फिर बने राष्ट्रीय सचिव और इस बार महाराष्ट्र के राष्ट्रीय सचिव

एम हसीन

मंगलौर। कांग्रेस में स्थानीय विधायक क़ाज़ी निज़ामुद्दीन का जलवा बरकरार है। वे एक बार फिर पार्टी के राष्ट्रीय सचिव बनाए गए हैं। साथ ही उन्हें महाराष्ट्र राज्य में पार्टी का सह प्रभारी भी बनाया गया है। यह अहम जिम्मेदारी उन्हें महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से ऐन पहले दी गई है। जाहिर है कि चुनाव में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण हो रहेगी और हर हाल में राष्ट्रीय राजनीति को प्रभावित करने वाले महाराष्ट्र विधानसभा के आसन्न चुनाव की दिशा तय करने को लेकर उनकी भूमिका पर पक्ष विपक्ष की नजर रहेगी।

क़ाज़ी निज़ामुद्दीन 2009 से ही कांग्रेस के समर्पित सिपाही बने हुए हैं। राजनीति में इनकी एंट्री बसपा से हुई थी। 2002 व 2007 में वे बसपा के टिकट पर ही विधायक बने थे। लेकिन 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने बसपा प्रत्याशी हाजी शहजाद के खिलाफ कांग्रेस के प्रत्याशी हरीश रावत की मदद की थी। जीतने के बाद हरीश रावत केंद्रीय मंत्री बने थे और फिर राज्य के मुख्यमंत्री भी बने थे। लेकिन हरीश रावत ने राज्य में क़ाज़ी निज़ामुद्दीन की जड़ों को खोदने का काम किया था। उनकी टीम ने 2012 में क़ाज़ी निज़ामुद्दीन के खिलाफ काम किया था जो कि उनकी हार का कारण बना था। फिर 2022 के विधानसभा चुनाव भी हरीश रावत की टीम क़ाज़ी निज़ामुद्दीन के खिलाफ ही रही थी। लेकिन इन सारी चीजों ने क़ाज़ी निज़ामुद्दीन को पहले ही पार्टी की राष्ट्रीय राजनीति में हरीश रावत विरोधी लॉबी के बीच स्थापित कर दिया था और वे काफी पहले राष्ट्रीय सचिव बना दिए गए थे। उस दौर में वे राजस्थान के सह प्रभारी भी रहे थे।

क़ाज़ी निज़ामुद्दीन को हाल ही में मंगलौर में उप चुनाव का सामना करना पड़ा था और भारी कश मकश व संघर्ष के बाद वे महज सवा चार सौ वोटों के अंतर से जीते थे। उनकी कश मकश को हरीश रावत की उस राजनीति ने भी बढ़ाया था जो वे चुनाव में मंगलौर में कर रहे थे। बहरहाल, क़ाज़ी निज़ामुद्दीन की जीत ने उनके प्रभाव को पार्टी की राजनीति में कायम रखा था। इसी का परिणाम यह है कि वे एक बार फिर पार्टी में राष्ट्रीय सचिव बनाए गए हैं। उनकी इस उपलब्धि में इस बात की भी अहम भूमिका है कि संपन्न लोकसभा चुनाव में उन्होंने न केवल राय बरेली सीट पर राहुल गांधी के लिए खूब पसीना बहाया था बल्कि पंजाब की पटियाला सीट के प्रभारी के रूप में भी वे पार्टी के खूब काम आए थे। यहां पार्टी का प्रत्याशी प्रभावशाली अंतर से जीतकर आया था और इसका क्रेडिट क़ाज़ी निज़ामुद्दीन के पार्टी लेजर में भी दर्ज हुआ था।