पिछले काम को बना रहे अपनी अगली मुहिम की बुनियाद

एम हसीन

झबरेड़ा। निकाय चुनाव के अंतिम कार्यक्रम की घोषणा को लेकर हालांकि अभी भी कन्फ्यूजन बना हुआ है लेकिन इतना अब निश्चित सा लगता है कि दीपावली के आस पास जाकर चुनाव हो ही जायेगा। इसी के तहत पिछली बार निकाय प्रमुख रह चुके चेहरे अंगड़ाई लेकर उठ खड़े हुए हैं। बीच में करीब एक वर्ष उन्हें सुस्ताने का मौका जरूर मिला लेकिन दोबारा मैदान में आने का समय आ गया महसूस हो रहा है। झबरेड़ा नगर पंचायत के निवर्तमान अध्यक्ष मानवेंद्र सिंह ऐसे ही चेहरों में एक हैं। उन्होंने पिछली बार 2018 में भाजपा के टिकट पर पहली बार चुनाव लड़ा था और फिर जीतकर 5 साल नगर का निज़ाम चलाया था। 2 दिसंबर 2023 को उनका कार्यकाल पूरा हुआ था और निकाय का प्रभार प्रशासक को चला गया था।

बहरहाल, मानवेंद्र सिंह के संदर्भ में इतना उल्लेखनीय उनका चुनाव लड़ना या जीतना नहीं था जितना उनका 5 वर्ष का कार्यकाल था। जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है कि मानवेंद्र सिंह ने 2018 में पहली बार यहां की कमान संभाली थी। यह पद उन्हें अपने पिता चौधरी कुलवीर सिंह की विरासत के रूप में मिला था जो पंचायती राज व्यवस्था लागू होने के बाद पहली बार 1989 में यहां के नगर प्रमुख बने थे और 2001 में दूसरा कार्यकाल पूरा होने तक पदस्थ रहे थे। यह वह दौर था जब अभी आबादी का विस्फोट नहीं हुआ था, औद्योगिकीकरण नहीं हुआ था, भ्रष्टाचार विस्तृत नहीं हुआ था और पर्यावरण का संतुलन कायम था। यही कारण है कि निकायों के संसाधन बेहद सीमित होने के बावजूद झबरेड़ा नगर पंचायत क्षेत्र में “सदा चैन की बंसी बजाता आए शाम सवेरा” वाली बात थी। आमतौर पर ग्रामीण पृष्ठभूमि वाले इस कस्बे में अगर बहुत अधिक सुविधाएं नहीं थी तो बहुत बड़ी समस्याएं भी नहीं थी।

लेकिन मानवेंद्र सिंह के दौर तक बहुत कुछ बदल चुका था। औद्योगिकीकरण के चलते बरसाती पानी के रास्ते बंद हो गए थे और कस्बा जल भराव का शिकार होने लगा था। अर्थात समस्याएं आ चुकी था और अब इनके हल का सवाल सामने था। इस समस्या को पहली बार मानवेंद्र सिंह ने समझा और इसके निदान के लिए काम किया। फिर कस्बे के सौंदर्यीकरण के लिए काम किया और झंडा चौक का निर्माण कराकर उसे राष्ट्रीय भावना से जोड़ा। उन्होंने गलियों मुहल्लों में सड़कों, नालियों, रास्तों के निर्माण और नव निर्माण पर फोकस किया और कामयाबी हासिल की। अपने कार्यकाल में मानवेंद्र सिंह को कोविड की चुनौती के रूबरू होना पड़ा और इससे वे कामयाबी के साथ जूझे। विशेष रूप से स्वच्छता अभियान को उन्होंने व्यक्तिगत प्राथमिकता पर रखा और बेहतर परिणाम दिए। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार द्वारा संचालित की जाने वाली योजनाओं का अधिकतम लाभ अपने मतदाताओं के लिए सुनिश्चित किया। उनके कार्यकाल में और भी बहुत कुछ हुआ जिसका उल्लेख समय समय पर होता रहा।

और अब नई पारी की शुरुआत का संघर्ष सामने है। कोई बड़ी बात नहीं इस बार भी उन्हें चुनौती उनके परंपरागत प्रतिद्वंदी डा गौरव चौधरी से ही मिलने वाली है जो खुद भी नगर पंचायत अध्यक्ष रह चुके हैं। देखना दिलचस्प होगा कि झबरेड़ा की जनता मानवेंद्र सिंह को उनकी सेवाओं का कितना सिला देती है।