क्या चुनावी राजनीति में वापिसी कर पाएंगे प्रणव सिंह चैंपियन?

एम हसीन

रुड़की। 2027 के विधानसभा चुनाव में अभी समय है। लेकिन खानपुर विधानसभा क्षेत्र में चुनावी रण इस साल के शुरू में संपन्न हुए निकाय चुनाव के दौरान ही सज गया था। रही-सही कसर निकाय चुनाव परिणाम ने पूरा कर दी थी जब चैंपियन को जेल गमन करना पड़ा था। करीब 60 दिन जेल में बिताने के बाद चैंपियन वापस आ चुके हैं और उन्होंने राजनीति को भी अंजाम देना शुरू कर दिया है। हाल तक वे अपनी बिरादरी की राजनीति कर रहे थे लेकिन भाजपा में भी सक्रिय थे। हाल में जब मुख्यमंत्री ने कुछ आबादियों के नाम बदले थे तो मुख्यमंत्री का अभिनंदन करने वालों में चैंपियन भी शामिल थे। इसी क्रम में एक कदम आगे बढ़ाते हुए उन्होंने भाजपा के स्थापना दिवस पर अपने कार्यालय पर बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया। इससे उन्होंने यह दिखाया कि भाजपा की राजनीति में उनकी वापिसी हो चुकी है। इसके साथ ही राजनीतिक क्षेत्रों में यह सवाल उठना शुरू हो गया है कि क्या चैंपियन चुनावी राजनीति में भी वापसी कर पाएंगे?

जैसा कि सब जानते हैं कि 2002 से 2022 तक लगातार 4 बार विधायक रहे चैंपियन को भाजपा ने 2022 में टिकट नहीं दिया था। इसके विपरीत पार्टी ने उनकी पत्नी रानी देवयानी को टिकट दिया था जो कि चुनाव हार गई थी। जाहिर है कि चुनावी हार भले ही रानी देवयानी की हुई हो, राजनीतिक हार तो चैंपियन की ही हुई थी और चैंपियन जनता के बीच बाद में हारे थे पहले पार्टी में हारे थे। वे हारे थे इसका प्रमाण तो यही था कि उनका टिकट कटा था। सच बात तो यह है कि वे पार्टी के भीतर हारे थे इसी कारण वे जनता के बीच हारे थे और जिस कारण वे पार्टी के भीतर हारे थे वही उनके पिछले 4 महीनों के कष्टों का कारण भी बना था। अब वे अपने हालिया कष्टों से उबर गए हैं लेकिन उन कारणों को वे माइनस नहीं कर सकते जो उनके कष्टों के कारण बनते रहे हैं। अन्य शब्दों में इसे यूं कहा जा सकता है कि जो कारण उनके सामने 2022 में थे वही 2025 में भी थे और वही 2027 में भी उनके सामने रहेंगे।

फिर, भले ही चैंपियन यह दावा कर सकते हैं कि 2024 के लोकसभा चुनाव में खानपुर विधानसभा क्षेत्र में उनके प्रबल प्रतिद्वंदी उमेश कुमार हारे थे और यहां भाजपा के त्रिवेंद्र सिंह रावत जीते थे; साथ ही हाल के अपने एपिसोड के दौरान में अपनी बिरादरी को अपने साथ जोड़ लेने में कामयाब रहे हैं लेकिन वे इस हकीकत को नहीं बदल सकते कि 2024 में मंगलौर विधानसभा के उप-चुनाव में भाजपा ने अपने प्रत्याशी के रूप में एक नया गुर्जर कार्ड इस्तेमाल किया था। वह कार्ड, करतार सिंह भड़ाना, मंगलौर में अब भी सक्रिय हैं और न केवल टिकट की उम्मीद जता रहे हैं बल्कि सामान्य चुनाव में अपनी जीत का दावा भी कर रहे हैं। जाहिर है कि चैंपियन के सामने चुनौती केवल उमेश कुमार की ही नहीं है बल्कि करतार सिंह भड़ाना की भी है अलबत्ता यह हो सकता है कि भाजपा दो सीटों पर गुर्जर प्रत्याशी लड़ा दे। भाजपा ऐसा पहले भी कर चुकी है। फिर भी यह सवाल अंत तक कायम रहेगा कि खानपुर में अगर चैंपियन की वापसी को भाजपा स्वीकार कर भी लेती है तो भी टिकट उन्हें खुद को मिलेगा या उनकी पत्नी रानी देवयानी को?