भाजपा में देशराज कर्णवाल का नोटिस लिए जाने लायक उभार
एम हसीन
रुड़की। यह करतब करने का हौसला ही नहीं बल्कि तरकीब भी देशराज कर्णवाल के अलावा कोई और अप्लाई नहीं कर सकता। उनका इतिहास इस प्रकार के आयोजनों से और आयोजनों के अपने हित में उपयोग की घटनाओं से भरा पड़ा है। बिल्कुल निचली पायदान से शुरू करके सत्ता शीर्ष के सबसे निकट लोगों के बीच जगह बनाने का ऐसा करतब वे पहले भी कर चुके हैं। अब क्या कोई और सोच सकता था कि डॉ अंबेडकर जयंती के आयोजन को मुख्यमंत्री के “अभिनंदन” का माध्यम भी बनाया जा सकता है! वह भी मुख्यमंत्री के ड्रीम अचीवमेंट के नाम पर। लेकिन झबरेड़ा के पूर्व विधायक, प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष और मौजूदा दर्जाधारी देशराज कर्णवाल ने यह कर दिखाया। निश्चित रूप से कर्णवाल ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को आज जो तोहफा दिया है वह अनमोल है। मुख्यमंत्री की स्वप्निल उपलब्धि समान नागरिक संहिता पर जब कोई भाजपाई चर्चा करने को तैयार नहीं था, तब कर्णवाल ने हरिद्वार के भाजपाइयों की एक लॉबी को जोड़कर डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जयंती पर यह तोहफा मुख्यमंत्री को दिया। उन्होंने डॉ अम्बेडकर महामंच के बैनर पर “समान नागरिक संहिता” लागू करने के लिए मुख्यमंत्री का जोरदार अभिनंदन कर दिया।
सब जानते हैं कि देशराज कर्णवाल वह नाम है जो 2017-2022 के बीच भाजपा के तब के 57 विधायकों में एक रहा है। लेकिन यही वह नाम है जो उन विधायकों में शामिल रहा है जिनका टिकट पार्टी ने 2022 में काट दिया था। यह वह नाम है जिसे 2022 में ही बतौर पार्टी उपाध्यक्ष पार्टी संगठन में स्थान मिला था और यही वह नाम है जो 2023 में हरिद्वार जिले में चुने गए भाजपा के छह में एक ब्लॉक प्रमुख के तौर पर रिकॉर्ड पर आया था, हालांकि कानूनी रूप से प्रमुख उनकी भतीजी करुणा कर्णवाल बनी थी। इन सब राजनीतिक उपलब्धियों के बीच कर्णवाल की सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही है कि वे विधायक रहते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कैंप में भी उतनी ही पकड़ रखते थे, जितनी आज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के कैंप में उनकी दिखाई दे रही है। तब भी सत्ता के गलियारों में उनकी उतनी ही पकड़ थी, जितनी आज दिखाई दे रही है। ऐसा क्योंकर संभव हुआ यह शोध का विषय है; खासतौर पर इसलिए कि कभी त्रिवेंद्र सिंह रावत के खास रहे अन्य भाजपाइयों की कोई पूछ मौजूदा सरकार में दिखाई नहीं देती। संभव है कि कर्णवाल किसी स्तर पर राजनीतिक नदी के किन्हीं दो किनारों के बीच पुल का काम कर रहे हों। बहरहाल, भाजपा में एक बार फिर कर्णवाल का सितारा बुलंदी की ओर दिखाई दे रहा है। यह उन भाजपाइयों के लिए हसद का कारण भी रहा हो सकता है जो अरसे से सत्ता की किसी रेवड़ी का इंतेज़ार कर रहे हैं और इसके लिए जिस-तिस का हुक्का भी भर रहे हैं।