जिलाध्यक्ष के नाम पर व्यापक सहमति के हो रहे प्रयास
एम हसीन
रुड़की। कांग्रेस ग्रामीण जिलाध्यक्ष का चुनाव दिलचस्प मोड पर पहुंच गया है। हालात का इशारा यह है कि यह चुनाव पार्टी के चारों विधायकों, पूर्व प्रत्याशियों और भावी दावेदारों के बीच नए सहयोग और समन्वय के रास्ते खोल सकता है। सबसे बड़ी बात यह है कि पार्टी के बड़े नेताओं के पास इस का कोई विकल्प नहीं रह गया है कि वे 2027 के चुनाव में अधिकांश सीटें जीतकर आएं ताकि राज्य में सरकार बनाने की स्थिति पैदा की जा सके। इसके मद्देनजर ऐसे चेहरों की बात को महत्व दिया जा सकता है जो फिलहाल संगठन या विधायिका के स्तर पर मंजर ए आम पर नहीं हैं लेकिन जिनके नाम पर व्यापक सहमति बनाना आसान है। इस क्रम में ऐसे चेहरों को दरकिनार भी किया जा सकता है जो विभिन्न गुटों के बीच समन्वय की राह में रोड़ा बन सकते हों।
गौरतलब है कि कांग्रेस पुनर्जीवन की राह पर है। पार्टी को “हितों की राजनीति” से ऊपर उठाकर “विचारधारा की राजनीति” की ओर लाने के लिए पार्टी नेता राहुल गांधी की पहल पर नए संकल्पों के साथ संगठन सृजन अभियान चलाया जा रहा है। इसके लिए नए मानदंड बनकर प्रभारियों को दिए गए हैं। इसके तहत पार्टी पदाधिकारियों की नियुक्ति के लिए कार्यकर्ताओं की राय मालूम की जा रही है। इस मामले में पार्टी का हौसला बढ़ाने वाली सबसे बड़ी बात यह खुलासा है कि पार्टी के कार्यकर्ताओं की कमी है। विचारधारा के स्तर पर पार्टी से जुड़े एक नेता ने इस संबंध में “परम नागरिक” को बताया कि “जितने बड़े पैमाने पर और जिस उत्साह के साथ कार्यकर्ता निकलकर सामने आ रहे हैं उसे देखकर स्पष्ट हो रहा है कि पार्टी की विचारधारा को मानने वाले लोगों की कमी नहीं है। बात केवल उन्हें एक सूत्र में बांधने की है। यही काम अगर सृजन अभियान कर पाया तो 2027 का लक्ष्य प्राप्त करना आसान हो जाएगा।” यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि संगठन चुनाव को लेकर वे लोग भी सक्रिय हैं जो व्यक्तिगत रूप से किसी पद के आकांक्षी नहीं हैं, लेकिन पार्टी को मजबूत होते देखना चाहते हैं।
बहरहाल, चूंकि पार्टी का उद्देश्य भी निर्धारित किए गए मानदंडों के अनुरूप चेहरे सिंगल आउट कर उनपर सभी दिग्गजों को सहमत करना है तो इस काम में प्रभारी राजेश तिवारी अहम भूमिका निभा रहे हैं। समझा जाता है कि इसी के तहत विधायकों को कहा गया है कि वे संगठन अध्यक्ष के पद को अपना जेबी बनाने की बजाय ऐसे लोगों को आगे लाएं जो सर्वग्राहीय हों और जो पार्टी को समन्वय के साथ आगे बढ़ा सकें। इसी को लेकर बीती शाम विधायकों की एक बैठक भी हुई। लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों में प्रत्याशी रहे अन्य चेहरों से भी यही अपेक्षा की जा रही है कि वे समय की आवश्यकता और राष्ट्रीय नेतृत्व की मंशा को सम्मान देते हुए प्रभारी को सहयोग करें। ऐसी स्थिति में जिलाध्यक्ष पद को लेकर जिसकी भी लॉटरी निकलेगी, समझा जाता है कि उस पर व्यापक सहमति बन चुकी होगी।