निजामुद्दीन-फुरकान की नहीं लगी अभी रुड़की में हाजरी

एम हसीन

रुड़की। रुड़की में कांग्रेस प्रत्याशी पूजा गुप्ता पूरी ताकत से मेयर चुनाव लड़ रही हैं। कांग्रेस की लीडरशिप में से प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और सहारनपुर सांसद हरीश रावत सहित दर्जन भर बाहरी नेता उनका चुनाव प्रचार करने आ चुके हैं। लेकिन स्थानीय विधायकों की हाजरी अभी तक नहीं हुई है। खासतौर पर मंगलौर विधायक क़ाज़ी निज़ामुद्दीन और कलियर विधायक हाजी फुरकान की गैर-हाजरी को नोट किया जा रहा है। साथ ही इस बात पर भी सवाल उठाया जा रहा है कि जब यह स्थानीय चुनाव है तो इसमें स्थानीय नेताओं की अनदेखी और प्रदेश स्तरीय नेताओं की हाजरी का अर्थ क्या है? खासतौर पर इसलिए कि बड़े नेताओं की हाजरी प्रत्याशी को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

जैसा कि सब जानते हैं कि पिछले दिनों रुड़की आए सहारनपुर के फायर ब्रांड नेता इमरान मसूद ने अपने चिर-परिचित अंदाज में भाषण दिया। नतीजा यह हुआ कि प्रत्याशी को नुकसान हो गया। मुसलमान तो उनसे खुश हुआ नहीं, हिंदू नाराज़ हो गया। ऐसे में इस पर खुद कांग्रेस नेताओं ने ही सवाल उठाए कि जब पार्टी के पास स्थानीय, मतदाता को व्यक्तिगत रूप से प्रभावित करने वाले मुस्लिम नेता हैं तो इमरान मसूद को लाया क्यों गया था और जब लाया गया था तो उन्हें स्थानीय मुद्दों पर बोलने का आग्रह न किए जाने का क्या कारण था। यह सवाल इसलिए उठा क्योंकि तमाम स्थानीय मुद्दे थे जिनपर चर्चा हो सकती थी; मसलन, नगर में पिछले तीन बार से भाजपा के टिकट पर प्रदीप बत्रा विषयक चुने जा रहे हैं। इससे पहले वे एक बार नगर निकाय प्रमुख भी रह चुके हैं। उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के तमाम मुद्दे हैं। लेकिन इमरान मसूद ने इस पर कोई बयान नहीं दिया। मसलन, पिछली बार भाजपा के बागी गौरव गोयल मेयर चुने गए थे जो जीतकर भाजपा में चले गए थे और फिर अपने भ्रष्टाचार के कारण न केवल पार्टी से निष्कासित किए गए थे बल्कि उन्हें मध्य टर्म पद से इस्तीफा देना पड़ा था। उपरोक्त सहित तमाम स्थानीय मुद्दे थे जिनपर इमरान मसूद, हरीश रावत, कारण माहरा, यशपाल आर्य आदि को बोलना चाहिए था लेकिन कोई भी नहीं बोला। इमरान मसूद ने सम्भल-मणिपुर पर वोट मांगे और कारण माहरा ने प्रदेश स्तरीय नेताओं पर। यह एक सर्वज्ञात तथ्य है कि क़ाज़ी निज़ामुद्दीन, हाजी फुरकान, रवि बहादुर, ममता राकेश और वीरेंद्र जाती आदि विधायक हरिद्वार से ही हैं और रुड़की के आसपास ही रहते हैं। इनकी हाजरी अगर रुड़की चुनाव में लगती है तो पार्टी की एकता का संदेश प्रवाहित होता है। इससे पार्टी को मजबूती मिलती है। ऐसे में यह गौर किए जाने लायक बात है कि रुड़की निकाय चुनाव के कांग्रेसी जिम्मेदार पार्टी प्रत्याशी को यह संदेश क्यों देना चाहते हैं कि उनके नगर में कोई यार-ओ-मददगार नहीं हैं और जनता को क्यों यह संदेश देना चाहते हैं कि पार्टी स्थानीय स्तर पर एक नहीं है।