सुबोध राकेश भाजपा से नाराज रहते तो रचित अग्रवाल के लिए रहता ठीक

एम हसीन

भगवानपुर। यहां नगर पंचायत अध्यक्ष पद के लिए भाजपा के टिकट पर मैदान में आए रचित अग्रवाल ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि अगर सुबोध राकेश उनके साथ आए तो इतने मात्र से ही उनसे तख्त ओ ताज छिन जाएगा। आख़िरकार यही हुआ। अब स्थानीय कांग्रेस विषय ममता राकेश इस बात पर बलिहार जा सकती हैं कि उन्होंने पार्टी प्रत्याशी गुलबहार को नगर पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित करा दिया है और यूं 2027 के मद्देनजर अपने वोट बैंक को भी नई मजबूती के साथ अपने साथ जोड़ लिया है।

जैसा कि सर्वज्ञात है कि इस नगर पंचायत पर इस बार आरक्षण लागू नहीं था। शोध का विषय है कि यह व्यवस्था भाजपा प्रत्याशी बनाए गए रचित अग्रवाल के पिता देवेंद्र अग्रवाल ने की थी या हालात ही ऐसे थे। बहरहाल, नगर पंचायत अध्यक्ष पद अनारक्षित हुआ और रचित अग्रवाल को भाजपा ने यहां अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया। इससे पार्टी में बवाल होना ही था। न केवल पार्टी टिकट के दावेदार नरेश प्रधान ने बगावत कर नामांकन दाखिल कर दिया बल्कि निकाय चुनाव में भाजपा में नरेश प्रधान के प्रमोटर सुबोध राकेश भी नाराज़ होकर घर बैठ गए। यह बेवजह नहीं था। वजह यह थी कि देवेंद्र अग्रवाल को स्थानीय कांग्रेस विधायक ममता राकेश का राजनीतिक प्रबंधक माना जाता है और माना गया था कि सीट अनारक्षित होने से लेकर टिकट तय होने तक में ममता राकेश की खामोश भूमिका थी।

सुबोध राकेश वैसे तो ममता राकेश के देवर हैं लेकिन उनके राजनीतिक प्रतिस्पर्धी भी हैं। सुबोध राकेश ही ममता राकेश के सामने विधानसभा चुनाव लड़ते आए हैं। सुबोध राकेश इन दिनों भाजपा की राजनीति कर रहे हैं और उन्हें सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत के ग्रुप का आदमी माना जाता है। देवेंद्र अग्रवाल भी भाजपा की राजनीति करते हैं और उनके साथ सुबोध राकेश का छत्तीस का आंकड़ा सनातन है। ऐसे में जब रचित अग्रवाल का टिकट हुआ तो सुबोध राकेश का नाराज़ होकर घर बैठना स्वाभाविक था। दूसरी ओर ममता राकेश की नीयत पर सवाल उठना भी स्वाभाविक था।कांग्रेस ने यहां गुलबहार को अपना प्रत्याशी बनाया था लेकिन कांग्रेस में भीतरी तालमेल बन नहीं रहा था। इसी सब के बीच करीब दो सप्ताह तक रचित अग्रवाल का चुनाव अभियान चला। फिर अचानक सुबोध राकेश और उनके बीच सुलह की खबरें आ गई। सुबोध राकेश ने उनका प्रचार प्रारंभ कर दिया। फिर मतदान हुआ और मतदान को लेकर ममता राकेश का हुई टेंशन ड्रामा भी सामने आया। कांग्रेस समर्थित मतदाताओं पर पुलिस लाठी चार्ज का मामला भी सामने आया और अंत में कांग्रेस के गुलबहार ने करीब 2 हजार मतों के अंतर से रचित अग्रवाल को हरा दिया। अहम यह है कि करीब 2 हजार वोट ही भाजपा के बागी नरेश प्रधान ने हासिल किए। अब जब सारी चीजों का गुणा-भाग हो रहा है तो यह भी सोचा जा रहा है कि सुबोध राकेश का सक्रिय होकर रचित अग्रवाल के साथ आना भाजपा प्रत्याशी का वाटर लू बन गया। चूंकि इस चीज को समझने का ममता राकेश व लोगों को वक्त मिल गया इसलिए क्षेत्र का समीकरण पूरे तौर पर बदल गया।