अब तो सड़कों पर दिखने लगी है कि नगर विधायक की कुंठा

एम हसीन

रुड़की। नगर विधायक प्रदीप बत्रा को इस बात का भरपूर अहसास कराया जा रहा है कि व्यवस्था जब किसी का काम नहीं करना चाहती तो तरीका क्या होता है। मसला सोलानी नदी पर पुल के निर्माण का है, जिसका निर्माण शुरू न होने से नाराज प्रदीप बत्रा ने हाल ही में मीडिया में बयान दिया है। ध्यान रहे कि यह पुल 2023 में भारी यातायात के लिए बंद किया गया था और फिर बत्रा ने इसके पुनर्निर्माण के लिए कई बार विधानसभा में सवाल उठाया था। लेकिन राज्य सरकार ने पुल के धनराशि स्वीकृत करने की बजाय प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेज दिया था। केंद्र सरकार ने मार्च 25 में धनराशि स्वीकृत कर दी थी। मई में लोक निर्माण विभाग ने पुल का टेंडर भी छपवा दिया था। लेकिन काम अभी तक भी शुरू नहीं हुआ है। लेकिन बात इतनी ही नहीं है। बताया जा रहा है कि रुड़की विधानसभा क्षेत्र के विकास से संबंधित प्रस्ताव सचिवालय में धक्के खाते फिर रहे हैं। लोक निर्माण विभाग झबरेड़ा विधानसभा क्षेत्र से संबंधित निविदाएं प्रकाशित करा रहा है, कलियर विधानसभा क्षेत्र से संबंधित निविदाएं प्रकाशित करा रहा है, लेकिन रुड़की विधानसभा क्षेत्र से संबंधित निविदाएं नहीं छप रही हैं। कारण वही है। जब प्रस्ताव ही स्वीकृत नहीं हो रहे हैं तो निविदा कैसे छपे! यह अपने-आप में इस बात का प्रमाण है कि भाजपा में प्रदीप बत्रा के लिए जमीन तंग हो रही है। उनके लिए पार्टी में स्थिति वैसी ही है जैसी 2015 में कांग्रेस में थी। तब 2013 में निर्दलीय मेयर निर्वाचित होने के बाद यशपाल राणा कांग्रेस में शामिल हो गए थे। तब राज्य में कांग्रेस की सरकार थी और प्रदीप बत्रा कांग्रेस के विधायक थे। लेकिन उनकी अनदेखी हुई थी और उन्हें कांग्रेस छोड़ना पड़ी थी। अब मेयर ललित मोहन अग्रवाल हैं जो भाजपा के हैं और प्रदीप बत्रा भी भाजपा के ही विधायक हैं। लेकिन लग रहा है कि वे सरकार और पार्टी में अपना प्रभाव खोए हुए हैं। व्यक्तिगत एजेंडा पर काम करने के आदि प्रदीप बत्रा न मेयर के साथ तालमेल बना पा रहे हैं और न ही सरकार के साथ।

जहां तक सवाल पार्टी का है, पार्टी में प्रदीप बत्रा का सम्मान 2022 से पहले ही खत्म हो गया था। तब वे चुनाव हार रहे थे और राजनीतिक रूप से हार ही गए थे। तब उनकी जीत तकनीकी रूप से हुई थी जिसमें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का व्यक्तिगत योगदान था। धामी ने खुद रुड़की के लोगों से बत्रा को जितवाने की अपील की थी और उनके काम करने का वादा किया था। लेकिन जनता के काम कैसे हों, प्रदीप बत्रा के अपने काम इतने हैं कि किसी और काम के लिए गुंजाइश ही नहीं बचती। रही-सही कसर नगर में भाजपा का मेयर बनने से पूरी हो गई है। मेयर ललित मोहन अग्रवाल चूंकि भाजपा से ही हैं और पार्टी व सरकार में उच्च स्तर पर गहरी पकड़ रखते हैं और सत्ता के मजबूत केंद्र के रूप में काम कर रहे हैं, नगर निगम में बत्रा को बहुत अधिक घुसपैठ नहीं करने दे रहे हैं, इसलिए बत्रा के लिए हालात असहय हो गए हैं। नगर निगम से बत्रा का व्यक्तिगत एजेंडा जुड़ा है जो मुख्य रूप से जमीनों से जुड़ा है। इन सारी चीजों के चलते बत्रा की कुंठाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं जो अब सार्वजनिक हो रही हैं। मसलन, बीती शाम ही उन्होंने जादूगर रोड पर प्रस्तावित एक सड़क का उद्घाटन कर डाला जबकि इसका उद्घाटन मेयर ललित मोहन अग्रवाल को करना था। अब इन हालात में बत्रा भाजपा में कितने दिन निभा पाएंगे, भाजपा में उनका भविष्य क्या होगा, उनका अगला कदम क्या होगा यह सब देखने वाली बात है। लेकिन इतना साफ नजर आ रहा है कि भाजपा में उनके लिए हालात तंग होते जा रहे हैं।