निर्दलीय विधायक के लिए आसान नहीं अपने क्षेत्र में खुलकर प्रत्याशी लड़ाना

एम हसीन

रुड़की। रुड़की में मेयर पद पर निर्दलीय श्रेष्ठा राणा को खुलकर चुनाव लड़ा रहे खानपुर के निर्दलीय विधायक उमेश कुमार ढंढेरा में खामोश हैं। वे निर्दलीय हैं इसलिए ढंढेरा में भी किसी भी प्रत्याशी का समर्थन करने से उनके सामने कोई समस्या आने वाली नहीं है, ठीक वैसे ही जैसे रुड़की में श्रेष्ठा राणा का समर्थन करने के मामले में नहीं आई। लेकिन वे खामोश हैं। सवाल उठता है कि क्यों?

2022 के चुनाव में खानपुर सीट पर व्यापक तोड़फोड़ और उठापटक हुई थी। तब भाजपा के टिकट पर पांचवां चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे प्रणव सिंह चैंपियन को डैमेज करने के लिए जितनी कोशिशें भाजपा के भीतर से हुई थी उतनी ही कोशिशें अन्य दलों ने भी की थी। फाइनली चैंपियन का टिकट कट गया था। हालांकि टिकट उनकी पत्नी रानी देवयानी को ही हुआ था लेकिन चैंपियन की राजनीति का तारतम्य टूट गया था। इसी के भरोसे उमेश कुमार का तंबू यहां लगाया गया था। जिसका फाइनली परिणाम उनकी जीत के रूप में सामने आया था। उस समय परिणाम ने साफ बताया था कि कांग्रेसियों ने अपनी पार्टी को जमींदोज कर उमेश कुमार को विधायक बनाया था और भाजपाइयों ने भाजपा को तगड़ा झटका दिया था। यूं घोषित रूप से इने-गिने कांग्रेसी और भाजपाई ही उमेश कुमार के सतह खुलकर आए थे और अब निकाय चुनाव में उन्हीं में से कई कांग्रेसी और भाजपाई यहां अपनी-अपनी पार्टी के झंडा बरदार हैं उन्हीं में से कई पार्टी टिकट पर या पार्टी से बगावत करके या किसी और पार्टी का टिकट लेकर चुनाव लड़ रहे हैं।

चुनाव अभियान हालांकि अभी चरम पर नहीं पहुंचा है और शुरुआती दौर में यह अपेक्षा भी किसी को नहीं है कि उमेश कुमार इस सीट पर किसी प्रत्याशी को शुरुआत में ही अपना आशीर्वाद देकर चुनाव लड़ाएंगे। उनसे अपेक्षा यही की जाती है कि वे अंतिम समय पर ऐसे किसी ही प्रत्याशी को अपना आशीर्वाद देंगे जो जीत सकता होगा। यह भी उनसे अपेक्षित है कि वे अपना कोई विपक्षी भी चुनाव के अंतिम दौर में ही रेखांकित करेंगे। लेकिन यह सवाल फिर भी बना रहेगा कि उमेश कुमार जब रुड़की में शुरुआती दौर में ही मेयर के प्रत्याशी का समर्थन कर रहे हैं तो अपने निर्वाचन क्षेत्र में आने वाले ढंढेरा नगर पंचायत क्षेत्र में ऐसा क्यों नहीं कर रहे हैं?