लेकिन इस समाज सेवा का उद्देश्य अभी भी स्पष्ट नहीं! अगर उनके उद्देश्य विधानसभा चुनाव लड़ना है तो उनके लिए काम अभी और भी हैं
एम हसीन
रुड़की। फोनिक्स ग्रुप ऑफ कॉलेज के चेयरमैन चेरब जैन मुझे पसंद नहीं करते। जिन लोगों के बीच उनका उठना-बैठना है शायद वे उन्हें यही सलाह देते हैं कि वे मेरा फोन रिसीव न करें। लेकिन इस बार कुछ अलग हुआ। चेरब जैन ने इस बार अपनी ओर से मुझे व्हाट्सएप मैसेज भेजा। उन्होंने मुझे लिखा कि वे अपने अभियान का 8वाँ चिकित्सा शिविर आयोजित करने जा रहे हैं। उन्होंने मुझे जोर देकर बताया कि यह उनका संकल्प है और वे इस संकल्प पर कायम हैं। अच्छी बात है। उन्हें शुभकामनाएं और बधाई। अगर वे जन-स्वास्थ्य के प्रति अपना कोई दायित्व मानते हैं और उसे निभाने की कोशिश कर रहे हैं तो यह निश्चित रूप से अच्छी बात है। लेकिन क्या इसके पीछे उनका कोई राजनीतिक या व्यवसायिक उद्देश्य है? कोई स्वार्थ है? व्यवसायिक उद्देश्य को लेकर फिर कभी चर्चा करेंगे, फिलहाल राजनीतिक उद्देश्य पर ही।
जैसा कि खुद चेरब जैन ने ही बताया है कि उनके द्वारा आयोजित किया गया था कि यह 8वां चिकित्सा शिविर था। इससे पहले उन्होंने 7 चिकित्सा शिविर आयोजित किए थे। सभी शिविर दिसंबर”24 तक आयोजित किए गए थे और फिर दिसंबर में उन्होंने भाजपा से मेयर का टिकट मांगा था। स्पष्ट हुआ था कि उनके शिविर अभियान के पीछे उनका राजनीतिक उद्देश्य था। टिकट उन्हें नहीं मिला था, लेकिन चुनाव में वे पूर्णतः सक्रिय रहे थे। किसी को हराने और किसी को जिताने में उनकी खुली रुचि दिखाई दी थी। साथ ही, बधाई-शुभकामना संबंधी उनके होर्डिंग्स भी नगर में हाथ के हाथ दोबारा लग गए थे। प्रचार के मामले में वे पीछे नहीं हटे हैं, यह दिखाई दे रहा है। अलबत्ता चिकित्सा शिविर को लेकर उनकी सक्रियता जुलाई तक दिखाई नहीं दी थी। इसके बावजूद उनका 8वाँ शिविर अगस्त के शुरू में ही संपन्न हो गया। सवाल यह है कि इस बार उनका उद्देश्य क्या है?
जैसा कि मैंने बताया कि वे प्रचार पर खूब खर्च कर रहे हैं। इसका एक प्रभाव मीडिया के बीच बढ़ रहे उनके समर्थन से मिलता है। एक ओर उनके कार्यक्रम का कवरेज खूब होता है दूसरी ओर समन्वय की राजनीति करने वाले पत्रकार भी उन्हें नगर में विधायक प्रदीप बत्रा और मेयर पति ललित मोहन अग्रवाल के विकल्प के रूप में मौखिक रूप से प्रचारित करते आम दिखाई देते हैं। यह बेवजह हो, ऐसा नहीं है। उद्देश्य स्पष्ट दिखता है। ऐसे में अहम यह है कि भाजपा से सीटिंग विधायक का टिकट कटवाकर और मेयर पति के दावे को सफल चुनौती देते हुए भाजपा से टिकट हासिल कर लेना क्या महज चिकित्सा शिविर के भरोसे ही संभव हो सकता है? पक्ष-विपक्ष के बीच समानांतर राजनीति होना कोई नई बात नहीं है। हो सकता है कि चेरब जैन ने अपने लिए समर्थन का कोई पतनाला कांग्रेस में भी बहा लिया हो लेकिन सवाल जन-सरोकारों का है। चेरब जैन जन-सरोकारों से कितना जुड़े हैं? बिजली, पानी, सड़क, नाली, राशन कार्ड, आधार कार्ड आदि जन-सरोकारों को लेकर उनका कितना काम है? इलीट क्लास का वे हिस्सा हैं इसलिए वहां उनके व्यापक संपर्क होना स्वाभाविक है लेकिन नगर के बौद्धिक वर्ग से उनका कितना संबंध है? फिर, क्या वे उन लोगों के संपर्क में हैं जिनके लिए प्रदीप बत्रा “प्राण वायु” हैं? ध्यान रहे कि ये सब सवाल केवल तब प्रासंगिक हैं जब उनका उद्देश्य चुनाव लड़ना हो! अगर उन्हें चुनाव नहीं लड़ना तो 8वें चिकित्सा शिविर के लिए उन्हें साधुवाद!