मेयर सीट पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित हुई तो हाजपा टिकट पर ठोकेंगे दावा

एम हसीन

रुड़की। नगर व्यापार मंडल के अध्यक्ष अरविंद कश्यप नगर के उन लोगों में एक हैं जिनकी व्यक्तिगत भागीदारी के बगैर शायद ही नगर की कोई सामाजिक गतिविधि संपन्न होती हो। उम्र के पांचवें दशक से आगे बढ़ चुके अरविंद कश्यप इस जिम्मेदारी को तभी से निभा रहे हैं जबसे उन्होंने होश संभाला है और सेवा की इस परंपरा की शुरुआत की पहल अपने परिवार की ओर से उन्होंने नहीं की थी। यह उन्हें अपने पिता श्यामलाल कश्यप (अब स्वर्गीय) से मिली थी। उन्हें भी यह परंपरा अपने पिता स्व कुंदन लाल से मिली थी। कुंदन लाल ने मिष्ठान निर्माण का काम तब शुरू किया था जब समाज में कामों का बंटवारा इसी रूप में हुआ हुआ था; अर्थात खाद्य पदार्थों के उत्पादन और निर्माण का काम कश्यप समाज के लोगों की ही जिम्मेदारी थी। कहने का मतलब यह है कि अरविंद कश्यप जब श्री कुंदन स्वीट्स का संचालन कर रहे हैं तो वे केवल अपने परिवार की ही नहीं बल्कि देश की, समाज की भी परंपरा का पालन कर रहे हैं। इस परंपरा को सेवा का छौंक उनके पिता ने लगाया था जब उन्होंने व्यापारी के साथ साथ सामाजिक जीवन भी स्वीकार किया था।

अहम यह है कि उनका सेवाभाव भी अब नगर की स्थापित संस्कृति का हिस्सा बन चुका है। अभी हाल ही में अरविंद कश्यप ने अपने उत्पादन “घेवर” को 126 वर्ष पुरानी परंपरा के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने इसके लिए हरिद्वार पुलिस लाइन समेत कई स्थानों पर स्टाल लगाए। यही क्यों, नगर के सामाजिक रूप से ऐसे कम ही आयोजन होते हैं जिनमें किसी न किसी रूप में अरविंद कश्यप की भागीदारी न होती हो। वे प्रशासनिक व्यवस्था में बराबर अपनी सेवाएं प्रदान करते आ रहे हैं। सामाजिक रूप से वे अपने परिवार का ही नहीं बल्कि अपने कश्यप समाज का भी दशकों से प्रतिनिधित्व करते आ रहे हैं। गोगा पीर पर छात्र चढ़ाने का काम वे ही करते हैं। इसके अलावा वे ही कश्यप समाज की सामाजिक संस्थाओं की जिम्मेदारी सभलते हैं। अब लगता है समय आ गया है जब वे नगर से अपनी तीन पीढ़ियों की सेवा का सिला मांगेंगे।

जैसा कि ऊपर बताया गया है कि अरविंद कश्यप नगर व्यापार मंडल के निर्वाचित अध्यक्ष हैं। वे 1995 के राजेश गर्ग के नेतृत्व वाले नगर पालिका परिषद बोर्ड के सदस्य रह चुके हैं और पुराने भाजपा कार्यकर्ता हैं। नगर भाजपा की राजनीति में उनके लिए अभी तक कोई गुंजाइश नहीं बन सकी क्योंकि विधानसभा में पिछड़ा आरक्षण की व्यवस्था नहीं है और निकाय में यहां कभी आरक्षण लागू हुआ नहीं। लेकिन वे लंबे समय से प्रतीक्षा करते आ रहे हैं कि निकाय प्रमुख पद पर आरक्षण लागू हो और वे पहले भाजपा से और फिर जनता से तीन पीढ़ियों द्वारा की गई अपनी सेवाओं का सिला मांग सकें। इस बार उम्मीद बंध रही है कि रुड़की मेयर पद आरक्षण के कोटे में जा रहा है। अगर ऐसा होता है तो अरविंद कश्यप की दावेदारी को कमतर करके आंकना किसी के लिए भी आसान नहीं होगा।