कश्यप समाज ने सम्मेलन आयोजित कर अपनी उपेक्षा पर जताया अफसोस, समाज के अगुआ अरविंद कश्यप ने दी मीडिया को जानकारी
एम हसीन
रुड़की। यह खासी दिलचस्प बात है कि कश्यप समाज को भाजपा से शिकायत है, जैसा कि बिरादरी के हाल ही में हुए एक सम्मेलन में दिखाई दिया। सम्मेलन में वक्ताओं ने इस बात पर अफसोस जताया कि भाजपा का भरपूर समर्थन करने वाले कश्यप समाज को भाजपा सरकार उपकृत कर रही है और न ही भाजपा संगठन। सम्मेलन में तय किया गया, जैसा कि मीडिया को जानकारी देते हुए समाज के अगुआ अरविंद कश्यप ने बताया, कि समाज का एक प्रतिनिधिमंडल शीघ्र ही मुख्यमंत्री से भेंट कर अपने लिए सरकार में हिस्सेदारी की मांग करेगा।
जैसा कि सब जानते हैं कि पिछड़ा वर्ग से आने वाली बिरादरियों का समर्थन भाजपा को तभी से मिलता आ रहा है जब से इसका उदय हुआ है। इसका कारण केवल इतना ही नहीं है कि दूसरा प्रमुख दल, कांग्रेस, पिछड़ा बिरादरियों को ज्यादा प्रतिनिधित्व नहीं देती बल्कि इसका प्रमुख कारण यह है कि भाजपा पिछड़ा वर्ग की सैनी, गुर्जर, प्रजापति, धीमान, पाल एवं अन्य बिरादरियों को सम्मान देती आई है। मसलन, हाल तक पार्टी जिलाध्यक्ष शोभाराम प्रजापति थे तो अब डॉ माधुसिंह हैं। डॉ मधुसिंह भी पिछड़ा वर्ग की जाट बिरादरी से आती हैं। लेकिन भाजपा में कश्यप समाज उपेक्षित है, ऐसा समाज के प्रबुद्ध जनों का मानना है। ध्यान रहे कि कश्यप समाज भी पिछड़ा वर्ग की ही बिरादरी है और यह बिरादरी भी परंपरागत रूप से भाजपा की समर्थक है। इसी कारण अपनी उपेक्षा को लेकर बिरादरी के लोगों ने विगत दिवस एक सम्मेलन किया। सम्मेलन पर वक्ताओं ने भाजपा सरकार में कश्यप समाज की उपेक्षा को लेकर आक्रोश व्यक्त किया।
पिछड़ा जातियों से भाजपा को किसी प्रकार का कोई परहेज हो ऐसा नहीं है। सच बात तो यह है कि रुड़की क्षेत्र में पिछड़ा जातियों को भाजपा में ही सबसे ज्यादा सम्मान मिला है। मसलन, भाजपा ने राज्य स्थापना के बाद हर चुनाव में पिछड़े वर्ग की सैनी बिरादरी को विधानसभा का कम से कम एक टिकट जरूर दिया, हालांकि भाजपा का कोई सैनी।प्रत्याशी कभी जीत नहीं पाया। इसके बावजूद भाजपा की हर सरकार में सैनी बिरादरी का कम से कम एक दर्जाधारी जरूर कार्यरत रहा। मौजदा सरकार में भी श्यामवीर सैनी राज्य मंत्री हैं। सैनी बिरादरी को तो भाजपा ने इससे भी बड़ा तोहफा डॉ कल्पना सैनी को राज्यसभा सदस्य बनाकर दिया था। इसी प्रकार पिछड़े वर्ग की ही गुर्जर बिरादरी को भाजपा कभी एक, कभी दो विधानसभा टिकट देती आ रही है। पिछली विधानसभा में भाजपा का एक गुर्जर विधायक कार्यरत था। इसके साथ ही जिला पंचायत अध्यक्ष और जिला सहकारी बैंक अध्यक्ष भी भाजपा गुर्जर ही बनाती आई है। पिछड़े वर्ग की ही प्रजापति बिरादरी से शोभाराम प्रजापति के रूप में जब पार्टी जिलाध्यक्ष नहीं था तो राज्य सरकार में दर्जधारी था और जब जिलाध्यक्ष पद से बिरादरी का प्रतिनिधि हटा तो फिर राज्यमंत्री बन गया। वे शोभाराम प्रजापति का ही जिक्र है। धीमान और पाल बिरादरियों को भी इसी प्रकार भाजपा प्रतिनिधित्व आई है। लेकिन कश्यप बिरादरी को लेकर ऐसा देखने में नहीं आया। ऐसे में कश्यप बिरादरी का आक्रोशित होना अस्वाभाविक नहीं है। सवाल यह है कि क्या भाजपा इस बिरादरी को भी सत्ता या संगठन में समायोजित करेगी? देखना दिलचस्प होगा।