एक दौर में बना था रुड़की विधायक प्रदीप बत्रा, तत्कालीन मेयर यशपाल राणा और तत्कालीन विधायक प्रणव सिंह चैंपियन के बीच बड़े संघर्ष का कारण, सबसे बड़े खिलाड़ी साबित हुए ललित मोहन अग्रवाल
एम हसीन
रुड़की। धर्म, जाति, क्षेत्र, भाषा आदि कितनी ही चीजें हैं जो जनता के बीच राजनीतिक प्रतिनिधित्व पैदा करती आई हैं। अगर ये सब नाकाम हो रही हों तो “नकद नारायण” तो है, जो हर हाल में काम करता है। आम है कि जनता को सपने बेचे जाते हैं और उसकी ज़रूरतें खरीदी जाती हैं; क्योंकि गरीब आवाम को भले ही होटल की मिल्कियत न चाहती हो, राजसत्ता न चाहती हो, लक्जरी गाड़ी न चाहती हो, बंगला-कोठी न चाहती हो, लेकिन रोटी तो चाहती ही है, बीमारी में दवाई तो चाहती ही है। जनता की इस जरूरत की इस छोटी सी राई के पीछे कितने ही हिमालय छुप जाते हैं। पोलारिस होटल ऐसा ही हिमालय यानि पहाड़ है जो पिछले निकाय चुनाव में “रुड़की का विकास” नामक राई के पीछे छिपा हुआ था। नगर में चर्चा है कि मेयर पति ललित मोहन अग्रवाल इस होटल का टेक ओवर करने जा रहे हैं; हालांकि इस की पुष्टि करने के लिए फिलहाल ललित मोहन अग्रवाल रुड़की में उपलब्ध नहीं हैं और फोन पर कोई बात करने से उन्होंने टाल दिया है।
एक दौर था जब कॉरपोरेट के लोग कारोबार करते थे और राजनीतिक लोग राजनीति करते थे। तब बेशक राजनीतिक लोग भी जनता की बनिस्बत कॉरपोरेट के हितों को ही सर्वोपरि मानते थे। लेकिन तब कारोबार होता पर्दे में ही था। खुलकर सामने आने से कॉरपोरेट परहेज करते थे। उसी दौर में पोलारिस होटल रुड़की की शान हुआ करता था, यहां की मेहमाननवाजी की पहचान हुआ करता था। रुड़की में इस होटल की स्थापना उस दौर में हुई थी जब यहां नेहरू स्टेडियम स्थापित किया गया था। जिस प्रकार छोटे क्या बड़े नगरों में जब स्टेडियम की स्थापना की विषय में नहीं सोचा जाता था उसी प्रकार होटल के विषय में भी नहीं सोचा जाता था। वह धर्मशालाओं का दौर होता था। उसी दौर में रुड़की में होटल पोलारिस की स्थापना हुई थी जो जिले का इकलौता स्टार रेटिंग वाला होटल बना था।उस दौर में इसकी मेहमान नवाजी फिल्म स्टार्स, बड़े उद्योगपतियों, बड़े जनप्रतिनिधियों के लिए हुआ करती थी लेकिन स्थानीय लोग भी इसकी मेहमान नवाजी का लाभ उठाते थे। तब विदेशों तक में यह होटल रुड़की की परंपरा बन गया था। कोई बड़ी बात नहीं कि यह होटल अपने भीतर सांस्कृतिक समृद्धि का एक बड़ा इतिहास समेटे हुए है। इसकी विशेषता तो इसी बात से साबित हो जाती है कि 2012-13 के बीच जब यह अपने दुर्दिनों का शिकार हुआ था तब रुड़की के जनप्रतिनिधि, राजनेताओं और यहां होटल इंडस्ट्री का बड़ा नाम माने जाने वाले लोगों में इसका टेक ओवर करने की अप्रत्यक्ष होड मच गई थी; हालांकि जाहिरा होड होटल के मालिक को संरक्षण प्रदान करने की ही थी। यूं उस समय जो नाम मंजर ए आम पर आए थे वे नगर विधायक प्रदीप बत्रा और तत्कालीन मेयर यशपाल राणा के अलावा खानपुर के तत्कालीन विधायक प्रणव सिंह चैंपियन का था। इन्हीं तीनों के पीछे तब अलग-अलग लॉबियां हुआ करती थी। इसी कारण तब होटल की मिल्कियत को लेकर मालिक परिवार में विवाद हो गया था और होटल परिसर में रोज पुलिस दिखाई देने लग गई थी। फिर एकाएक होटल पर ताला लग गया था। यह 2015-16 की बात है।
अब 10 साल बाद जाकर होटल पोलारिस एक बार फिर चर्चाओं में है। चर्चा है कि मेयर अनीता देवी अग्रवाल के पति ललित मोहन अग्रवाल का मालिकों के साथ डील हो गया है और वे जल्द ही होटल का टेक ओवर करने जा रहे हैं। यहां यह ध्यान रखने वाली बात है कि ललित मोहन अग्रवाल का अपना आवास होटल पोलारिस की पिछली गली में ही है, इसलिए होटल में उनकी स्वाभाविक रुचि होने की चर्चा हो रही है। साथ ही यह चर्चा भी है कि पिछले 10 सालों से इसे खरीदने की प्रक्रिया में कई लोग अपना टेंडर लिए फिर रहे थे। लेकिन कम से कम तीन लोगों को होटल के मालिकान ने “ब्लैक लिस्ट” किया हुआ था और उन्हें टेंडर डालने की अनुमति नहीं दी गई थी। चर्चा है कि इसी बीच खामोशी से ललित मोहन अग्रवाल ने अपना टेंडर डाला जो कि स्वीकार भी कर लिया गया; हालांकि खुद ललित मोहन अग्रवाल से इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी है, क्योंकि वे बाहर बताए गए हैं। फोन पर *परम नागरिक* से साथ बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि “वे प्रयागराज, अयोध्या आदि की यात्रा पर हैं और वहां से लौट कर ही किसी मुद्दे पर बात करेंगे।” बहरहाल, रुड़की का बदला हुआ राजनीतिक माहौल इस बात का इशारा दे रहा है कि इस चर्चा में कुछ तो दम जरूर है। यानि, उम्मीद की जा सकती है कि जल्द ही पोलारिस होटल के दिन बहुर सकते हैं, अलबत्ता उसे पहले जैसी आन-बान-शान और रुतबा हासिल हो पाएगा या नहीं यह आने वाला समय बताएगा।