जिलाधिकारी सरकारी मशीनरी के कस रहे पेंच, एसपी आम जनता को पढ़ा रहे कानून का पाठ, पुष्कर सिंह धामी की सरकार का सबसे उल्लेखनीय पक्ष
एम हसीन
हरिद्वार। अब प्रोन्नत होकर उच्च पदस्थ हो चुके आई पी एस संजय गुंज्याल ने कभी हरिद्वार जिले का एस एस पी रहते हुए दोपहिया वाहन चालकों के लिए हेलमेट की अनिवार्यता पर जोर दिया था। बेशक उन्होंने इसके लिए नियमित चेक अभियान की व्यवस्था भी की थी जो सी पी यू के तौर पर आज भी जारी है। आज इसका व्यवहारिक रूप से इसका प्रभाव दो पहिया वाहन चालकों पर साफ दिखाई देता है। उम्मीद कीजिए कि अगले सालों में कुछ और नियमों का पालन करना लोगों की आदत बनने वाली है। कुछ वर्षों बाद इसका श्रेय निश्चित रूप से मौजूदा एस एस पी प्रमेंद्र डोभाल को जाएगा जो तब तक प्रोन्नत होकर उच्च पदस्थ हो चुके होंगे। बिना नंबर वाले दोपहिया वाहनों के मामले में पुलिस द्वारा की जा रही कार्यवाही का दूसरा उल्लेखनीय पक्ष यह भी है कि इससे विभाग का खजाना भी लबालब भर रहा है। एस एस पी की पुलिस ऐसा ही अभियान किरायेदारों के सत्यापन को लेकर भी चला रही है। इसके लिए एक व्यवस्था निर्धारित है और जो मकान मालिक या किरायेदार तत्संबंधी नियम का पालन नहीं करता उससे नियम पालन कराने संबंधित थाना क्षेत्र की पुलिस उसके घर पहुंच जाती है। जिलेभर की पुलिस द्वारा इस मामले में चालान की कार्यवाही की जाती है।
लोगों को कानून के दायरे में लाने के लिए पुलिस का यह अभियान पहले से चल रहा है और अब नए जिलाधिकारी कर्मेंद्र सिंह ने इसी अभियान को सरकारी कार्यालयों में लागू करने की प्रक्रिया शुरू की है। हालांकि जिलाधिकारी किसी अधिकारी कर्मचारी के खिलाफ चालान की कार्यवाही नहीं कर रहे हैं लेकिन नियम की अवहेलना का कोई तार्किक कारण न बता पाने वाले अधिकारियों कर्मचारियों पर भी अर्थ दंड नियम लागू हो सकता है। मसलन, कार्यालय से अनुपस्थित रहने पर उसका वेतन रोका जा सकता है। जिलाधिकारी के इस कार्य की स्वाभाविक रूप से सामान्यजन के बीच प्रशंसा हो रही है। कारण यह है जिलाधिकारी फरियादी के काम को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रहे हैं। उनका स्पष्ट आदेश है कि कार्यालय में पहुंचा फरियादी मायूस होकर वापिस न लौटे। उसके कार्य का निस्तारण होना चाहिए और ऐसा तभी होगा जब अधिकारी कर्मचारी कार्यालय में नियमित रूप से उपस्थित रहेंगे।
उपरोक्त दोनों ही मामलों का जो सबसे उल्लेखनीय पक्ष उभर रहा है वह यह है कि जितने बड़े पैमाने पर कार्यवाही अमल में आ रही है उसे देखकर हैरत होती है कि सामान्य जन ही नहीं बल्कि कानून का पालन सुनिश्चित कराने वाली मशीनरी के लोग भी कानूनों की बड़े पैमाने पर अवहेलना कर रहे हैं। मसलन, जिलाधिकारी जिन कार्यालयों में निरीक्षण करने पहुंचे वहां उन्हें इक्का दुक्का अनुपस्थिति नहीं मिली बल्कि व्यापक अनुपस्थिति मिली और यूं अनुपस्थित रहने वालों में कार्यालयों के मुखिया तक शामिल रहे। इसी प्रकार किरायेदार सत्यापन मामले में जिले के थानों ने जितने चालान किए उनकी संख्या ही यह बताने के लिए काफी है कि नियम को लेकर लोग कितने लापरवाह हैं। बिना नंबर के पकड़े गए दोपहिया वाहनों की संख्या ही बताती है कि बात बात में संविधान की दुहाई देने वाले लोग कानून का कितना पालन करते हैं।
बहरहाल, खासजन से लेकर आमजन तक को कानून के दायरे में लाने की जिलाधिकारी कर्मेंद्र सिंह की और एस एस पी प्रमेंद्र डोभाल की यह मुहिम निश्चित रूप से राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की कानून पालन के मामले में स्पष्ट सोच को दर्शाती है। कानून के राज का जब मसला है तो राज कानून का ही होना भी तो चाहिए।