यह कमाल की पार्टी है, इसके कार्यकर्ताओं की सक्रियता कमाल की है
एम हसीन
हरिद्वार। भारतीय जनता पार्टी का इन दिनों सदस्यता अभियान चल रहा है। पार्टी हर छः साल बाद सदस्यता अभियान चलाती है और नए कार्यकर्ता पार्टी के साथ जोड़ती है। यही सिलसिला इन दिनों चल रहा है। अहमियत इस बात की है कि इससे हर कार्यकर्ता अपने आप को जोड़ रहा है। कोई विधायक, कोई सांसद, कोई कैबिनेट मंत्री, कोई राज्यमंत्री, कोई पदाधिकारी या कोई कार्यकर्ता ऐसा नहीं जो इसमें न केवल अपनी शिरकत दर्ज नहीं करा रहा है बल्कि अपनी शिरकत का प्रदर्शन भी कर रहा है। चूंकि सदस्यता मिस्ड कॉल के माध्यम से ऑन लाइन दी जा रही है और इसके लिए हर कार्यकर्ता को एक लिंक दिया गया है तो हर कार्यकर्ता चाहता है कि अधिक से अधिक नए कार्यकर्ता उसके लिंक के माध्यम से सदस्यता ग्रहण करें ताकि वह बड़ा पदाधिकारी निर्वाचित हो सके।
अब चूंकि भाजपा पहले से ही दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बनी हुई है तो जाहिर है कि खूब मारामारी मची हुई है। यूं अपने लिंक से नए कार्यकर्ता बनाकर हर कार्यकर्ता हाई कमान की निगाह में अपनी सक्रियता प्रदर्शित कर रहा है। दूसरी ओर वह मीडिया में अपनी सक्रियता को रखंकित करा रहा है। जैसा कि कल हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत लोगों से भाजपा का सदस्य बनने का आह्वान लेकर बाजारों में उतरे; घर घर गए।
लेकिन भाजपा कार्यकर्ताओं की सक्रियता यहीं आकर विराम पा रही हो, ऐसा नहीं है। नित दिल्ली से नए कार्यक्रम घोषित होते हैं, नित देहरादून से नए कार्यक्रम घोषित होते हैं। इन सबमें हर कार्यकर्ता की उपस्थिति लाजमी तौर पर सामने आती है। नित मंत्रियों के, सांसदों के दौरे होते हैं, नित विधायक कार्यक्रम निर्धारित करते हैं, उन सबमें, भले ही गुटबाजी के हिसाब से वह घट बढ़ जाती हो, कार्यकर्ताओं की उपस्थिति लाजमी होती है। फिर कार्यकर्ताओं की अपनी योजनाएं भी हैं। किसी को पार्षद चुनाव की तैयारी करनी है, किसी को मेयर की, किसी को विधानसभा का चुनाव लडना है तो किसी को राज्यमंत्री पद हासिल करना है। फिर इतने त्योहार हैं। निजी संबंधों में इतने व्यक्तिगत फंक्शन हैं; रोज शादियां हैं, जन्म दिन हैं। इन सबमें शिरकत दर्ज करानी है। बात केवल इतने पर महदूद नहीं है। क्योंकि डबल इंजन की सरकार है और सरकारी योजनाओं, कार्यक्रमों की बैठकों में भी पदाधिकारियों कार्यकर्ताओं को शिरकत दर्ज करानी पड़ती है तो ये जिम्मेदारियां भी लेकर चलना पड़ती हैं। फिर बड़े पदाधिकारियों को प्रबुद्ध वर्ग के कामों के लिए शासन जिला मुख्यालय या नगर मुख्यालय के स्तर पर मंत्रियों या अधिकारियों के पास भी जाना पड़ता है। जाहिर है कि इतनी जिम्मेदारियों को निभाने के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं को 24 घंटे और 365 दिन फौजी की तरह मोर्चे पर तैनात रहना पड़ता है। साधुवाद है भाजपा के कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों, विधायकों, सांसदों आदि को।