पिछले निकाय चुनाव तक यही रहा है पार्टी प्रत्याशी का आंकड़ा

एम हसीन

रुड़की। भाजपा में मेयर प्रत्याशी और ललित मोहन अग्रवाल की पत्नी अनीता देवी अग्रवाल के चुनाव की अप्रत्यक्ष बागडोर पूर्व मंत्री यतीश्वरानंद के हाथ में जाने के दो बड़े लाभ हुए हैं। एक यह कि प्रत्याशी के चुनाव अभियान को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं में मन में जो संशय था, वह निकल गया है। अब कार्यकर्ता इस बात को लेकर आश्वस्त है कि पार्टी एकजुट है। दूसरा यह कि विपक्ष के समीकरण बदल गए हैं। खानपुर विधायक उमेश कुमार खुलकर कांग्रेस के बागी यशपाल राणा के साथ आ गए हैं। इस प्रकार बड़े आत्मविश्वास के हालात में पार्टी अपने जनसमर्थन में कितना बढ़ोत्तरी कर पाती है यह देखने वाली बात होगी।

इतिहास गवाह है कि रुड़की में जब चुनाव 80-90 हजार वोटों पर होता था तो 2003 में पार्टी प्रत्याशी प्रमोद गोयल को 13 हजार, 2008 में अश्वनी कौशिक को 10 हजार और 2013 में महेंद्र काला को तेरह हजार वोट मिले थे। इसे तब पार्टी का नगर क्षेत्र में आधार वोट माना गया था, जो लोकसभा और विधानसभा चुनाव में 40 हजार वोटों तक बढ़ता देखा गया है।

फिर 2019 का निकाय चुनाव करीब डेढ़ लाख वोटों पर हुआ था। तब पार्टी प्रत्याशी मयंक गुप्ता को 19 हजार वोट मिले थे। इसका मतलब यह निकलता है कि क्षेत्र में जो 60 हजार के करीब मतदाता बढ़े थे उनमें भाजपा का हिस्सा छ: हजार निर्धारित हुआ था। अब मौजूदा चुनाव में कुल मतदाताओं की संख्या डेढ़ लाख से ऊपर है। इसमें भाजपा का हिस्सा कितना होगा, देखने वाली बात होगी। वैसे 2014 के बाद से ही भाजपा को लोकसभा में औसत जन-समर्थन करीब 40 हजार, विधानसभा में औसत जन-समर्थन 35 हजार मिलता रहा है। इसी प्रकार निकाय चुनाव में भी इस अवधि में पार्टी के पार्षद प्रत्याशियों का औसत समर्थन 35 हजार के करीब रहा है। लेकिन मेयर प्रत्याशी के पक्ष में पार्टी का अधिकतम आंकड़ा 19 हजार रहा है जिसका अगर औसत निकाला जाए तो आंकड़ा और कम हो जाता है।

दूसरी बात मौजूद चुनाव में और अधिक महत्वपूर्ण है। वह यह कि इस बार चुनाव में प्रत्याशियों की भीड़ बहुत नहीं है। बड़े पैमाने पर तो यही माना जा रहा था कि चुनाव केवल दो मोर्चों पर होगा। अब यतीश्वरानंद के आने का लाभ भाजपा को यह हुआ है कि वह एकाएक त्रिकोण बनाती दिखाई देने लगी है। बहरहाल, किसी भी प्रत्याशी को मिलने वाले समर्थन का आंकड़ा इस बात से भी निर्धारित होगा कि इस बार वोट कटवा प्रत्याशी मैदान में नहीं हैं।