मंगलौर में निकाय प्रमुख के चुनाव का मामला

एम हसीन

मंगलौर। हाल के विधानसभा उप चुनाव में बसपा प्रत्याशी के तौर पर अपने लिए साढ़े 19 हजार वोट और तीसरा स्थान सुरक्षित करने वाले उबेदुर्रहमान अंसारी उर्फ मोंटी की मुट्ठी खुलती दिखाई दे रही है। विधानसभा उप चुनाव से पहले से ही नगर पालिका अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने की घोषणा करते आ रहे उनके कैंप के युवा चुनाव की संभावना देखते हुए सक्रिय हो गए हैं। हालांकि स्थानीय विधायक क़ाज़ी निज़ामुद्दीन कैंप की ओर से पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष चौधरी इस्लाम ने भी अपनी दावेदारी की घोषणा कर दी है।

लेकिन यह एक उल्लेखनीय बात है कि क़ाज़ी निज़ामुद्दीन के कैंप में कोई विरोधभास सार्वजनिक नहीं हो रहा है। भले ही संपन्न बोर्ड के अध्यक्ष रहे हाजी दिलशाद के राजनीतिक प्रणेता उनके उनके अग्रज डा शमशाद अपने मन में कोई भी ख्वाहिश रखते हों या हाल के उप चुनाव में खुलकर क़ाज़ी निज़ामुद्दीन के साथ आए पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष हाजी अख्तर अंसारी और बेगम सरवरी अंसारी के पुत्र कलीम अंसारी के मन में कोई इच्छा हिलोरे ले रही हो, लेकिन वहां चौधरी इस्लाम की उम्मीदवारी को लेकर कैंप के भीतर कोई विरोधभास कम से कम अभी तक सार्वजनिक नहीं हुआ है। इसके विपरीत मोंटी के कैंप में तो चुनौतियां उनके घर से उठती दिखाई दे रही हैं और उनके अन्य सहयोगी, मसलन मुहीउद्दीन अंसारी या जुल्फिकार अंसारी, जो कलीम अंसारी के छोटे भाई हैं, खुलकर निकाय अध्यक्ष पद के लिए दावा कर रहे हैं। साथ ही मोंटी के ही एक अनुज की भी दावेदारी की चर्चा है। दूसरी ओर, विधानसभा चुनाव हारने के बाद ऐसी दबी हुई इच्छा खुद मोंटी के मन में भी है यह सुरसुराहट भी सुनाई दे रही है। लेकिन समस्या यह है कि इस कैंप में दावेदार और भी तो हैं। जिनकी अलग अलग ग्रुप्स के हिसाब से आपस में एक दूसरे के नाम पर, मैं या तू के हिसाब से, सहमति भी बनी हुई दिखाई दे रही है।

बहरहाल, अगर यह स्थिति बनती है तो इसके दो परिणाम सामने आ सकते हैं। या तो निकाय चुनाव में मोंटी का ग्रुप बिखर जायेगा और नगर की अंसारी राजनीति को भी पलीता लग जायेगा या फिर कोई और अंसारी चेहरा बिरादरी की अगुवाई करता हुआ दिखाई देगा। मोंटी के नेतृत्व में बिरादरी की एकजुटता को हाल के उप चुनाव में पलीता लगा हुआ दिखाई दिया। इसलिए अब अगर मोंटी को खुद को बिरादरी का नेता साबित करना है तो उन्हें बेहद उच्च दर्जे की राजनीतिक क्षमताओं का परिचय देना होगा। क्या वे ऐसा कर पाएंगे, खासतौर पर विधायक क़ाज़ी निज़ामुद्दीन जैसे सोफिस्टिकेटेड पॉलिटीशियन के सामने? क्योंकि यह तो तय है कि मंगलौर में कांग्रेस का प्रत्याशी चाहे हाजी इस्लाम हों या कोई और लेकिन चुनाव की कमान विधायक के ही हाथ में रहने वाली है। लेकिन यह भी इशारा मिल रहा है कि अगर नगर की अंसारी बिरादरी की कमान हाजी सरवत करीम अंसारी के घर से निकलकर किसी और अंसारी चेहरे के हाथ में जा रही है तो यहां की केवल अंसारी ही नहीं बल्कि पूरे कस्बे की राजनीतिक दिशा बदलने जा रही है।