पार्टी कार्यालय पर हाजिरी देकर अपनी सक्रियता प्रदर्शित कर रहे भाजपाई
एम हसीन
रुड़की। नगर में भाजपा के चुनावी कार्यालयों का उद्घाटन रोज हो रहा है। पार्टी कार्यालयों पर कार्यकर्ताओं की भीड़ भी है, लेकिन जमीन पर पार्टी का चुनाव अभियान कहीं नजर नहीं आ रहा है। बात केवल भाषणों और बैठकों तक सीमित होकर रह गई है। लग्जरियस लाइफ स्टाइल के आदी पार्टी प्रत्याशी और उनके पति दोपहर से पहले घर से नहीं निकल पा रहे हैं। यही हाल उनके सिपहसालारों का है। स्थिति यह है कि प्रत्याशी का नामांकन कराने के बाद पूर्व सांसद डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने रुड़की में झांक कर नहीं देखा है जबकि बताया जाता है 38 दावेदारों के आवेदन निरस्त कर, मौजूदा पार्टी प्रत्याशी का चयन, उन्होंने ही किया था। अहम बात यह है कि डॉ निशंक जानते हैं कि रुड़की में संतरे की फांकों की तरह बंटी पार्टी प्रत्याशी को जीत दिलाने की स्थिति में तभी आ सकती है जब कोई रिंग मास्टर कोड़ा लेकर खड़ा हो। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।
भाजपा की अपनी एक राजनीतिक संस्कृति है और उसका चुनाव लड़ने का एक तरीका है। सब जानते हैं कि पार्टी ने अपनी सफलताओं का रास्ता अपनी मेहनत, अपने संघर्ष और अपने जन-संपर्क की ताकत के दम पर तय किया है। लेकिन यह सब निकाय चुनाव अभियान में दिखाई नहीं दे रहा है। कड़ाके की ठंड में हो रहे इस चुनाव में पार्टी कार्यकर्ता वह गर्मी नहीं दिखा पा रहे हैं जिससे जीत का रास्ता निकलता है। नगर विधायक प्रदीप बत्रा चुनाव अभियान की अगुवाई कर रहे हैं लेकिन इतिहास गवाह है कि वे अपनी पार्टी में सत्ता का दूसरा केंद्र नहीं देखना चाहते इसलिए उनका अभियान अपने तरीके से चल रहा है। उनके मुस्लिम अनुयाई, मसलन मुमताज अब्बास नकवी, भाजपा प्रत्याशी की अलख जगा रहे हैं और बाकी कार्यकर्ता एक अलग ही पहाड़ा पढ़ रहे हैं। प्रदीप बत्रा का समर्थक एक बहुत बड़ा चेहरा कांग्रेस प्रत्याशी सचिन गुप्ता का लिए काम कर रहा है और कमाल यह है कि यह चीज अखबार में दिखाई दे रही है। अखबार की सुर्खी बता रही है कि प्रदीप बत्रा का स्टैंड क्या है। दूसरी ओर नगर में पार्टी का सबसे बड़ा चेहरा माने जाने वाला चेहरा, जो पिछली बार मेयर प्रत्याशी रहे थे, मयंक गुप्ता कहीं नजर नहीं आ रहे हैं। इससे लगता है कि प्रदीप बत्रा पार्टी प्रत्याशी की संभावित हार का श्रेय भी किसी के साथ नहीं बांटना चाहते। यदि कमान खुद डॉ निशंक ने अपने हाथ में नहीं ली तो कोई बड़ी बात नहीं कि निकाय चुनाव में अभी तक निर्दलीयों के सामने हारती आई भाजपा इस बार कांग्रेस के सामने हार जाए।