप में ही काम नहीं करना चाहते बल्कि खुद भी जन-प्रतिनिधि बनना चाहते हैं। इस मामले में अपने लिए उन्होंने जिस पद का चयन किया है वह है नगर पंचायत अध्यक्ष का। क्षेत्र वही है जो विधायक बनने से पहले हाजी फुरकान अहमद की कर्म स्थली थी; अलबत्ता तब यह ग्राम पंचायत होती थी, जबकि अब नगर पंचायत बन चुकी है। क्षेत्र का नाम है रामपुर नगर पंचायत जो अब जुल्फ़ान अहमद के लिए अपनी भी कर्म स्थली बन रही है।

जुलफान अहमद राजनीतिक-सामाजिक क्षेत्रों के साथ-साथ प्रशासनिक क्षेत्रों में भी किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। वे तब से हाजी फुरकान अहमद के साथ हैं जब विधायक यहां ग्राम प्रधान का चुनाव लड़ा करते थे। चूंकि दोनों का पारिवारिक मामला भी है इसलिए यह कोई अस्वाभाविक बात नहीं है। न ही यह ताज्जुब की बात है कि ज़ुल्फ़ान अहमद को हाजी फुरकान अहमद की बुनियाद की ईंट माना जाता है। फिर भी तक उनका काम पर्दे के पीछे का था। वे विधायक के दफ्तर और दफ्तरों, यानी मैनेजमेंट के काम देखते रहे हैं। इसमें मीडिया मैनेजमेंट से लेकर क्षेत्र के प्रभावशाली लोगों को मैनेज करने के काम भी शामिल रहे हैं। बिरादरी में रूठों को मनाने, सरकारी स्तर पर होने वाले काम, यहां तक कि पार्टी के ऊपरी नेताओं के साथ तालमेल पैदा करने के काम भी जुल्फ़ान अहमद विधायक के लिए करते आए हैं। ऐसे में उम्मीद तो यही की जानी चाहिए कि वे विधायक के दांए हाथ के रूप में ही नगर पंचायत अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ें। बाकी सबकुछ अगले कुछ दिनों में साफ हो जाएगा।