एक बार फिर निर्दलीय की परंपरा कायम रखने को बेताब

एम हसीन

रुड़की। चुनाव प्रचार खत्म हो चुका है और मतदान से एक दिन पूर्व महानगर का मतदाता अपना मेयर चुनने के लिए तैयार है। मतदाता को इस बात को लेकर कोई संशय नहीं है कि निर्दलीय प्रत्याशी श्रेष्ठा राणा चुनाव में बेहद मजबूती के साथ मौजूद हैं और वे चुनाव जीत रही हैं। इसे यूं भी कहा जा सकता है कि जनता श्रेष्ठा राणा को अपना मेयर चुनने के लिए तैयार है।

करीब डेढ़ लाख मतदाताओं वाले रुड़की महानगर में 40 वार्ड हैं और यह सब दो हिस्सों में बंटा हुआ है। करीब 60 हजार वोट आउटर रुड़की में हैं और बाकी इनर नगर में। भाजपा मुख्य रूप से ओर क्षेत्र में प्रभावी है और कांग्रेस मुख्य रूप इनर रुड़की में। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि इनर रुड़की में भाजपा अपना प्रभाव खो चुकी है। उसका समर्थक मतदाता इनर रुड़की में यशपाल राणा और कांग्रेस में बंट रहा है। आउटर रुड़की में भाजपा एक दल के रूप में चुनाव लड़ रही है लेकिन वहां कांग्रेस के लिए करने के लिए कुछ नहीं है। श्रेष्ठा राणा वहां भाजपा के साथ लड़ रही हैं। इस प्रकार श्रेष्ठा राणा पूरे निर्वाचन क्षेत्र में कहीं कांग्रेस और भाजपा से लड़ रही हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों के ही प्रत्याशी चूंकि धनपति हैं और दोनों ही एक खास वर्ग का प्रतिधित्व करते हैं इसलिए उनके अभियान में संसाधनों का जलवा आम दिखाई दिया है और अब भी दिखाई दे रहा है। पैसे का बोलबाला चुनाव में अब भी दिखाई दे रहा है। और शायद यही दोनों दलों के प्रत्याशियों के लिए वाटर लू बनने वाला है। जिस प्रकार के चेहरे दोनों दलों के प्रत्याशियों के लिए इस बार पहली बार चुनाव प्रचार में उतरे उसे देखकर साफ जाहिर है कि वे सब अपने हितों की लड़ाई लड़ रहे हैं। कोई अपने पार्टनर के साथ हस्पताल की लड़ाई लड़ रहा है और कोई अपने पार्टनर के साथ भूखंड का संघर्ष कर रहा है। सब की पनाहगाह चुनाव में कोई दल या कोई प्रत्याशी बना हुआ है। ऐसे में आम आदमी को पता है कि उसके हितों के लिए केवल श्रेष्ठा राणा लड़ रही हैं। इसी पर चुनाव केंद्रित है। और उम्मीद यही जताया जा रहा है कि अपने हितों की रक्षा के लिए आवाम बेबाक, बिंदास, सर्व-सुलभ, सर्व-उपलब्ध यशपाल राणा के कार्यकाल को याद करके वोट देने जा रहा है।