मेयर पद सामान्य महिला के लिए आरक्षित
एम हसीन
रुड़की। मेयर पद आरक्षित होने के साथ ही तमाम महिला दावेदारों के नाम सामने आए हैं। पद अगर महिला के लिए आरक्षित होता है तो पूजा गुप्ता व श्रेष्ठा राणा कांग्रेस की ओर से और मेघा जैन व ममता शर्मा भाजपा की ओर से टिकट की सर्वप्रमुख चुनावी दावेदार होंगी, यह पहले से ही माना जा रहा था। इस क्रम में सोनिया शर्मा और रेणु खन्ना की दावेदारी भी पहले से ही चर्चाओं में थी। सोनिया शर्मा को निर्दलीय ही लड़ना है और रेणु खन्ना का भी कांग्रेस टिकट पर केवल औपचारिक दावा है। उनका भी हर हाल में चुनाव लड़ना पहले से निश्चित माना जा रहा था। रश्मि चौधरी ने भी टिकट के लिए पहले ही आवेदन किया हुआ है। लेकिन रुचि चावला भी मैदान में ताल ठोकेंगी यह अनुमान पहले से नहीं था। अब जबकि उन्होंने पद पर दावा ठोक दिया है तो इससे राजनीतिक क्षेत्रों में बेचैनी खासी बढ़ गई है। कारण यह है कि उनकी दावेदारी को बेसबब नहीं माना जा रहा है। यहां यह ध्यान रखने वाली बात है कि कमल चावला नगर व्यापार मंडल के सचिव हैं और दीपावली पर पटाखे, बसंत पंचमी पर पतंग तथा होली पर रंगों का बड़ा कारोबार करते हैं। उनकी पहचान उनकी सामाजिक सेवाओं के कारण भी व्यापक है और राजनीतिक गतिविधियों के कारण भी।
गौरतलब है कि सारे अनुमानों को ध्वस्त करते हुए राज्य शासन ने रुड़की मेयर पद को सामान्य महिला के लिए आरक्षित कर दिया है; जबकि अनुमान यह लगाया जा रहा था कि पद या तो सामान्य रहेगा या फिर पिछड़े वर्ग की महिला के लिए आरक्षित होगा। बहरहाल, यह अनंतिम आरक्षण घोषित किया गया है और इस पर जनता से आपत्ति तलब की गई है। कोई बड़ी बात नहीं कि अगर स्ट्रांग आपत्तियां जाती हैं तो यह आरक्षण बदल भी सकता है। लेकिन अनंतिम आरक्षण पर जिस प्रकार महिलाओं की प्रतिक्रिया सामने आई है, जितने बड़े पैमाने पर महिलाओं की दावेदारी सामने आई है, उससे तो यही लगता है कि क्षेत्र की महिलाएं इस स्थिति से उत्साहित हैं। हालांकि उनमें अधिकांश या तो अपने पति का प्रतिनिधित्व कर रही हैं या फिर तब तक दौड़ में हैं जब तक पार्टियों के टिकट तय नहीं हो जाते; अर्थात अधिकांश की दावेदारी टिकट पर चुनाव लड़ने की है। बहरहाल, जहां तक आरक्षण का सवाल है, हो तो यह भी सकता है कि इसी आरक्षण पर चुनाव हो। ऐसी स्थिति में उम्मीद यह है कि भाजपा की ओर से टिकट की मुख्य प्रतिस्पर्धा मेघा जैन और ममता शर्मा के बीच हो। इसी प्रकार कांग्रेस में टिकट की मुख्य प्रतिस्पर्धा पूजा गुप्ता और श्रेष्ठा राणा के बीच हो। अहमियत इस बात की है कि टिकट के इन प्रमुख दावेदारों में टिकट न मिलने की स्थिति में भी कोई भी बतौर निर्दलीय भी मैदान में आ सकता है और हो यह भी सकता है कि ये चारों ही टिकट भी मैदान में आ जाएं। चुनाव में जब यह सीन बन रहा होगा तब रुचि चावला भी एक प्रत्याशी होंगी, उनकी दावेदारी के साथ ही यह निश्चित सा हो गया है।
दरअसल, जिस प्रकार का रुचि चावला के पति कमल चावला का सामाजिक दायरा है, जिस प्रकार उनके राजनीतिक संबंध हैं और जिस प्रकार का उनका व्यक्तित्व है, जिस प्रकार की उनकी जरूरत है, उससे यह स्पष्ट है कि अगर उन्हें चुनाव न लड़ना होता तो वे शुरुआती दौर में ही दावेदारी ही नहीं करते। इसे यूं भी समझा जा सकता है कि रुचि चावला की उम्मीदवारी केवल उनकी अपनी या उनके पति कमल चावला की ही इच्छा से तय नहीं हुई है। इसके विपरीत उनकी उम्मीदवारी एक वर्ग की जरूरत और सहमति से तय हुई है। वे उसी प्रकार सदलीय या निर्दलीय चुनाव लड़ेंगी जिस प्रकार परिणाम की परवाह किए बगैर सोनिया शर्मा या रेणु खन्ना या एडवोकेट संजीव वर्मा की पत्नी सपना वर्मा हर हाल में चुनाव लड़ेंगी। कोई बहुत बड़ी घटना ही अब रुचि चावला को मैदान से हटा सकती है। इसी कारण उनकी उम्मीदवारी को अहम भी माना जा रहा है और उससे राजनीतिक क्षेत्रों में बेचैनी भी है।