क्या निकल पाएगा कोई नतीजा?
एम हसीन
रुड़की। कांग्रेस में संगठन को चुस्त दुरुस्त करने की कवायद शुरू कर दी गई है। प्रदान की गई जानकारी के अनुसार पार्टी के राष्ट्रीय सचिव राजेश तिवारी एक सितंबर को रुड़की पहुंच रहे हैं, जहां वे रुड़की ग्रामीण और महानगर अध्यक्ष पद के लिए कार्यकर्ताओं की राय जानेंगे।
बात को आगे बढ़ाने के लिए कुछ बातों को ध्यान में रखना जरूरी है। मसलन, राजेश तिवारी पार्टी में स्थानीय मंगलौर विधायक क़ाज़ी निज़ामुद्दीन के समकक्ष हैं। खुद क़ाज़ी निज़ामुद्दीन कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव तथा दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी हैं। मसलन, रुड़की के जिलाध्यक्ष, झबरेड़ा विधायक वीरेंद्र कुमार और महानगर कांग्रेस अध्यक्ष राजेन्द्र चौधरी दोनों ही क़ाज़ी निज़ामुद्दीन के कृपा पात्र हैं। मसलन, रुड़की क्षेत्र की छः विधानसभा सीटों में से चार पर कांग्रेस का कब्जा है और बाकी दो सीटें, रुड़की नगर और खानपुर दोनों ही पर विधायक चाहे भाजपा के प्रदीप बत्रा और निर्दलीय उमेश कुमार हैं लेकिन कांग्रेस की इच्छा से हैं, कांग्रेस के सहयोग से हैं। मसलन, कांग्रेस को रुड़की जिला और महानगर अध्यक्ष पद पर ऐसे चेहरों की शायद जरूरत नहीं है जो जनता की आवाज उठाएं। इससे जवाबदेही विधायकों की तय होती है और स्वाभाविक रूप से विधायक वह स्थिति नहीं चाहते। बेवजह नहीं है कि जिलाध्यक्ष वीरेंद्र जाती ने अपने जिलाध्यक्ष के कार्यकाल में बतौर जिलाध्यक्ष एक भी काम नहीं किया, कार्यकारिणी तक का गठन नहीं किया। राजेंद्र चौधरी ने दो महीने पहले कार्यकारिणी की भी घोषणा की थी और वे किसी न किसी मुद्दे को लेकर सड़कों पर भी आते रहे हैं। उनकी इस सक्रियता को पार्टी या पार्टी के स्थानीय प्रभावशाली नेताओं, खासतौर पर क़ाज़ी निज़ामुद्दीन, ने किस नजर से देखा है यह देखने वाली बात होगी।
बहरहाल, राहुल गांधी तो चाहते हैं कि पार्टी का संगठन चुनाव के आधार पर खड़ा हो, लेकिन इस विचार से तो पार्टी की सहमति बनती नजर नहीं आ रही है। बात केवल प्रभारी की कार्यकर्ताओं से भेंट की हो रही है। इसे अन्य शब्दों में राय शुमारी कहा जा सकता है। देखना दिलचस्प होगा कि यह कवायद भी औपचारिक ही है या इसका कोई नतीजा निकलता है।