पिछड़ा आरक्षण लागू न हुआ तो भी रहेंगी दावेदार
एम हसीन
रुड़की। भाजपा में मेयर टिकट के दावेदारों की कतार बहुत लंबी है। इनमें कई प्रमुख दावेदार सपत्नीक टिकट पर दावा कर रहे हैं। मसलन, चेरब जैन की पत्नी का फोटो भी उनके होर्डिंग्स पर लगा हुआ है। इसी प्रकार अभिषेक चंद्रा भी पत्नी का फोटो होर्डिंग्स पर लगा कर चल रहे हैं। ऐसे आकांक्षा चौधरी के होर्डिंग्स शहर में नहीं लगे हैं; न अकेले और न ही अपने पति के साथ। कारण यह है कि उनके जिला पंचायत सदस्य पति अंशुल गुर्जर मेयर टिकट के दावेदार नहीं हैं। टिकट की दावेदार खुद आकांक्षा चौधरी हैं। उन्होंने भाजपा के प्रदेश मुख्यालय में अपना बायो डाटा प्रस्तुत कर मेयर टिकट पर दावा किया है। जैसा कि नाम से जाहिर है कि वे पिछड़ा वर्ग की गुर्जर बिरादरी से आती हैं और इस वर्ग से आने वाली भाजपा में वे इकलौती दावेदार हैं। वैसे उनका दावा सामान्य सीट पर भी है लेकिन अगर किसी कारणवश सीट पिछड़ा वर्ग की महिला के लिए आरक्षित हो जाता है तो भाजपा के पास भी कोई दूसरी चॉइस बाकी नहीं रह जाएगी।
राज्य में निकाय चुनाव होगा या नहीं इस पर अभी भी अनिश्चय के बादल हैं। सरकार ने 2011 की जनगणना के आधार पर चुनाव कराने का फैसला किया है। हालांकि इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। बताया जाता है कि अगर सूत्रों द्वारा प्रदान की गई उपरोक्त जानकारी सही है तो मामले का एक बार फिर अदालत में जाकर लटकना लाजमी है। इस बीच सरकार ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं और बहुत मुमकिन है कि वह अपने वादे के अनुसार 10 नवंबर को चुनाव की अधिसूचना जारी कर दे और फिर चुनाव हो ही जाएं। इसी उम्मीद में तमाम जननेता अपनी तैयारियां कर रहे हैं, टिकटों पर दावे कर रहे हैं। रुड़की मेयर पद पर ऐसा ही दावा आकांक्षा चौधरी का है। जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है कि वे जिला पंचायत सदस्य अंशुल गुर्जर की पत्नी हैं और उन्होंने कानून की पढ़ाई की है। वे पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष और गन्ना परिषद के पूर्व अध्यक्ष अशोक चौधरी की पुत्रवधु हैं। बेहद करीबी रिश्ते के हिसाब से वे पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष और जिले में पंचायत की राजनीति के भीष्म पितामह चौधरी राजेंद्र सिंह की भी पुत्रवधु हैं, क्योंकि अशोक चौधरी चौधरी राजेंद्र सिंह के छोटे भाई हैं।
लेकिन उनका परिचय केवल इतना ही नहीं है। उनके परिचय में यह भी शामिल किया जाना जरूरी है कि वे मानकपुर के पुराने संघ निष्ठ डा रामपाल के परिवार की पौत्री और मौजूदा जिला पंचायत अध्यक्ष किरण चौधरी की भतीजी हैं। जाहिर है कि राजनीति को उन्होंने अपने पिता के घर में भी और आम होते हुए देखा है और ससुराल में भी। खास तौर पर बोर्ड की राजनीति के तौर-तरीकों से वे बेहतर वाकिफ हैं। इन्हीं सब चीजों, अपने सामाजिक-राजनीतिक दायरों और अपनी शैक्षिक योग्यता के आधार पर उन्होंने टिकट पर दावेदारी की है। उनका कहना है कि उन्होंने मेयर सीट को सामान्य जानकर ही दावेदारी की है लेकिन अगर सीट पिछड़ा वर्ग या पिछड़ा वर्ग महिला के लिए आरक्षित होता है तो भी वे टिकट की दावेदार रहेंगी।