संगठन सृजन अभियान के बीच उठ रहे सवालों पर बेचैनी, सबसे बड़ा सवाल क्या कोई मुस्लिम बन पाएगा जिलाध्यक्ष?
एम हसीन
रुड़की। एक ओर कांग्रेस संगठन सृजन अभियान को लेकर बेहद गंभीर दिखाई दे रही है, दूसरी ओर यह भी देखने में आ रहा है कि संगठन की राजनीति के माहिर खिलाड़ी या प्रभावशाली चेहरे निर्णायक पदों पर अपने दावे को लेकर आगे नहीं आ रहे हैं। ऐसे कार्यकर्ताओं को लगता है कि शुरुआती दौर में ही पर्यवेक्षकों को मिसफीड किया जा रहा है। ऐसा इसलिए संभव हो पा रहा क्योंकि पार्टी को मिस लीड किया जा रहा है। इसी कारण प्रभावशाली कार्यकर्ताओं को लगता है कि पार्टी नेतृत्व की पूरी कोशिशों और सदिच्छाओं के बावजूद संगठन का कोई प्रभावशाली रूप शायद ही उभरकर आ सकेगा। सबसे ज्यादा बेचैनी इस सवाल को लेकर है कि क्या किसी मुस्लिम को किसी स्तर पर प्रतिनिधित्व मिल सकेगा?
मुद्दे पर आगे चर्चा करने से पहले निम्न उदाहरण को देखा जाए। जैसा कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने “परम नागरिक” को बताया कि “झबरेड़ा विधायक और निवर्तमान जिलाध्यक्ष वीरेंद्र जाती ने पर्यवेक्षक के सम्मुख दिए भाषण में जिले में मुस्लिम जनसंख्या का आंकड़ा 16 प्रतिशत बताया।” कार्यकर्ताओं के अनुसार “संपूर्ण हरिद्वार जनपद, जिसके तहत 11 विधानसभा सीटें आती हैं, मुस्लिम जनसंख्या 35 प्रतिशत की करीब है जो रुड़की क्षेत्र, जिसके तहत छः विधानसभा सीटें आती हैं, में यह प्रतिशत बढ़कर 45 के करीब हो जाता है। इसके बावजूद पर्यवेक्षक को जनसंख्या के संबंध में गलत जानकारी प्रदान की जा रही है जो कि संगठन में एक खास वर्ग की हिस्सेदारी को रोकने के लिए की जा रही है।” यहां यह ध्यान रखने वाली बात है कि हरिद्वार जिले में कांग्रेस के दो ग्रामीण और दो महानगरीय जिलाध्यक्ष पद हैं। इनमें 2022 के चुनाव तक केवल एक, रुड़की महानगर जिला अध्यक्ष, पद पर कलीम खान के रूप किसी मुस्लिम की तैनाती थी। फिर 2022 के चुनाव के बाद जब संगठन पुन: बनाया गया था तो इस एकमात्र पद से भी मुस्लिम प्रतिनिधित्व खत्म कर दिया गया था। बात केवल इतनी ही नहीं है। 2017 के विधानसभा चुनाव तक पार्टी ने जिले की 11 विधानसभा सीटों में से तीन पर मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में उतारे थे, जबकि 2022 में मुस्लिम प्रत्याशियों की संख्या 2 रह गई थी।
पूर्व राज्यमंत्री मुहम्मद अयाज़ इस पूरी स्थिति के लिए मंगलौर विधायक क़ाज़ी निज़ामुद्दीन की राजनीतिक महत्त्वाकांकाओं को ज़िम्मेदार ठहराते हैं। उनका कहना है कि “जिस क्रम में पार्टी में राष्ट्रीय स्तर पर क़ाज़ी निज़ामुद्दीन का रुतबा बुलंद होता जा रहा है, उसी क्रम में हरिद्वार जनपद, खासतौर पर रुड़की क्षेत्र में पार्टी में मुस्लिम राजनीति का वजूद घटता जा रहा है। मुस्लिम समुदाय की पार्टी में नुमाइंदगी विधानसभा टिकटों के मामले में भी और पार्टी संगठन पदों के मामले में भी घटती जा रही है।”
मुहम्मद अयाज़ कहते हैं कि “क़ाज़ी निज़ामुद्दीन हाथी के पैर के नीचे सबका पैर की तर्ज पर अपना पैर सबसे बड़ा बनाने के लिए सबका वजूद खत्म कर रहे हैं।” मुहम्मद अयाज़ के इस कथन पर क़ाज़ी निज़ामुद्दीन की प्रतिक्रिया हासिल नहीं हो सकी। लेकिन कुछ तथ्य अपने स्थान पर कायम रहेंगे। पहला यह कि क़ाज़ी निज़ामुद्दीन के पार्टी में प्रभावी होने के बाद ही कलीम खान को हटाकर उनके स्थान पर राजेंद्र चौधरी को रुड़की महानगर जिलाध्यक्ष बनाया गया था। इसी प्रकार वीरेंद्र जाती को ग्रामीण कांग्रेस का जिलाध्यक्ष बनाया गया था। ध्यान रहे कि वीरेंद्र जाती के कार्यकाल को नितांत निष्क्रिय कार्यकाल के रूप में देखा जाता है और वीरेंद्र जाती को फिलहाल तक क़ाज़ी निज़ामुद्दीन का “हनुमान” माना जाता है।