प्रदीप बत्रा ने 2022 में स्थानीय जनता से किया था वादा, परिस्थितियां बदली तो अब नगर विधायक भी भूल गए और इंटरव्यूकार श्रीगोपाल नारसन भी
एम हसीन
रुड़की। मेयर अनीता ललित मोहन अग्रवाल को बहस के लिए आमंत्रित करने वाले, बरसात के बाद नगर क्षेत्र के लोगों को गढ़मुक्त सड़क देने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रकट करने वाले नगर विधायक प्रदीप बत्रा रुड़की को जिला बनाने के लिए कब प्रयास शुरू करेंगे यह अभी तक सार्वजनिक नहीं हुआ है। 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी पत्रकार श्रीगोपाल नारसन (मानद उपाधि के सदके अब डॉक्टर) को दिए साक्षात्कार में उन्होंने वादा किया था कि वे रुड़की को जिला बनवाएंगे। प्रदीप बत्रा मुझे, यानि एम हसीन को, साक्षात्कार नहीं देते लेकिन श्रीगोपाल नारसन, जो प्रदेश कांग्रेस के नेता भी हैं, का दावा है कि वे अब भी जब चाहें बत्रा का साक्षात्कार ले सकते हैं। लेकिन मेरा दावा है कि वे बत्रा को उनके वादे की याद नहीं दिला सकते। वे बत्रा से अपना सवाल नहीं पूछ सकते। इसीलिए यह सवाल मुझे, यानि एम हसीन को, उठाना पड़ रहा है।
बत्रा के वादे पर चर्चा करने से पहले हरिद्वार जनपद की राजनीति के विभिन्न पहलुओं पर एक नजर डालना जरूरी है। हरिद्वार जनपद प्रशासनिक रूप से एक इकाई है। यहां चार तहसील हैं और छः खंड विकास कार्यालय हैं। राजनीतिक रूप से यहां 11 विधानसभा सीटें हैं। भाजपा ने यहां अपने जिला संगठन को दो हिस्सों में बांट दिया है। पांच विधानसभा सीटों वाला एक हरिद्वार जिला और छः विधानसभा सीटों वाला एक रुड़की जिला। कांग्रेस ने अपने जिला संगठन को चार हिस्सों में तोड़ दिया है। नगरीय क्षेत्र की दो सीटों के लिए हरिद्वार महानगर और ग्रामीण क्षेत्र की तीन सीटों के लिए एक हरिद्वार देहात जिला। इसी प्रकार रुड़की महानगर क्षेत्र की एक सीट के लिए एक महानगर जिलाध्यक्ष और पांच विधानसभा सीटों के एक रुड़की ग्रामीण जिलाध्यक्ष। कमाल बात यह है कि लोकसभा क्षेत्र में संपूर्ण हरिद्वार जिले के अलावा तीन विधानसभा क्षेत्र देहरादून जनपद से भी शामिल किए गए हैं लेकिन पूरे संसदीय क्षेत्र के लिए कोई सांगठनिक पद न भाजपा ने बनाया है और न ही कांग्रेस ने। कारण क्या है और ऐसा किन नेताओं की चाहत के हिसाब से किया गया है इस सवाल पर भी श्रीगोपाल नारसन चर्चा नहीं करते।
इस बिंदु पर आकर मंत्री पद का सवाल खड़ा हो जाता है। जैसा कि सब जानते हैं कि प्रदेश में कुल 13 प्रशासनिक जिले हैं जबकि विधानसभा की सदस्य संख्या के आधार पर मंत्री महज 12 बनाए जा सकते हैं। अगर हरिद्वार की बात करें तो यहां भाजपा की दो सरकारों में केवल हरिद्वार विधायक मदन कौशिक और हरिद्वार देहात के पूर्व विधायक यतीश्वरानंद मंत्री रहे हैं। कांग्रेस नेतृत्व वाली एक सरकार में भगवानपुर विधायक के रूप में सुरेंद्र राकेश, जो अब दिवंगत हो चुके हैं, मंत्री रहे थे। बाकी किसी सरकार में किसी विधायक को मंत्री बनने का मौका नहीं मिला। इस सबके बीच प्रदीप बत्रा की बड़ी चाहत रही है कि पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली सरकार में उन्हें मंत्री बनाया जाए। लेकिन ऐसा हो नहीं पाया है। 2022 के चुनाव से पहले जब तीरथ सिंह रावत को रिप्लेस करके धामी मुख्यमंत्री बने थे और उन्होंने तत्कालीन हरिद्वार देहात विधायक यतीश्वरानंद को कैबिनेट में प्रमोट किया था तब धामी के निकट होने के बावजूद बत्रा इस तर्क पर कैबिनेट से कट गए थे कि एक जिले से एक ही मंत्री लिया जा सकता है। इसी कारण तब बत्रा ने रुड़की को जिला बनवाने की घोषणा की थी ताकि भले ही हरिद्वार जिले से कोई मंत्री बने लेकिन रुड़की से भी बत्रा को मंत्री मंडल में स्थान मिल सके। लेकिन 2022 के बाद हरिद्वार जनपद की कुछ और ही सच्चाई बत्रा के सामने आई। यतीश्वरानंद विधानसभा चुनाव हार जाने के कारण मंत्री पद गंवा बैठे और मदन कौशिक इसलिए मंत्री नहीं बन सके क्योंकि वे धामी की गुड़बुक में नहीं हैं। लेकिन इसी कारण बत्रा को भी मंत्री मंडल में स्थान नहीं मिला कि मदन कौशिक को मंत्री नहीं बनाया जा सकता। लब्बो-लुबाब यह कि मंत्री बनाए जाने के मामले में जिला कोई बाध्यता नहीं रखता। यह सच सामने आने के बाद जाहिर है कि बत्रा के लिए रुड़की को जिला बनाने की आवश्यकता समाप्त हो गई और वे अपना वादा भूल गए। लेकिन श्रीगोपाल नारसन बत्रा का वादा क्यों भूल गए? वे तो वरिष्ठ पत्रकार हैं। उनसे तो सवाल का उठाया जाना अपेक्षित है!
