निर्माण के बीच ही गंग नहर में गिर गया एक और पुल
एम हसीन
रुड़की। लोक निर्माण विभाग, निर्माण खंड के रुड़की सब डिविजन का प्राइड पोजेशन “पीर बाबा कॉलोनी निर्माणाधीन पुल” गंग नहर में गिर गया है। यह हादसा ऐन दीपावली की सुबह हुआ। इसलिए इसे नगर के लिए लोक निर्माण विभाग का विडंबनापूर्ण, दुखदाई तोहफा माना जा सकता है। बेशक खंड के अधिशासी अभियंता विपुल सैनी ने तत्काल तसल्ली देते हुए कहा है कि पुल नहीं गिरा बल्कि पुल के निर्माण के लिए खड़ा किया गया ढांचा गिरा है जो अस्थाई था और रस्सा खुलने के कारण गिरा है। जाहिर है कि ढांचे का यूं गिरना भी अगर तसल्ली की बात है तो लोक निर्माण विभाग के लिए ही है। यह अलबत्ता सबके लिए संतोष की बात है कि इसमें किसी की जान नहीं गई; कोई घायल नहीं हुआ।
इससे पहले 2012 में लोक निर्माण विभाग के इसी खंड के सुपर विजन में निर्मित किया जा रहा बी टी गंज पुल गंग नहर में गिर गया था। इस पुल का निर्माण लगभग पूरा हो गया था। इसी दौरान पुल पर फाइनल काम कर रहे तीन मजदूरों की मौत पुल के नीचे दबकर हो गई थी। बाद में एक्स एन को मुख्यालय से अटैच करने, सहायक अभियंता और अवर अभियंता के खिलाफ निलंबन और मुकदमे की कार्यवाही करने और मजदूरों के परिवारों को ऊंट के मुंह में जीरा जैसा मुआवजा देने की औपचारिकता भी हुई थी। निर्माण कंपनी पर कोई जुर्माना या प्रतिबंध लगाया गया था या नहीं; पता नहीं।
अब मौजूदा हादसे में चूंकि किसी की जान नहीं गई है, इसलिए किसी और विभाग के इसमें हस्तक्षेप का मामला नहीं है। जो भी कार्यवाही होनी है वह लोक निर्माण विभाग के स्तर पर ही होनी है। चूंकि यही परंपरा है इसलिए लोक निर्माण विभाग जांच के लिए ग्रामीण निर्माण विभाग को भी केस अग्रसारित कर सकता है। बहरहाल, चूंकि अधिशासी अभियंता यह भी कह चुके हैं कि कोई माली नुकसान नहीं हुआ है तो पक्का मान लें कि जो नुकसान हुआ है ठेकेदार का हुआ है। यानि सबकुछ ठीक है। फिर भी कुछ तो है जिसकी फिक्र की जानी चाहिए। वह यह कि सोलानी नदी पर भविष्य में बनने वाले पुल की डी पी आर भी उसी सब डिविजन ने बनाई है जो इस पुल को बना रहा है। इसी सब डिविजन ने सोलानी के उस रपटे के निर्माण की जिम्मेदारी निभाई है जो अब भी विवादों में है। इस सब डिविजन का बनाया हुआ एक रपटा पहले ही सोलानी नदी में बह चुका है। यही सब डिविजन अन्य मामलों में भी सुर्खियों में है। मसलन, रुड़की नगर के साकेत कॉलोनी स्थित हरमिलाप भवन के सामने बन रहे मार्ग में सब स्टैंडर्ड मैटेरियल के इस्तेमाल पर भारी विवाद अभी भी जारी है।
उपरोक्त स्थिति में कुछ सवाल उठते हैं, उठाए जा सकते हैं और उठाए जाने चाहिए। मसलन, क्या संबंधित ठेकेदार या कंपनी के पास पुल निर्माण की तकनीकी क्षमता है? उसके पास पुल निर्माण के लिए आवश्यक संसाधन और ढांचा है? पुल निर्माण करने का अनुभव है? पुल का निर्माण करा रहे सहायक और अवर अभियंताओं के पास पुल निर्माण का अनुभव है? और सौ सवालों का एक सवाल; यह सब डिविजन काम तो अपने अधिकारियों के निर्देशन में करता है? कहीं ऐसा तो नहीं कि विधायक के कारिंदे इसके नियंता हों? जाहिर है कि यह सब देखना विभाग के खंड प्रमुख का काम है और बेहतर है कि वे इस पर अपनी ओर से कोई स्पष्टीकरण भी जारी करें।