नगर निगम पर किया एक तरफा किया कब्जा, मेयर के साथ जीते कई पार्षद
एम हसीन
रुड़की। भाजपा के कर्णधार भी इस बात को लेकर विचार मग्न होंगे कि वे निकाय चुनाव से जुड़ी अपनी टीम को इस बात के लिए पुरस्कृत करें कि रुड़की नगर निगम जीतने में सफल रहे या इस बात का लिए दंडित करें कि टीम पूरे जिले में हार कर आई। यहां तक कि उसने अपनी झबरेड़ा और भगवानपुर की वे सीटें भी गंवा दी जो पार्टी ने पिछली बार जीती थी। अहमियत इस बात की भी है कि पार्टी ने ये दोनों सीटें कांग्रेस के सामने हारी, हालांकि दोनों ही उसके लिए बेहद प्रतिष्ठापूर्ण बन गई थी। दूसरी ओर भाजपा ने इस बार रुड़की नगर निगम पर कब्जा कर लिया, उस नगर निगम पर कब्जा कर लिया जो उत्तराखंड के इतिहास में कोई दल पहले जीत ही नहीं पाया था। पार्षदों के तो कई पदों पर भाजपा यहां पहले भी जीतती आई है, लेकिन इस बार उसने मेयर पद भी जीत लिया, यह अलग बात है कि उसकी यह जीत बेहद संघर्षपूर्ण रही। निर्दलीय श्रेष्ठा राणा ने हर राउंड में भाजपा प्रत्याशी का मजबूती से पीछा किया और आखिर में वहां जाकर हार स्वीकार की जहां उन्हें हराने का इंतेज़ाम भाजपा ने मतदान दिवस पर ही कर दिया था, जब जैसा कि पूर्व मेयर यशपाल राणा और चुनाव में उनके समर्थक रहे खानपुर विधायक उमेश कुमार ने कहा कि, मुसलमानों को वोट नहीं डालने दिया गया था। करीब 10 हजार वोटों को डालने से रोका गया और श्रेष्ठा राणा करीब 3 हजार वोटों से हार गईं।
जैसा कि सर्वपज्ञात है कि रुड़की क्षेत्र में भाजपा द्वारा सांगठनिक रूप से बनाए गए जिला के अंतर्गत एक नगर निगम, रुड़की, एक नगर पालिका परिषद, मंगलौर, और आठ नगर पंचायतें आती हैं। इनमें चार नगर पंचायतें, रामपुर, पाडली, इमलीखेड़ा और ढंढेरा, नई हैं जहां इस बार पहली बार चुनाव हुआ। भाजपा ने इन चारों पर ही अपने प्रत्याशी लड़ाए थे। लेकिन चारों ही स्थानों पर उसके प्रत्याशी चुनाव हारे। उपरोक्त के अलावा चार नगर पंचायतें, झबरेडा, भगवानपुर, पीरान कलियर और लंढौरा, पुरानी हैं जहां पहले भी चुनाव हो चुका है। इनमें पीरान कलियर को छोड़कर शेष सभी सीटों पर पार्टी ने प्रत्यक्ष रूप से प्रत्याशी उतारे थे। लंढौरा पर पार्टी के क्षेत्रीय पूर्व विधायक प्रणव सिंह चैंपियन प्रत्याशी लड़ा रहे थे जबकि झबरेड़ा में पार्टी के निवर्तमान नगर पंचायत अध्यक्ष मानवेंद्र सिंह प्रत्याशी थे। मानवेंद्र सिंह चुनाव हार गए। इसी प्रकार भगवानपुर में पार्टी ने रचित अग्रवाल को प्रत्याशी बनाया था जो कि हार गए। ध्यान रहे कि यह सीट पिछली बार आरक्षित थी और तब यहां पार्टी की सहती देवी चुनाव जीतकर आई थी। इस प्रकार पार्टी में 2018 में जीती अपनी दो सीटें भी गंवा दी। 2018 में पार्टी ने मंगलौर नगर।पालिका परिषद के चुनाव में किसी भी प्रकार की रुचि नहीं ली थी लेकिन इस बार पार्टी यहां एक निर्दलीय को अपना समर्थन देकर चुनाव लड़ा रही थी जो कि चुनाव हार गए। इस क्षेत्र के 10 निकायों में से पार्टी को केवल एक, नगर निगम रुड़की में सफलता मिली। यह सफलता राजनीतिक जीत के तौर पर नहीं मिली, फिर भी पार्टी इस पर संतोष कर सकती है और अपनी चुनाव समिति को सम्मानित कर सकती है।