एम हसीन

रुड़की। वैसे भाजपा समर्थक लेकिन इस चुनाव में कांग्रेस को समर्थन दे रहे रुड़की के एक प्रबुद्ध और सक्रिय नागरिक ने आज “परम नागरिक” के साथ बातचीत करते हुए कहा कि निर्दलीय श्रेष्ठा राणा बहुत मजबूत स्थिति में हैं, वे चुनाव का त्रिकोण हैं। लेकिन अभी यह नहीं कहा जा सकता कि जीत कौन रहा है।” इस पर मेरा कहना है कि मतगणना से पहले कभी भी नहीं कहा जा सकता कि कौन जीत रहा है, अगरचे कोई मतदाता की राय को, नगर के माहौल को किसी खातिर में न लाना चाहे। कौन चुनाव में है यह माहौल से ही तय होता है। और माहौल के मुताबिक उपरोक्त नागरिक भी मानते हैं कि श्रेष्ठा राणा त्रिकोण का हिस्सा हैं। मतदान से 8 दिन पहले किसी प्रत्याशी के लिए इससे बड़ी तसल्ली और क्या हो सकती है कि वह चुनाव का हिस्सा है। इस दृष्टिकोण से राम प्रसाद बिस्मिल का यह शेर प्रासंगिक हो जाता है कि “ऐ शहीद ए मुल्क ओ मिल्लत, मैं तेरे ऊपर निसार। अब तेरी हिम्मत का चर्चा गैर कि महफिल में है।” गैर यानी वह प्रबुद्ध नागरिक जो मूलरूप से भाजपा में है लेकिन इस चुनाव में कांग्रेस के साथ हैं, अगर मानते हैं कि आज की डेट में श्रेष्ठा राणा चुनाव का त्रिकोण हैं तो मान लेना चाहिए कि श्रेष्ठा राणा चुनाव जीत सकने की स्थिति में आ सकती हैं।

दरअसल, श्रेष्ठा राणा त्रिकोण का हिस्सा उसी समय थीं जब उन्होंने चुनाव लड़ने की घोषणा की थी। भाजपा के साथ सीधे मुकाबले में पिछला विधानसभा चुनाव महज दो हजार वोटों से हार कर आए श्रेष्ठा राणा के पति पूर्व मेयर यशपाल राणा कोई हारने के लिए निर्दलीय चुनाव मैदान में नहीं आए। वे चुनाव जीतने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा रहे हैं, यही इस बात का प्रमाण है कि वे जीतने के लिए मैदान में आए हैं। परिणाम बेशक उनके हाथ में नहीं है लेकिन मेहनत उनके हाथ में है। वहीं वे कर रहे हैं। यही कारण है कि उनके विरोधी भी उन्हें खारिज नहीं कर पा रहे हैं।

मैं ने पिछले 35 सालों में रुड़की में कई निकाय चुनाव होते हुए अपनी आंखों से देखे हैं उनका कवरेज किया है, उन पर रिपोर्टिंग की है। मेरा व्यक्तिगत अनुभव यह है कि निर्दलीय प्रत्याशी के मामले में फर्स्ट इंस्टेंस में जो जनता का रिएक्शन होता है, वही अंतिम रिएक्शन होता है।साधारण मामलों में जनता एक खास समय तक प्रत्याशी, चाहे वह दलीय हो, चाहे निर्दलीय हो, की मेहनत को परखती है, उसे मिलने वाले समीकरण को देखती है, उसके गणित पर गौर करती है, उसके बाद जनता अपने-आपको प्रत्याशी के पक्ष में एक्सपोज करती है। और जब जनता खुद को किसी के पक्ष में एक्सपोज कर देती है तो खास लोगों भी प्रत्याशी के साथ खड़े हो जाते हैं। लेकिन श्रेष्ठा राणा ने फर्स्ट इंस्टेंस में ही अपने-आपको जनता ने एक्पोज कर दिया था। इसलिए उनकी मजबूती का मसला अहम नहीं है। मजबूत तो वे हैं ही। बात विनिंग वोट की है। इसीलिए अब कोशिशें हो रही हैं।