अब “चलो गांव की ओर” के तहत खेड़ा जट में जमाया रंग

एम हसीन

रुड़की। पिछले उप-चुनाव में मंगलौर विधानसभा सीट पर भाजपा के प्रत्याशी रहे हरियाणा सरकार के पूर्व मंत्री करतार सिंह भड़ाना पर “चुनाव हारे और क्षेत्र से सरोकार खत्म” वाली बात चरितार्थ नहीं हो रही है। उन पर उप-चुनाव के दौरान यह आरोप आम लगा था कि वे जीते तो क्षेत्र में नहीं आयेंगे। वे जीत नहीं पाए लेकिन क्षेत्र में उनकी विजिट लगातार रिकॉर्ड की जा रही है। हाल ही में वे धामी सरकार के तीन साल पूरे होने के अवसर पर मंगलौर में आयोजित हुए कार्यक्रम की अगुवाई करके गए थे और अब वे पार्टी के “चलो गांव की ओर” अभियान के तहत मंगलौर पहुंचे हैं। अब भी वे मंगलौर में पार्टी का प्रतिनिधित्व वैसे ही कर रहे हैं जैसे पार्टी का विधायक या विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी रह चुका ऐसा प्रतिनिधि करता है जिसे भविष्य में विधानसभा प्रत्याशी बनने की उम्मीद हो। भड़ाना इसे स्वीकार भी करते हैं। वे कहते रहे हैं कि अगर पार्टी ने उन्हें 2027 में टिकट दिया तो वे निश्चित रूप से चुनाव लड़ेंगे।

जैसा कि हालात से जाहिर है कि करतार सिंह भड़ाना एक तयशुदा कार्यक्रम के तहत मंगलौर विधानसभा क्षेत्र के सबसे महत्वपूर्ण गांवों में से एक खेड़ा जट में पहुंचे। चूंकि पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने भाजपा जन-प्रतिनिधियों के लिए “चलो गांव की ओर” का लक्ष्य निर्धारित किया है तो कार्यक्रम तो तय ही था और खेड़ा जट के लोग भी उनके आगमन के प्रति पहले से जागरूक थे। फिर स्वाभाविक रूप से यहां उनका जोरदार स्वागत हुआ। उन्होंने भी ग्रामीणों की समस्याओं को सुनने में खासा जोश दिखाया। साथ ही लोगों की सदस्याओं के निस्तारण का या तो भरोसा दिलाया या फिर, जो संभव हुआ, उसका निस्तारण मौके पर ही किया। भड़ाना यह संदेश जारी करने में कामयाब रहे कि वे क्षेत्र में राज्य सरकार के प्रतिनिधि हैं और उनकी संस्तुति को राज्य सरकार द्वारा गंभीरता से लिया जाना निश्चित है। ऐसे में उनके प्रति लोगों का रुझान बढ़ना स्वाभाविक था।

जैसा कि सभी जानते हैं कि करतार सिंह भड़ाना उप-चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े थे और महज ढाई सौ वोटों से पराजित हुए थे। उस समय आरोप लगा था कि उन्होंने सरकारी मशीनरी का अपने पक्ष में उपयोग किया था। लेकिन यह भी सच है देहरादून से लेकर दिल्ली तक की कांग्रेस ने अपनी इज्जत का सवाल बनाकर यह चुनाव लड़ा था और मीडिया का अपने पक्ष में भरपूर उपयोग किया था। इस सबके बावजूद भड़ाना की नाममात्र के अंतर की पराजय ने जाहिर है कि अभी तक उनके हौसलों को कायम रखा है और वे 2027 के सामान्य चुनाव में वे यहां अपनी जीत का दावा कर रहे हैं।