दिलचस्प है यहां देवर भाभी के बीच का संघर्ष

एम हसीन

झबरेड़ा। इस नगर पंचायत अध्यक्ष चुनाव को लेकर कांग्रेस का अभियान रणनीतिक भी है और आक्रामक भी। यहां पार्टी भाजपा से सीधा मुकाबला कर रही है और पिछली बार की अपनी हार का बदला चुकाने को बेचैन दिखाई दे रही है। अहमियत इस बात की है कि महज 9 हजार वोटों वाली इस नगर पंचायत में सीधा मुकाबला है, एक-एक वोट की अहमियत है और और प्रत्याशी कोई बाहरी नहीं बल्कि देवर-भाभी हैं।

जैसा कि सर्वविदित है कि झबरेड़ा नगर पंचायत अध्यक्ष पद पर पिछली बार की ही तरह झबरेड़ा चौधराहट के बीच ही संघर्ष है। छोटे चौधरी कुलवीर सिंह के पुत्र निवर्तमान नगर पंचायत अध्यक्ष मानवेंद्र सिंह एक बार फिर भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं और उनका मुकाबला अपने चचेरे भाई डॉ गौरव चौधरी के साथ है, अलबत्ता इस बार कांग्रेस प्रत्याशी डॉ गौरव खुद नहीं बल्कि उनकी पत्नी किरण गौरव चौधरी हैं। डॉ गौरव बड़े चौधरी यशवीर सिंह के पुत्र हैं और पत्नी को चुनाव मैदान में उतारने के उनके फैसले को रणनीतिक माना जा रहा है। कोई बड़ी बात नहीं कि इस रणनीति का किरण गौरव चौधरी के देवर मानवेंद्र सिंह पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ भी रहा है जो उनकी विभिन्न गतिविधियों में सामने भी आ रहा है। दूसरा मामला कांग्रेस के अभियान की आक्रामकता है। मसलन, कांग्रेस ने अपने रूठे परिवार को इकठ्ठा करने में कामयाबी हासिल कर ली है। इस बार राव कुर्बान अली समाजवादी पार्टी के टिकट पर खुद मैदान में आकर त्रिकोण नहीं बना रहे हैं बल्कि किरण गौरव चौधरी के अभियान को गति प्रदान कर रहे हैं। ध्यान रहे कि पिछली बार राव कुर्बान अली ने खुद चुनाव में आकर संघर्ष को त्रिकोणीय बनाया था। तब राव कुर्बान अली ने डेढ़ हजार से अधिक वोट लिए थे और डॉ गौरव चौधरी सवा दो सौ वोटों से हार गए थे।

वैसे इस बार समय भी मानवेंद्र सिंह के अनुकूल चलता दिखाई नहीं दे रहा है। मसलन, 2022 के विधानसभा चुनाव में यहां कांग्रेस ने विजय हासिल की थी और विधायक वीरेंद्र जाती झबरेड़ा में कैंप करके किरण गौरव चौधरी के अभियान को गति प्रदान कर रहे हैं, जबकि पिछली बार विधानसभा सीट पर यहां भाजपा के देशराज कर्णवाल का कब्जा था जो मानवेंद्र सिंह चुनाव अभियान की अगुवाई कर रहे थे। गौरव चौधरी के विरोधी माने जाने वाले प्रहलाद चौधरी पिछली बार मानवेंद्र सिंह के कंधे से कंधा मिलाकर खड़े थे जबकि इस बार उनके भीतर जोश का अभाव नजर आ रहा है। जाहिर है कि उपरोक्त सारी चीजों से कांग्रेस का हौसला बढ़ा हुआ है और उसका अभियान आक्रामक है। लेकिन चुनाव की यह अभी अर्ली स्टेज है। अभी से परिणाम को लेकर कुछ कहना बहुत अधिक जल्दबाजी होगा। आखिर यह भी हकीकत है कि मानवेंद्र सिंह भी भाजपा के प्रत्याशी हैं और चौधरी ही हैं।