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रुड़की। स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी परिवार समिति के तत्वाधान में देशभर में चलाए जा रहे प्रत्येक माह के प्रथम रविवार को प्रातः 10 बजे 10 मिनट अपने पूर्वज स्वतंत्रता सेनानियों व शहीदों के नाम अभियान के अंतर्गत आज रुड़की स्थित ऐतिहासिक सुनहरा वट वृक्ष पर , ब्लॉक रुड़की स्थित स्वतंत्रता सेनानी स्मृति स्तंभ पर , ब्लॉक भगवानपुर स्थित स्वतंत्रता सेनानी स्मृति स्तंभ पर तथा अन्य शहीद स्मारकों पर स्वतंत्रता सेनानियों के उत्तराधिकारियों तथा शहर के गणमान्य लोगों ने उपस्थित होकर अपने पूर्वज स्वतंत्रता सेनानियों और शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित की तथा उनके बलिदानों को याद किया। सुनहरा वटवृक्ष पर स्थित शहीद स्तंभ पर आज प्रातः 10:00 बजे संस्था अध्यक्ष देशबंधु के नेतृत्व में कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रगान से हुई व उपस्थित सभी लोगों ने शहीदों को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए। इस अवसर पर रुड़की के वरिष्ठ साहित्यकार पूर्व प्रधानाचार्य सुबोध पुंडीर सरित ने वट वृक्ष पर अपनी एक रचना “यह वट वृक्ष तो जिंदा समाधि है आजादी के परवानों ” की सुना कर सबको भाव विभोर कर दिया। श्रीमती राजकुमारी सैनी ने भी एक देशभक्तिपूर्ण गीत सुनाया। वरिष्ठ साहित्यकार व अमर शहीद जगदीश वत्स के भांजे डॉ. श्रीगोपाल नारसन ने स्वतंत्रता संग्राम का संक्षिप्त परिचय देते हुए बताया कि किस तरह से स्वतंत्रता आंदोलन में सन् 1921 में महात्मा गांधी जी का प्रादुर्भाव हुआ तथा उन्होंने बदली हुई परिस्थितियों में किस प्रकार से पूरे देश को स्वतंत्रता आंदोलन से जोड़कर उसमें जन सामान्य की भागीदारी सुनिश्चित करते हुए इतने बड़े ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ एक अहिंसात्मक आंदोलन चलाने की रूपरेखा तैयार की और अंततः सफलता प्राप्त की। इस अवसर पर संस्था के कार्यकारी अध्यक्ष सुरेंद्र कुमार सैनी, सुशील शर्मा, संजय चौबे आदि ने भी अपने विचार प्रकट किए। कार्यक्रम में हरिशंकर सैनी, सुशील कुमार, संजय कुमार चौबे, रणवीर सिंह रावत, देवांश सैनीआदि उपस्थित रहे।
सुनहरा वटवृक्ष के बाद सभी लोग ब्लॉक रुड़की स्थिति स्वतंत्रता सेनानी स्मृति स्तंभ पर गए तथा वहां पर भी स्वतंत्रता सेनानियों व शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित की । ब्लॉक भगवानपुर स्थित स्वतंत्रता सेनानी स्मृति स्तंभ पर संस्था के उपाध्यक्ष नवीन शरण निश्चल के नेतृत्व में कार्यक्रम का आरंभ राष्ट्रगान के साथ किया गया तथा उसके बाद शहीदों को पुष्पांजलि एवं श्रद्धांजलि देने का कार्यक्रम किया गया। इस अवसर पर नवीन शरण निश्चल ने अपने बाबा जी स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय आसाराम सैनी की स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका को याद करते हुए उनका संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत किया। इस आयोजन में राजीव कुमार सैनी, मोहित कुमार सैनी, श्रीमती मधु सैनी, श्रीमती कविता सैनी, नवोदिता, कृष्णा, श्रेया आदि उपस्थित रहे।